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पिता ने किया ओवर टाइम काम तो मां ने गिरवी रखे गहने, मेहनत से ISRO में साइंटिस्ट बनीं सना

एक बस ड्राइवर की बेटी सना अली तमाम बाधाओं को पार करते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वैज्ञानिक बनने के लिए पूरी तरह तैयार है (Success Story Driver Daughter Sana Ali). मध्य प्रदेश क्षेत्र विदिशा जिले की मूल निवासी, सना को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र ISRO में सहायक तकनीकी इंजीनियर के रूप में काम करने के लिए चुना गया है.

Sana selection in ISRO
सना का इसरो में हुआ चयन
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Published : Jan 20, 2023, 10:00 AM IST

Updated : Jan 20, 2023, 2:32 PM IST

सना का इसरो में हुआ चयन

विदिशा। शहर की होनहार प्रतिभाओं में एक और बड़ा सितारा बनकर उभरी हैं सना अली (Sana Ali Selected in ISRO). सना अली का चयन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र ISRO में सहायक तकनीकी इंजीनियर के पद पर हुआ है. सीमित संसाधनों के बावजूद सना ने अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत की. आर्थिक तंगी भी सना के हौसले के बीच दीवार नहीं बन सकी, क्योंकि उनका परिवार उन्हें शिक्षित करने के लिए हर संभव तरीके से उनके साथ खड़ा था. अब, वह सबसे प्रतिष्ठित अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक में काम करेंगी. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी सना को इस सफलता के लिए बधाई दी है.

Sana selection in ISRO
माता पिता के साथ सना

बचपन से इसरो में करना चाहती थीं काम: सना बचपन से ही मेधावी छात्रा रही हैं, वह SATI कॉलेज में अध्ययनरत रहीं, यहां से उन्होंने एम टेक किया. बचपन से ही सना अली को अंतरिक्ष के प्रति लगाव था, वे इस क्षेत्र में अनुसंधान कर देश की सेवा करना चाहती थीं. सना की जिंदगी भी कम संघर्षों भरी नहीं रही है. पिता साजिद अली एसएटीआई कॉलेज में ड्राइवर थे, बाद में वह लैब असिस्टेंट की पोस्ट पर रहे. उन्होंने लोन लेकर बेटी की शिक्षा पूर्ण की, कभी-कभी ऐसा भी वक्त आया कि सना की माता जी को अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए अपने गहने तक गिरवी रखने पड़े, परंतु अपनी संतान की पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने दी. सना ने खुद भी अपना व्यक्तिगत खर्च चलाने के लिए पढ़ाई के दौरान ही ट्यूशन कार्य भी किया.

लक्ष्य से पीछे ना हटो, एक दिन सफलता जरूर मिलेगी: मीडिया से बात करते हुए सना अली ने कहा, "मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूं, मुझे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, इसरो में सहायक तकनीकी इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया गया है. मैं उन सभी महिलाओं को संदेश देना चाहती हूं जो अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहती हैं, सना का कहना है कि आपने अपने लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे प्राप्त करने के लिए पूरा प्रयास करें, आपको सभी असफलताओं को दरकिनार करते हुए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है, तब तक काम बंद नहीं करना चाहिए जब तक आप अपने सपने को पूरा नहीं कर लेते. वित्तीय बाधाएं आपको सपनों को साकार करने से कभी नहीं रोक सकतीं. असफलताओं से कभी घबराओ मत अपने लक्ष्य पर कायम रहो, सफलता एक दिन आपके कदम चूमेगी.

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रिश्तेदारों ने कहा बेटी को इतना पढ़ाकर क्या करोगे: सना ने आगे कहा कि मेरे पिता पर मेरे रिश्तेदारों ने मेरी शादी के लिए दबाव डाला, लेकिन इसके बावजूद मुझे शिक्षा प्रदान करने के लिए पिता को अतिरिक्त घंटे काम करना पड़ा और कर्ज लेना पड़ा. मेरे रिश्तेदार अक्सर मेरे माता-पिता से कहते थे कि वे मेरी शिक्षा पर पैसे क्यों बर्बाद कर रहे हैं क्योंकि एक दिन मुझे उन्हें छोड़ना होगा, शादी करके दूसरे घर जाना होगा. लेकिन मेरे पिता ने इस बातों पर ध्यान नहीं दिया और पढ़ाई करने में मेरी मदद की. मेरे माता पिता की दुआओं और मेरी कड़ी मेहनत का नतीजा है कि मैंने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया. मैंने एक निजी कॉलेज में पढ़ाकर जो कमाई की थी, उससे पिता द्वारा लिया गया कर्ज उतार दिया. अब, मुझे खुशी है कि मैंने देश की सेवा करने के अपने माता-पिता के सपने को आखिरकार पूरा कर लिया है.

पिता बोले-बेटी की मेहनत रंग लाई: सना के पिता सैयद साजिद अली ने कहा, "मैं सती पॉलिटेक्निक कॉलेज में एक बस ड्राइवर हूं, मैंने अपनी बेटी को शिक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत की और हमेशा बेटी से कहा कि उसे कड़ी मेहनत करनी है और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है, हमने तमाम आर्थिक समस्याओं के बावजूद उसकी शिक्षा जारी रखी. मैंने कर्ज लिया और अतिरिक्त घंटे काम किया, और उसकी माँ ने अपने सोने के गहने गिरवी रख दिए, लेकिन हमारी बेटी ने भी अपनी पढ़ाई में पूरी मेहनत की और इस मुकाम तक पहुंची. सैयद साजिद अली ने कहा, हम बेहद खुश और गौरवान्वित हैं, सना इस बात का सबूत है कि प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों में भी मेहनत रंग लाएगी. पिछले वर्ष ही सना का विवाह ग्वालियर के इंजीनियर अकरम से हुआ है, उनके पति और ससुराल वालों का भी उनको भरपूर सहयोग मिला.

