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Stomach Disorder Badi, बादी की समस्या पेट ही नहीं पूरे तन को देती है तकलीफ, आसान है बचने के उपाय

Dr. Balbir Singh, BAMS बताते हैं कि Ayurveda के अनुसार बादी एक वायु विकार है. बादी होने पर सिर्फ हाजमें से जुड़ी समस्याएं ही नही होती हैं बल्कि पेट में दर्द, शरीर में कई असहजताएं भी महसूस हो सकती हैं, जैसे थका हुआ महसूस करना, सुस्ती महसूस करना व शरीर में भारीपन महसूस होना आदि. Stomach disorder Badi .

Stomach Disorder Badi Tummy prpblem
पेट की बीमारी
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Published : Jul 16, 2022, 4:28 PM IST

Updated : Aug 18, 2022, 1:36 PM IST

वैसे तो भोजन करने के बाद शरीर में ज्यादा गैस बनना या बदहजमी होना एक आम बात है. लेकिन कई बार कुछ खास प्रकार के आहार विशेषकर सब्जियों का सेवन पेट में इस प्रकार की समस्याओं (Tummy Disorder) को बढ़ा देते हैं. आमतौर पर इसके लिए बादी को जिम्मेदार माना जाता है. आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार बादी एक वायु विकार है जो पेट में गैस तथा पाचन से जुड़ी कई अन्य समस्यायों का कारण बन सकता है. तीन प्रकार के दोष वात, पित्त और कफ शरीर में अलग-अलग समस्याओं के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं. बादी से बचने के लिए जरूरी है कि खान-पान और जीवनशैली को दुरुस्त रखा जाए.

बादी से बचना है तो ... क्या आपने भी महसूस किया है कि कभी-कभी कोई सब्जी, दाल या अन्य खाद्य पदार्थ खाने पर पेट में गैस ,बदहजमी (Digestion problem) या पेट फूलने जैसी की समस्या होने लगती है. आमतौर इसे बादी का परिणाम माना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार बादी (flatulence) एक वायुविकार (Gas in stomach) है जो कुछ खास सब्जियों या दालों के सेवन से बढ़ सकता है. बादी (Stomach disorder Badi) होने पर सिर्फ हाजमें से जुड़ी समस्याएं ही नही होती हैं बल्कि कई बार पेट में दर्द या शरीर में कई प्रकार की असहजताएं भी महसूस हो सकती हैं जैसे हमेशा थका हुआ महसूस करना, आलस व सुस्ती महसूस करना तथा शरीर में भारीपन महसूस होना आदि.

वात दोष से संबंधित होती है बादी : पुरानी दिल्ली स्थित पंचकर्म आयुर्वेद सेंटर के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ बलबीर सिंह ( Dr Balbir Singh, BAMS Ayurvedic physician, Panchakarma) बताते हैं कि आयुर्वेद में माना जाता है कि किसी भी प्रकार के आहार को खाने का समय, मात्रा और प्रकार मौसम और लोगों के शरीर की प्रकृति के अनुसार होना चाहिए. मानव शरीर के तीन प्रकार के दोष या प्रकृति माने जाते हैं, वात, पित्त और कफ. यदि शरीर में इनका संतुलन बिगड़ जाए तो व्यक्ति बीमार हो जाता है.

यह तीनों दोष शरीर में अलग-अलग समस्याओं के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं. इनमें से बादी के लिए वात (Vata dosha) को जिम्मेदार माना जाता है. दरअसल वात दोष “वायु” और “आकाश” तत्वों से मिलकर बना है और तीनों दोषों में से वात या वायु को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता हैं. चरक संहिता में वायु को पाचक अग्नि बढ़ाने वाला माना गया है तथा इसका स्थान पेट और आंत में माना जाता है.ऐसे में वात दोष के बढ़ने से पाचन तथा गैस संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं जिनमें से एक बादी भी है. वह बताते हैं कि कई प्रकार की सब्जियां या दालें होती हैं जिनकी प्रकृति ही बादी करने वाली होती है. हालांकि उनका संतुलित मात्रा में सेवन करने से शरीर में ज्यादा समस्याएं नही होती हैं. लेकिन यदि उनका सेवन ज्यादा मात्रा में, असमय या पाचन संबंधी किसी समस्या के होने की अवस्था में किया जाय तो वह बादी का कारण बन सकती है.

