गंगा दशहरा पर उज्जैन में निकली जूना अखाड़ा की पेशवाई, संतों ने कहा भारत को सनातनियों की जरुरत है हिन्दू राष्ट्र की नहीं
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उज्जैन। गंगा दशहरा पर बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में सड़कों पर पेशवाई निकली. पेशवाई में साधु संत, महामंडलेश्वर समेत सभी अखाड़ों के लोग नजर आए. गाजे बाजे के साथ रथ पर सवार संत निकले और पर्व पर स्नान कर धार्मिक परंपरा को निभाा. स्नान से पहले नीलगंगा क्षेत्र से पंच दशनाम जूना अखाड़े की पेशवाई निकली जिसकी आध्यात्मीक भव्यता देख धर्म नगरी में आए श्रद्धालु प्रसन्न हो गए. 13 अखाड़ों के साधु संत प्रतिनिधि के तौर पर पेशवाई में शामिल हुए. इस दौरान किन्नर अखाड़े से भी महामंडलेश्वर बग्घी पर सवार होकर पेशवाई में शामिल हुए. नीलगंगा सरोवर के तट पर मां नीलगंगा का पूजन अभिषेक करने के बाद साधु संतों ने पर्व स्नान किया और सरोवर में डुबकी लगाई. इस दौरान अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र पूरी महाराज, अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि जी महाराज भी मौजूद थे. शाम में सिंहस्थ को लेकर अखाड़ा परिषद की बैठक का भी आयोजन किया गया. सिंहस्थ के चलते होने वाले कार्यों की रूपरेखा पर मंथन किया जाएगा. नीलगंगा सरोवर में गंगा पूजन बाद मां नीलगंगा को 108 फीट की चुनरी अर्पित की गई. वहीं आतिशबाजी के साथ महाआरती का आयोजन हुआ. इस मौके पर हरिगिरी महराज ने कहा कि "आज की पेशवाई से गंगा को स्वच्छ रखने का संदेश दिया गया है. साथ ही उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के मुद्दे पर कहा कि हम जिस जमीन पर रह रहे हैं वो सनातन धर्म के मानने वालों की धरती है. लिहाजा इसे ऐसे ही सनातनियों को जमीन बने रहने दें."