विदिशा। एक तरफ जहां कोरोना महामारी का सितम है, तो दूसरी ओर जिले के अनेकों ग्रामीण इलाकों में जबरदस्त ओले और तेज बारिश के कारण किसानों का और खुले में पड़ा सोसाइटी का 5000 क्विंटल से अधिक गेहूं खराब हो गया, वही गेहूं के तौल के लिए आए किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है. कुल नुकसान का आंकलन किया जा रहा है, बारिश के दौरान हवा इतनी तेज थी, कि मकान के छप्पर टूट फूट गए और मकानों पर चढ़ी लोहे की चादर दूर-दूर तक हवा में उड़ गई.
दरअसल विदिशा के हैदरगढ़ क्षेत्र में लगातार आधा घंटे से अधिक आंवले से भी बड़े बड़े ओले गिरते रहे, जिससे चारों ओर रोड़ सफेद चादर से ढक गया. लोगों के छप्पर टूट फूट गए, तो वहीं मकानों पर चढ़ी लोहे की चादर उड़ गई, हैदरगढ़ क्षेत्र के धामनोद, खिरिया, जागीर, रमपुरा, झारपोनिया गांव प्रभावित हुए, बेमौसम ओलों की मार और पानी से लोग हालाकान है इस क्षेत्र पर बनी सोसायटियों में खुले आसमान में गेहूं बाहर रखा था.
हैदरगढ़ सोसाइटी के मुखिया के मुताबिक लगभग 600 बोरा गेहूं पानी और ओलों के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गया, वहीं तुलाई केंद्र पर जो किसान अपना गेहूं लेकर आए थे. उनका भी लगभग 100 बोरों से अधिक गेहूं पानी और ओलों की भेंट चढ़ गया. इन किसानों ने प्रशासन से राहत की मांग की है. किसानों ने शासन से मांग की है कि भीगे हुए गेहूं की ही तुलाई की जाए नहीं तो उन्हें बहुत नुकसान होगा.