ये चीजे बढ़ती हैं बादी : डॉ बलबीर (Dr. Balbir Singh, BAMS) बताते हैं की सामान्यतः सब्जियों में बैंगन, टमाटर, आलू, फूलगोभी, ब्रोकोली व पत्ता गोभी तथा दालों में चना, मटर, अरहर, और उड़द दाल को बादी वाले आहार की श्रेणी में रखा जाता है. इसके अलावा राजमा, लोबिया, छोले भी कई बार बादी का कारण बन सकते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नही है कि इनका सेवन करने से बादी होती ही है तथा इनका सेवन बिल्कुल भी नही करना चाहिए. किसी भी सब्जी या दाल से बादी की समस्या होना व्यक्ति के शरीर की प्रकृति पर भी निर्भर करता है. इसके अलावा किस मौसम में इनका सेवन किया जा रहा है, यह भी समस्या बढ़ने के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक माना जाता है. इसके अलावा बहुत से लोगों को दूध या उस से बनी हुई चीजों के सेवन से भी बादी की समस्या हो जाती है. वही ज्यादा मात्रा में तेल-मसालों से बना खाना, कोल्ड ड्रिंक्स तथा अल्कोहल के सेवन से भी शरीर में बादी की समस्या बढ़ सकती है.

कैसे रखें ख्याल : डॉक्टर बलबीर बताते हैं कि बादी से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि आहार और जीवनशैली को दुरुस्त रखा जाय. इसके अलावा कुछ अन्य बातों का ध्यान रखने से भी इस समस्या को नियंत्रण में रखने से मदद मिल सकती है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • यदि किसी खास सब्जी या दाल खाने के बाद बदहजमी या पेट में गैस बढ़ती है तो उसके ज्यादा मात्रा में सेवन से बचना चाहिए.
  • बादी का सामना करने वालों लोगों को सूखी सब्जियों की बजाय तरी वाली सब्जियां के सेवन को प्राथमिकता देनी चाहिए.
  • हमेशा मौसम के अनुसार बताए गए आहार और मौसमी सब्जियों व फलों का ही सेवन करना चाहिए.
  • हमेशा समय पर ताजा व सुपाच्य आहार ही ग्रहण करना चाहिए. यदि किसी कारण से खाने का समय निर्धारित ना हो विशेषकर रात का खाना देर से खाना पड़ रहा हो तो हमेशा हल्का फुल्का आहार ही ग्रहण करना चाहिए जो पाचन में सरल हो.
  • भूख से ज्यादा खाने से बचना चाहिए.
  • बादी की समस्या के लिए कई बार शरीर में विषैले पदार्थ यानी टॉक्सिन्स की मात्रा बढ़ जाने को भी जिम्मेदार माना जाता है. इस लिए बहुत जरूरी हैं कि प्रतिदिन भरपूर मात्रा में पानी पिया जाए. जिससे मूत्र के माध्यम से हमारे शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते रहें.
  • विशेषतौर पर सर्दी के मौसम में या वात दोष वाले लोगों को हमेशा ठंडी तासीर वाली चीजों के सेवन बचना चाहिए या कम से कम मात्रा में उनका सेवन करना चाहिए. यह बादी की समस्या बढ़ातें हैं.

चिकित्सक से परामर्श लें : डॉ बलबीर बताते हैं कि बादी की समस्या वैसे तो बहुत आम है लेकिन यदि यह बढ़ जाए तो कई तरह की परेशानियों का कारण भी बन सकती है. वहीं कई बार कुछ लोग ज्यादा गैस बनने या बदहजमी हों पर अपने आप कोई चूर्ण या औषधि लेने लगते हैं. उनमें से अधिकांश लोगों को यह नही पता होता है कि उक्त दवाइयों का सेवन किस समय, किस चीज के साथ तथा कितनी मात्रा में करना है, या फिर उनके साथ किन चीजों का परहेज रखना हैं. ऐसे में कई बार चूर्ण या औषधि का सेवन फायदे की बजाय शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है. इसलिए बहुत जरूरी किसी भी प्रकार की औषधि के सेवन से पहले चिकित्सीय परामर्श जरूर लिए जाय, साथ ही उक्त औषधियों के सेवन से जुड़े नियमों और सावधानियों को जानकार पूरे परहेज के साथ उनका पालन किया जाय.

