जब कभी सुगंध की बात होती है तो कस्तूरी सुगंध का जिक्र जरूर होता है. विश्व के सबसे कीमती और दुर्लभ पशु उत्पादों में गिनी जाने वाली कस्तूरी का इस्तेमाल सिर्फ इत्र बनाने के लिए ही नहीं बल्कि औषधि के रूप में भी किया जाता है. आयुर्वेद में औषधि के रूप में इसके कई फायदे बताए गए हैं. इसकी तीव्र व मोहक सुगंध के कारण ही इसका इस्तेमाल कई प्रकार के इत्र, परफ्यूम तथा सौंदर्य उत्पादों (Beauty Products) में किया जाता है.
सेहत के लिए (Benefits of Musk) लाभकारी: आयुर्वेद में कस्तूरी को औषधि की संज्ञा दी जाती है और काफी उपयोगी माना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार कस्तूरी कई प्रकार की सामान्य व जटिल शारीरिक समस्याओं के निवारण में मदद कर सकती है. कस्तूरी एक ऐसा दुर्लभ पदार्थ है जो एक विशेष प्रजाति वाले नर हिरण से प्राप्त होता है. वहीं रंगों के आधार पर इसके तीन प्रकार माने गए हैं कपिल वर्ण, पिंगल वर्ण और कृष्ण वर्ण. जो भारत और नेपाल सहित दुनिया के कई हिस्सों में मिलते है.
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आयुर्वेद में कस्तूरी (Musk in Ayurveda) के फायदे: मुंबई की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर मनीषा काले बताती हैं कि आयुर्वेद में कस्तूरी को कई रोगों के इलाज में उपयोगी माना जाता है. इसकी तासीर गर्म होती है और इसका इस्तेमाल मुख्यतः वात, पित्त और कफ से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है. वह बताती हैं कि कस्तूरी को कामेच्छा बढ़ाने वाली, धातु परिवर्तक, नेत्रों को लाभ पहुंचाने वाली, मुख रोग, दुर्गंध, वात, तृषा, मूर्छा, खांसी, विष और शीत का नाश करने वाली औषधि माना जाता है. यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Body immunity) को बढ़ाने में तो मदद करती ही है, साथ ही सर्दी जुखाम जैसे आम संक्रमणों के निवारण, त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे मुंहासे, समय से पहले त्वचा पर उम्र के प्रभाव तथा त्वचा में निखार की कमी को दूर करने में भी मदद करती है.
इसके अलावा हृदय संबंधी बीमारियों, पुरुषों में यौन स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों, महिलाओं में गर्भाशय संबंधी कुछ रोगों में, मोटापा, पुरानी खांसी, मर्दों में कमजोरी, मुंह की बदबू तथा पीलिया सहित कई रोगों के निवारण के लिए इस्तेमाल होने वाली औषधियों में किया जाता है. यही नहीं आंखों की रोशनी बढ़ाने में, दांत दर्द तथा काली खांसी में भी इसे काफी उपयोगी माना जाता है.
नियंत्रित हो इस्तेमाल: डॉ मनीषा (Dr. Manisha Kale, Ayurvedic doctor, Mumbai) बताती हैं कि बहुत जरूरी है कि कस्तूरी का इस्तेमाल चिकित्सक द्वारा बताई गई मात्रा में ही किया जाए क्योंकि ज्यादा मात्रा में इसका सेवन, कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है. वह बताती है कि गर्म मौसम में इसके सेवन से परहेज करना चाहिए. इसके अलावा इसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने से या इसे बहुत ज्यादा सूंघने से चेहरे का रंगत बदल सकती है. यहीं नही ऐसा करने से दिमाग व दांतों सहित शरीर के कई अन्य अंगों को भी नुकसान पहुँच सकता है.
डॉ मनीषा ने बताया कि आयुर्वेद में लता कस्तूरी या कुछ अन्य प्रकार की कस्तूरी का भी उल्लेख मिलता है जो कुछ अन्य जानवरों या पौधों से प्राप्त किए जाते हैं. दरअसल इन्हे कस्तूरी नाम उनकी सुगंध के आधार पर दिया जाता है. हालांकि आयुर्वेद में औषधि के रूप में उनमें से कुछ का इस्तेमाल भी किया जाता है लेकिन मृग से मिलने वाली कस्तूरी को ही असली कस्तूरी माना जाता है. मृग से मिलने वाली कस्तूरी के फायदों का उल्लेख आयुर्वेद (Ayurveda medicine) के साथ-साथ यूनानी (Unani medicine) चिकित्सा पद्धति में भी मिलता है.
चिकित्सकीय परामर्श जरूरी: डॉ मनीषा (Dr. Manisha Kale) बताती हैं कि किसी रोग या विशेष अवस्था के इलाज के लिए हमेशा किसी चिकित्सक से परामर्श के उपरांत ही जड़ी-बूटियों या औषधियों का सेवन या इस्तेमाल करना चाहिए. वह बताती हैं कि चिकित्सा विधा चाहे कोई भी हो, बिना चिकित्सीय सलाह के किसी भी प्रकार की दवाइयों या औषधि का सेवन करना सेहत पर कई प्रकार के विपरीत प्रभाव डाल सकता है.