जबलपुर: सिंगरौली कलेक्टर ने हाईकोर्ट को बताया है कि प्रशासन द्वारा अधिग्रहित जमीन का किसी अन्य शख्स को दिए गए मुआवजे को 30 दिन के भीतर वसूला जाएगा. उन्होंने इस संबंध में जबलपुर हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने याचिका पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को निर्धारित की है.
सिंगरौली कलेक्टर ने हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर दिया हलफनामा
सिंगरौली के ग्राम छीवा निवासी चित्रसेन उर्फ शास्त्री द्विवेदी ने प्रशासन द्वारा जमीन अधिग्रहण करने के बाद मुआवजा राशि किसी अन्य व्यक्ति को दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई के दौरान सिंगरौली कलेक्टर ने हाईकोर्ट के निर्देश पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर हलफनामा पेश किया.
- एमपी पुलिस आरक्षक भर्ती में अनियमितता, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 14,000 वैकेंसी को लेकर मांगा जवाब
- सास-ससुर की प्रॉपर्टी पर दामाद का हक नहीं, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का अहम आदेश
सिंगरौली के ग्राम छीवा निवासी चित्रसेन उर्फ शास्त्री द्विवेदी ने कोर्ट में याचिका दाखिल कहा था कि उनकी जमीन का अधिग्रहण ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन परियोजना के तहत किया गया था. जमीन का अधिग्रहण करने के बाद मुआवजा राशि उन्हें न देते हुए दुर्गा प्रसाद द्विवेदी को प्रदान कर दी गई. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान जवाब पेश नहीं करने पर हाईकोर्ट ने पांच हजार रुपये की कॉस्ट लगाई थी.
प्रशासन ने कहा गया था, याचिकाकर्ता के कहने पर ही दुर्गा प्रसाद द्विवेदी को दी गई मुआवजा राशि
पिछली सुनवाई के दौरान पेश किये गये जवाब में कहा गया था कि याचिकाकर्ता के कहने पर ही मुआवजा राशि दुर्गा प्रसाद द्विवेदी को दी गई था. दोनों के बीच जमीन को बेचने का एग्रीमेंट हुआ था. एकलपीठ ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि किस कानून के तहत दूसरे व्यक्ति को मुआवजा की राशि प्रदान की गई है. एकलपीठ ने एफआईआर दर्ज करवाने की चेतावनी देते हुए जिला कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से हलफनामा पेश करने के निर्देश जारी किये थे.
जिला कलेक्टर ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पेश किये हलफनामा में गलती को स्वीकार करते हुए बताया कि तीस दिनों मुआवजा की राशि दुर्गा प्रसाद द्विवेदी से वसूल कर ली जाएगी. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता लवकुश मिश्रा ने पैरवी की.