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बूंद-बूंद को मोहताज विदिशा, शासन-प्रशासन के दावे फेल, कैसे सुलझेगी पानी की समस्या

कम बारिश की वजह से पानी की किल्लत मार्च महीने के अंत से ही लोगों को परेशान कर रही है. आने-वाले दिनों में हालात और भी चिंता जनक होने वाली है.

कम बारिश की वजह से पानी की किल्लत
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Published : Mar 24, 2019, 2:59 PM IST

विदिशा। देश के कई शहरों और गांवों में जल संकट का खतरा गहराता जा रहा है. विदिशा के वार्ड क्रमांक 39 टीलाखेड़ी में नगरपालिका के रोजाना दो से तीन टैंकर सप्लाई होते हैं, जिसके बावजूद क्षेत्र में पानी की कमी बरकरार है. गर्मी के चलते आगामी दिनों में शहर में पानी की डिमांड जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं

कम बारिश की वजह से पानी की किल्लत

कम बारिश की वजह से पानी की किल्लत मार्च महीने के अंत से ही लोगों को परेशान कर रही है. जल स्तर काफी नीचे पहुंच चुका है. इससे शहर ही नहीं गांवों में भी पानी की समस्या खड़ी हो गई है. ये जल संकट की महज अभी शुरुआत ही है. आशंका जताई जा रही है कि आने-वाले दिनों में हालात और भी चिंताजनक होने वाली है. ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति को लेकर हुए प्रशासनिक इंतजाम कुछ खास कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. विदिशा शहर की बात करें तो गांव से सम्मिलित हुआ वार्ड क्रमांक 39 टीला खेड़ी आज भी सरकारी योजनाओं से कोसो दूर है.

भले ही मुख्यमंत्री नल जल योजना में लाखों खर्च करने का दावा करते है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है. यहां ना तो पानी की पाइपलाइन डल पाई है, ना ही पानी की कोई ओर व्यवस्था है. शहर के कई गांव तो ऐसे हैं जहां रहवासी 4 से 5 किमी दूर से पानी लाने को मजबूर हैं. सरकारी योजनाएं महज कागजों तक सिमट कर रह गई है. विदिशा के तहसील शमसाबाद में भी लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए करीब एक किमी तक का सफर तय करना पड़ता है.

विदिशा। देश के कई शहरों और गांवों में जल संकट का खतरा गहराता जा रहा है. विदिशा के वार्ड क्रमांक 39 टीलाखेड़ी में नगरपालिका के रोजाना दो से तीन टैंकर सप्लाई होते हैं, जिसके बावजूद क्षेत्र में पानी की कमी बरकरार है. गर्मी के चलते आगामी दिनों में शहर में पानी की डिमांड जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं

कम बारिश की वजह से पानी की किल्लत

कम बारिश की वजह से पानी की किल्लत मार्च महीने के अंत से ही लोगों को परेशान कर रही है. जल स्तर काफी नीचे पहुंच चुका है. इससे शहर ही नहीं गांवों में भी पानी की समस्या खड़ी हो गई है. ये जल संकट की महज अभी शुरुआत ही है. आशंका जताई जा रही है कि आने-वाले दिनों में हालात और भी चिंताजनक होने वाली है. ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति को लेकर हुए प्रशासनिक इंतजाम कुछ खास कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. विदिशा शहर की बात करें तो गांव से सम्मिलित हुआ वार्ड क्रमांक 39 टीला खेड़ी आज भी सरकारी योजनाओं से कोसो दूर है.

भले ही मुख्यमंत्री नल जल योजना में लाखों खर्च करने का दावा करते है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है. यहां ना तो पानी की पाइपलाइन डल पाई है, ना ही पानी की कोई ओर व्यवस्था है. शहर के कई गांव तो ऐसे हैं जहां रहवासी 4 से 5 किमी दूर से पानी लाने को मजबूर हैं. सरकारी योजनाएं महज कागजों तक सिमट कर रह गई है. विदिशा के तहसील शमसाबाद में भी लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए करीब एक किमी तक का सफर तय करना पड़ता है.

Intro:सरकारे बदली ,पर हालात आज भी नही बदले गर्मियों के दस्तक देती है जिले के कई इलाके बून्द बून्द के मोहताज हो गए कहीं पूरा परिवार पानी के लिए जदोजहद कर रहा है तो कहीं महिलाएं कोसो दूर से पानी भरने को मजबूर है पर सिस्टम हर बार की तरह इस बार भी मौन हैं ।


Body:हालात है विदिशा शहर के जहां पूरा परिवार बेताबी भरी नज़रो से पहले पानी के टैंकर का इन्तेजार करता है टेंकर आते ही पूरा इलाका पानी के टेंकर पर टूट पड़ता है पांच हजार लीटर पानी का टेंकर महज पांच मिनिट में खाली हो जाता है बच्चे बूढ़े जबान सारे लोग पानी की जदोजहद में लग जाते हैं ।
विदिशा के वार्ड क्रमांक 39 का टीला खेड़ी वार्ड बासी पार्षद पति ने बताया यह हालात 12 महीने बने रहने है गर्मियां आते ही हालात बहुत ज्यादा बिगड़ जाते है कई बाहर मांग करने के बाद भी आज तक पाइप लाइन नही डल पाई टेंकर की कई बार मांग करने के बाद दो बार टेंकर आता है इसके बाद भी पानी की पूर्ति नही हो पा रही ।


Conclusion:वहीं जिले के तहसील शमसाबाद में गर्मियां आते ही ग्राम के कई नलकूप हैडपम्प सुख गए ग्राम बासी कई बार गुहार लगाने के बाद भी आज तक सुनबाई नही हो सकी महिलाओं को पानी के लिए कई किलोमीटर दूर आना पड़ता है गड्डो से पानी निकालकर ले जाना पड़ता हैं।
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