Holi 2023: दतिया में खूब उड़ा रंग-गुलाल, 5 हजार सालों से मनाई जा रही है परंपरागत होली

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दतिया। जिले में होली पर्व की धूम दिखी,पूरे बुंदेली रिवाज के साथ नगाड़े बजाते हुए बुंदेली फाग गीतों के साथ फगुआरे शहर एवं गांव की गालियों में होली गीत गाते हुए एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हुए दिखाई दिए (Holi celebrated in Datia). होली में बुद्ध,युवा एवं बच्चे भी होली के रंग में रंगे आए. हुरियारों ने कहा कि होली परंपरागत त्योहार है इसे मनाने में बड़ा ही आनंद आता है. बता दें कि नगर को पूरे देश में लघु वृंदावन के नाम से जाना जाता है, इसके पीछे एक ऐतिहासिक कारण भी है जो द्वापर युग काल से जुड़ा हुआ है. दतिया शिशुपाल के भाई दंतवक्र की रियासत रही है, भगवान कृष्ण के दतिया आने के पौराणिक प्रमाण भी हैं. उसके बाद मुस्लिम आक्रांता औरंगजेब के समय यहां के राजा दलपत राव थे. दलपत राव के बिरसिंह बुंदेला के समय से मुस्लिम शासकों से अच्छे संबंध थे. इसलिए उस समय औरंगजेब से बचाव के लिए कई साधु संत मथुरा और वृंदावन से भगवान कृष्ण की प्रतिमाएं लेकर दतिया आ गए और उन्हें वहीं स्थापित करवा दिया. आज भी दतिया में सबसे ज्यादा कृष्ण मंदिर हैं और तभी से बुंदेला थे तभी से यहां वृंदावन की तर्ज पर ही होली मानने को परंपरा है. बुंदेला शासकों की रियासत होने के कारण यह क्षेत्र बुंदेलखंड का भी अहम हिस्सा है, इसलिए यहां ब्रज एवं बुंदेलखंड की दोनों परंपराओं का निर्वहन होता है. 

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