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Valentines Day 2022: 'सूरत से नहीं सीरत से करें प्यार', इश्क की अनोखी दास्तां बयां करती है ये कहानी

आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी- 'इश्क सूरत से नहीं, सीरत से होता है'. वैलेंटाइन डे पर हम खास आपके लिए लाए हैं, ऐसी ही दिलचस्प कहानी जिसने मोहब्बत की एक अलग ही मिसाल पेश की है.

Valentines Day 2022
इश्क की अनोखी दास्तां बयां करती है ये कहानी
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Published : Feb 14, 2022, 7:31 PM IST

विदिशा। आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी- 'इश्क सूरत से नहीं, सीरत से होता है'. वैलेंटाइन डे पर हम खास आपके लिए लाए हैं, ऐसी ही दिलचस्प कहानी जिसने मोहब्बत की एक अलग ही मिसाल पेश की है. दरअसल, राजधानी के हेडलाइंस सिरोंज के अयोध्या बस्ती के निवासी अब्दुर रज्जाक खान ने आज से 40 साल पहले प्यार का ऐसा संदेश दिया, जिससे लोग आज भी उनके फैन हैं.

इश्क की अनोखी दास्तां बयां करती है ये कहानी

इस वजह से टूटा रिश्ता
आज से 40 साल पहले दीपनाखेड़ा गांव की रहने वाली शहजादी बी की शादी शिवपुरी में तय हुआ था, लेकिन दूल्हे को शहजादी बी की विकलांग होने की खबर लगी तो दूल्हे ने शादी करने के लिए कुछ शर्तें रखीं. इन शर्तों में सबसे बड़ी शर्त दहेज के रूप में ढ़ेर सारे पैसे की मांग थी.

ऐसे बदली कहानी
मवेशी चराने वाला गरीब परिवार दूल्हे की डिमांड पूरी न कर सका और आखिरकार शादी टूट गई. जब इसकी खबर सिरोंज निवासी अब्दुर रज्जाक खान को लगी तो वह शहजादी बी के गांव पुहुंचे और शहजादी बी से शादी कर उन्हें सिरोंज ले आए. अब्दुर ने बिना कुछ कहे समझे शादी कर ली, बाबजूद इसके कि इस शादी से ना तो उन्हें दहेज मिलेगा और ना शहजादी बी की विकलांगता कभी खत्म होगी.

Valentines Day 2022: एमपी के एक IPS अधिकारी की लव स्टोरी! दोस्तों का एक मैसेज और मिली गई लाइफ पार्टनर, पढ़िए पूरी दास्तां

इश्क सूरत से नहीं, सीरत से होता है
फिलहाल आज दोनों परिवार के खुशहाल जीवन जी रहे हैं, अब्दुर ने वेलेंटाइन डे के मौके पर पर युवाओं को संदेश दिया है कि, प्यार सूरत से नहीं सीरत से किया जाता है.

विदिशा। आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी- 'इश्क सूरत से नहीं, सीरत से होता है'. वैलेंटाइन डे पर हम खास आपके लिए लाए हैं, ऐसी ही दिलचस्प कहानी जिसने मोहब्बत की एक अलग ही मिसाल पेश की है. दरअसल, राजधानी के हेडलाइंस सिरोंज के अयोध्या बस्ती के निवासी अब्दुर रज्जाक खान ने आज से 40 साल पहले प्यार का ऐसा संदेश दिया, जिससे लोग आज भी उनके फैन हैं.

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आज से 40 साल पहले दीपनाखेड़ा गांव की रहने वाली शहजादी बी की शादी शिवपुरी में तय हुआ था, लेकिन दूल्हे को शहजादी बी की विकलांग होने की खबर लगी तो दूल्हे ने शादी करने के लिए कुछ शर्तें रखीं. इन शर्तों में सबसे बड़ी शर्त दहेज के रूप में ढ़ेर सारे पैसे की मांग थी.

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मवेशी चराने वाला गरीब परिवार दूल्हे की डिमांड पूरी न कर सका और आखिरकार शादी टूट गई. जब इसकी खबर सिरोंज निवासी अब्दुर रज्जाक खान को लगी तो वह शहजादी बी के गांव पुहुंचे और शहजादी बी से शादी कर उन्हें सिरोंज ले आए. अब्दुर ने बिना कुछ कहे समझे शादी कर ली, बाबजूद इसके कि इस शादी से ना तो उन्हें दहेज मिलेगा और ना शहजादी बी की विकलांगता कभी खत्म होगी.

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फिलहाल आज दोनों परिवार के खुशहाल जीवन जी रहे हैं, अब्दुर ने वेलेंटाइन डे के मौके पर पर युवाओं को संदेश दिया है कि, प्यार सूरत से नहीं सीरत से किया जाता है.

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