सना का इसरो में हुआ चयन

विदिशा। शहर की होनहार प्रतिभाओं में एक और बड़ा सितारा बनकर उभरी हैं सना अली (Sana Ali Selected in ISRO). सना अली का चयन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र ISRO में सहायक तकनीकी इंजीनियर के पद पर हुआ है. सीमित संसाधनों के बावजूद सना ने अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत की. आर्थिक तंगी भी सना के हौसले के बीच दीवार नहीं बन सकी, क्योंकि उनका परिवार उन्हें शिक्षित करने के लिए हर संभव तरीके से उनके साथ खड़ा था. अब, वह सबसे प्रतिष्ठित अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक में काम करेंगी. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी सना को इस सफलता के लिए बधाई दी है.

Sana selection in ISRO
माता पिता के साथ सना

बचपन से इसरो में करना चाहती थीं काम: सना बचपन से ही मेधावी छात्रा रही हैं, वह SATI कॉलेज में अध्ययनरत रहीं, यहां से उन्होंने एम टेक किया. बचपन से ही सना अली को अंतरिक्ष के प्रति लगाव था, वे इस क्षेत्र में अनुसंधान कर देश की सेवा करना चाहती थीं. सना की जिंदगी भी कम संघर्षों भरी नहीं रही है. पिता साजिद अली एसएटीआई कॉलेज में ड्राइवर थे, बाद में वह लैब असिस्टेंट की पोस्ट पर रहे. उन्होंने लोन लेकर बेटी की शिक्षा पूर्ण की, कभी-कभी ऐसा भी वक्त आया कि सना की माता जी को अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए अपने गहने तक गिरवी रखने पड़े, परंतु अपनी संतान की पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने दी. सना ने खुद भी अपना व्यक्तिगत खर्च चलाने के लिए पढ़ाई के दौरान ही ट्यूशन कार्य भी किया.

लक्ष्य से पीछे ना हटो, एक दिन सफलता जरूर मिलेगी: मीडिया से बात करते हुए सना अली ने कहा, "मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूं, मुझे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, इसरो में सहायक तकनीकी इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया गया है. मैं उन सभी महिलाओं को संदेश देना चाहती हूं जो अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहती हैं, सना का कहना है कि आपने अपने लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे प्राप्त करने के लिए पूरा प्रयास करें, आपको सभी असफलताओं को दरकिनार करते हुए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है, तब तक काम बंद नहीं करना चाहिए जब तक आप अपने सपने को पूरा नहीं कर लेते. वित्तीय बाधाएं आपको सपनों को साकार करने से कभी नहीं रोक सकतीं. असफलताओं से कभी घबराओ मत अपने लक्ष्य पर कायम रहो, सफलता एक दिन आपके कदम चूमेगी.

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रिश्तेदारों ने कहा बेटी को इतना पढ़ाकर क्या करोगे: सना ने आगे कहा कि मेरे पिता पर मेरे रिश्तेदारों ने मेरी शादी के लिए दबाव डाला, लेकिन इसके बावजूद मुझे शिक्षा प्रदान करने के लिए पिता को अतिरिक्त घंटे काम करना पड़ा और कर्ज लेना पड़ा. मेरे रिश्तेदार अक्सर मेरे माता-पिता से कहते थे कि वे मेरी शिक्षा पर पैसे क्यों बर्बाद कर रहे हैं क्योंकि एक दिन मुझे उन्हें छोड़ना होगा, शादी करके दूसरे घर जाना होगा. लेकिन मेरे पिता ने इस बातों पर ध्यान नहीं दिया और पढ़ाई करने में मेरी मदद की. मेरे माता पिता की दुआओं और मेरी कड़ी मेहनत का नतीजा है कि मैंने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया. मैंने एक निजी कॉलेज में पढ़ाकर जो कमाई की थी, उससे पिता द्वारा लिया गया कर्ज उतार दिया. अब, मुझे खुशी है कि मैंने देश की सेवा करने के अपने माता-पिता के सपने को आखिरकार पूरा कर लिया है.

पिता बोले-बेटी की मेहनत रंग लाई: सना के पिता सैयद साजिद अली ने कहा, "मैं सती पॉलिटेक्निक कॉलेज में एक बस ड्राइवर हूं, मैंने अपनी बेटी को शिक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत की और हमेशा बेटी से कहा कि उसे कड़ी मेहनत करनी है और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है, हमने तमाम आर्थिक समस्याओं के बावजूद उसकी शिक्षा जारी रखी. मैंने कर्ज लिया और अतिरिक्त घंटे काम किया, और उसकी माँ ने अपने सोने के गहने गिरवी रख दिए, लेकिन हमारी बेटी ने भी अपनी पढ़ाई में पूरी मेहनत की और इस मुकाम तक पहुंची. सैयद साजिद अली ने कहा, हम बेहद खुश और गौरवान्वित हैं, सना इस बात का सबूत है कि प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों में भी मेहनत रंग लाएगी. पिछले वर्ष ही सना का विवाह ग्वालियर के इंजीनियर अकरम से हुआ है, उनके पति और ससुराल वालों का भी उनको भरपूर सहयोग मिला.

Last Updated : Jan 20, 2023, 2:32 PM IST
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