अनोखी परंपरा: खंडवा के इस मंदिर में टिक्कड़ महाप्रसाद के लिए आतुर रहते हैं श्रद्धालु, भक्तों के लिए खास ये है प्रसादी - dhuniwale dadaji mandir
🎬 Watch Now: Feature Video
खंडवा। देश भर में मंदिरों में प्रसाद की अलग-अलग परंपरा है, लेकिन खंडवा में स्थित दादाजी मंदिर में टिक्कड़ और चटनी प्रसाद के आगे छप्पन भोग भी फीके हैं. यहां टिक्कड़ और चटनी प्रसाद के लिए भक्तों की लंबी कतार देखने को मिलती है. दरअसल दादाजी महाराज ने टिक्कड़ और चटनी प्रसाद की प्रथा यहां शुरू की थी. धूनीवाले दादाजी महाराज को गेहूं के आटे से बना टिक्कड़ पसंद था. हर भक्त मेवे और मिठाई चढ़ाने में सक्षम नहीं होते. इसके लिए अवधुत संत दादाजी महाराज ने समानता दर्शाने के लिए टिक्कड़ प्रथा शुरू की थी. इससे हर कोई दादाजी को टिक्कड़ प्रसाद अर्पण कर सके. दादाजी महाराज भी टिक्कड़ का भंडारा देते थे. इसके बाद से मंदिर ट्रस्ट द्वारा प्रति दिन टिक्कड़ प्रसाद का भंडारा भी दिया जाता है. रोजाना केशवानंद महाराज (बड़े दादाजी) और हरिहर भोले सरकार (छोटे दादाजी) महाराज की समाधि पर प्रतिदिन टिक्कड़ के महाप्रसाद का भोग लगता है. यहां प्रसाद में श्रद्धालुओं को टिक्कड़ प्रसाद दिया जाता है. श्रद्धालु टिक्कड़ अपने साथ ले जाते हैं. धूनीवाले दादाजी ट्रस्ट और पटेल सेवा समिति के आश्रम में आटे की टिक्कड़ तैयार होती है. गुरुपूर्णिमा पर इसकी मात्रा बढ़ जाती है. पटेल सेवा समिति के अध्यक्ष मदन ठाकरे ने गुरुपूर्णिमा को लेकर 20 बोरी आटे के टिक्कड़ बनाये जाते हैं. इसे गुरुपूर्णिमा पर दो दिन बांटा जाएगा. (Khandwa Dadaji Mandir Tikkad Mahaprasad )