विदिशा। मध्य प्रदेश के विदिशा के कलेक्ट्रेट में वन विभाग के कर्मचारी संगठन ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा. जिसमें लटेरी की घटना का जिक्र करते हुए बताया गया कि आत्मरक्षा के लिए वनकर्मियों ने बचाव में गोली चलाई थी. गृह विभाग मप्र के 2012 के आदेश का हवाला देते हुए आत्म रक्षा के लिए उठाए गए इस प्रकार के कदम हत्या जैसे जघन्य मामले में शामिल नहीं किए जाने चाहिए. वनकर्मियों पर लगाई गई धारा 302 को खारिज किया जाए. (Vidisha Lateri Firing Case)
कर्मचारी संगठन ने की न्यायिक जांच की मांग: कर्मचारी संगठन ने ज्ञापन में बताया कि जिन वनकर्मियों को वनों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है, वह अपना कार्य कर रहे थे. जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है, उस पर पहले भी लकड़ी चोरी के प्रकरण दर्ज हुए हैं और वह आदतन अपराधी भी रहा है. उन्होंने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है. जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक वन कर्मियों की गिरफ्तारी न की जाए. (Forest workers organization angry)
वनकर्मियों का टूटेगा मनोबल: कर्मचारी संगठन का कहना है कि एक और शासन-प्रशासन वन अमले को खाकी वर्दी देने के साथ बंदूक भी देती है. ताकि जंगलों में वन संपदा, लकड़ी, वन्य प्राणी और इससे जुड़े विभिन्न चीजों को सुरक्षित रखा जा सके. जब वनों में लकड़ी कटाई होने के मामले सामने आते हैं तब भी वनकर्मियों पर ही गाज गिरती है. आज अवैध कटाई और अवैध परिवहन पर शासन के निर्देशानुसार कार्रवाई करने का प्रयास किया गया, तब भी वनकर्मियों पर ही गाज गिरी है. इस लिहाज से अब वनकर्मी मुखबिर की सूचना तो दूर आंखों के सामने चोरी हो रही लकड़ियों पर भी कार्रवाई करने से गुरेज करेगा.
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चार पहिया की बजाय दो पहिया: लटेरी के दक्षिण रेंज के रायपुरा गांव में हर दूसरे से तीसरे दिन जंगल से लकड़ी लाने का सिलसिला जारी रहता है. बड़े चार पहिया वाहन को पकड़ना आसान होता है, लेकिन दुपहिया वाहन चालकों द्वारा लकड़ी लाने पर पकड़ना मुश्किल हो जाता है. शासन के निर्देशानुसार भील आदिवासी और जंगली क्षेत्र में रहने वाले जनजातीय लोगों को जंगल की लकड़ी और अन्य संसाधनों का उपयोग सीमित रूप से करने की अनुमति है, क्योंकि वही उनका घर है, उसी से उनकी रोजी रोटी चलती है. इसी का फायदा उठाते हुए वन माफिया और लकड़ी चोर जंगल से लकड़ियों को काटने और उसका परिवहन करने में लगे हुए हैं.
मृतक पर चोरी के कई मामले दर्ज: जानकार बताते हैं कि जंगल से एक या दो बाइक नहीं बल्कि 50 से ज्यादा बाइक दो-दो व्यक्ति सवार होते हैं. प्रत्येक बाइक पर तीन से चार सिल्ली सागौन की लकड़ियां ले जाई जाती हैं. जो एक ट्रक के बराबर हो जाती हैं. वन विभाग की फायरिंग में जिसकी मौत हुई है वह लकड़ी चोरी के कई प्रकरणों में फंस चुका है.
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