वैसे तो भोजन करने के बाद शरीर में ज्यादा गैस बनना या बदहजमी होना एक आम बात है. लेकिन कई बार कुछ खास प्रकार के आहार विशेषकर सब्जियों का सेवन पेट में इस प्रकार की समस्याओं (Tummy Disorder) को बढ़ा देते हैं. आमतौर पर इसके लिए बादी को जिम्मेदार माना जाता है. आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार बादी एक वायु विकार है जो पेट में गैस तथा पाचन से जुड़ी कई अन्य समस्यायों का कारण बन सकता है. तीन प्रकार के दोष वात, पित्त और कफ शरीर में अलग-अलग समस्याओं के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं. बादी से बचने के लिए जरूरी है कि खान-पान और जीवनशैली को दुरुस्त रखा जाए.

बादी से बचना है तो ... क्या आपने भी महसूस किया है कि कभी-कभी कोई सब्जी, दाल या अन्य खाद्य पदार्थ खाने पर पेट में गैस ,बदहजमी (Digestion problem) या पेट फूलने जैसी की समस्या होने लगती है. आमतौर इसे बादी का परिणाम माना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार बादी (flatulence) एक वायुविकार (Gas in stomach) है जो कुछ खास सब्जियों या दालों के सेवन से बढ़ सकता है. बादी (Stomach disorder Badi) होने पर सिर्फ हाजमें से जुड़ी समस्याएं ही नही होती हैं बल्कि कई बार पेट में दर्द या शरीर में कई प्रकार की असहजताएं भी महसूस हो सकती हैं जैसे हमेशा थका हुआ महसूस करना, आलस व सुस्ती महसूस करना तथा शरीर में भारीपन महसूस होना आदि.

वात दोष से संबंधित होती है बादी : पुरानी दिल्ली स्थित पंचकर्म आयुर्वेद सेंटर के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ बलबीर सिंह ( Dr Balbir Singh, BAMS Ayurvedic physician, Panchakarma) बताते हैं कि आयुर्वेद में माना जाता है कि किसी भी प्रकार के आहार को खाने का समय, मात्रा और प्रकार मौसम और लोगों के शरीर की प्रकृति के अनुसार होना चाहिए. मानव शरीर के तीन प्रकार के दोष या प्रकृति माने जाते हैं, वात, पित्त और कफ. यदि शरीर में इनका संतुलन बिगड़ जाए तो व्यक्ति बीमार हो जाता है.

यह तीनों दोष शरीर में अलग-अलग समस्याओं के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं. इनमें से बादी के लिए वात (Vata dosha) को जिम्मेदार माना जाता है. दरअसल वात दोष “वायु” और “आकाश” तत्वों से मिलकर बना है और तीनों दोषों में से वात या वायु को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता हैं. चरक संहिता में वायु को पाचक अग्नि बढ़ाने वाला माना गया है तथा इसका स्थान पेट और आंत में माना जाता है.ऐसे में वात दोष के बढ़ने से पाचन तथा गैस संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं जिनमें से एक बादी भी है. वह बताते हैं कि कई प्रकार की सब्जियां या दालें होती हैं जिनकी प्रकृति ही बादी करने वाली होती है. हालांकि उनका संतुलित मात्रा में सेवन करने से शरीर में ज्यादा समस्याएं नही होती हैं. लेकिन यदि उनका सेवन ज्यादा मात्रा में, असमय या पाचन संबंधी किसी समस्या के होने की अवस्था में किया जाय तो वह बादी का कारण बन सकती है.

ये चीजे बढ़ती हैं बादी : डॉ बलबीर (Dr. Balbir Singh, BAMS) बताते हैं की सामान्यतः सब्जियों में बैंगन, टमाटर, आलू, फूलगोभी, ब्रोकोली व पत्ता गोभी तथा दालों में चना, मटर, अरहर, और उड़द दाल को बादी वाले आहार की श्रेणी में रखा जाता है. इसके अलावा राजमा, लोबिया, छोले भी कई बार बादी का कारण बन सकते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नही है कि इनका सेवन करने से बादी होती ही है तथा इनका सेवन बिल्कुल भी नही करना चाहिए. किसी भी सब्जी या दाल से बादी की समस्या होना व्यक्ति के शरीर की प्रकृति पर भी निर्भर करता है. इसके अलावा किस मौसम में इनका सेवन किया जा रहा है, यह भी समस्या बढ़ने के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक माना जाता है. इसके अलावा बहुत से लोगों को दूध या उस से बनी हुई चीजों के सेवन से भी बादी की समस्या हो जाती है. वही ज्यादा मात्रा में तेल-मसालों से बना खाना, कोल्ड ड्रिंक्स तथा अल्कोहल के सेवन से भी शरीर में बादी की समस्या बढ़ सकती है.

कैसे रखें ख्याल : डॉक्टर बलबीर बताते हैं कि बादी से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि आहार और जीवनशैली को दुरुस्त रखा जाय. इसके अलावा कुछ अन्य बातों का ध्यान रखने से भी इस समस्या को नियंत्रण में रखने से मदद मिल सकती है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • यदि किसी खास सब्जी या दाल खाने के बाद बदहजमी या पेट में गैस बढ़ती है तो उसके ज्यादा मात्रा में सेवन से बचना चाहिए.
  • बादी का सामना करने वालों लोगों को सूखी सब्जियों की बजाय तरी वाली सब्जियां के सेवन को प्राथमिकता देनी चाहिए.
  • हमेशा मौसम के अनुसार बताए गए आहार और मौसमी सब्जियों व फलों का ही सेवन करना चाहिए.
  • हमेशा समय पर ताजा व सुपाच्य आहार ही ग्रहण करना चाहिए. यदि किसी कारण से खाने का समय निर्धारित ना हो विशेषकर रात का खाना देर से खाना पड़ रहा हो तो हमेशा हल्का फुल्का आहार ही ग्रहण करना चाहिए जो पाचन में सरल हो.
  • भूख से ज्यादा खाने से बचना चाहिए.
  • बादी की समस्या के लिए कई बार शरीर में विषैले पदार्थ यानी टॉक्सिन्स की मात्रा बढ़ जाने को भी जिम्मेदार माना जाता है. इस लिए बहुत जरूरी हैं कि प्रतिदिन भरपूर मात्रा में पानी पिया जाए. जिससे मूत्र के माध्यम से हमारे शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते रहें.
  • विशेषतौर पर सर्दी के मौसम में या वात दोष वाले लोगों को हमेशा ठंडी तासीर वाली चीजों के सेवन बचना चाहिए या कम से कम मात्रा में उनका सेवन करना चाहिए. यह बादी की समस्या बढ़ातें हैं.

चिकित्सक से परामर्श लें : डॉ बलबीर बताते हैं कि बादी की समस्या वैसे तो बहुत आम है लेकिन यदि यह बढ़ जाए तो कई तरह की परेशानियों का कारण भी बन सकती है. वहीं कई बार कुछ लोग ज्यादा गैस बनने या बदहजमी हों पर अपने आप कोई चूर्ण या औषधि लेने लगते हैं. उनमें से अधिकांश लोगों को यह नही पता होता है कि उक्त दवाइयों का सेवन किस समय, किस चीज के साथ तथा कितनी मात्रा में करना है, या फिर उनके साथ किन चीजों का परहेज रखना हैं. ऐसे में कई बार चूर्ण या औषधि का सेवन फायदे की बजाय शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है. इसलिए बहुत जरूरी किसी भी प्रकार की औषधि के सेवन से पहले चिकित्सीय परामर्श जरूर लिए जाय, साथ ही उक्त औषधियों के सेवन से जुड़े नियमों और सावधानियों को जानकार पूरे परहेज के साथ उनका पालन किया जाय.

Last Updated : Aug 18, 2022, 1:36 PM IST
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