ETV Bharat / state

विदिशा में मौजूद है इतिहास, धर्म और पर्यटन का अनूठा संगम, एक बार आएंगे तो यहीं के हो जाएंगे

author img

By

Published : Sep 27, 2020, 4:51 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 7:22 PM IST

विदिशा में इतिहास, धर्म और पर्यटन का अनूठा संगम मौजूद है. यहां उदयगिरी की पहाड़ी पर पत्थरों को काट कर अद्भुत कारीगरी की गई है. मनोरा मेला के नाम से विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है, जबकि बेतवा नदी के बीच बना ऐतिहासिक चरण तीर्थ मंदिर अपने आप में अनोखा है. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट....

Vidisha tourism
विदिशा का पर्यटन

विदिशा। विदिशा जिले में इतिहास,धर्म और पर्यटन का अनूठा संगम है. एक तरफ जहां अनूठा संगम में कई पुरानी सम्पदाएं हैं तो वहीं दूसरी तरफ जिले भर में मौजूद ऐतिहासिक पुरातन काल की याद दिलाते हैं. बेतवा नदीं से भी विदिशा की पहचान होती है, जो धार्मिक परंपराओं और रीतिरिवाजों को आज भी जिंदा रखे हुए हैं. विदिशा जिले की उदयगिरी की ढाई हजार साल पुरानी पहाड़ी यहां की खूबसूरती को अपने आप में समेटे हुए हैं. यहां प्रकृति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. सालों पुरानी हरी-भरी पहाड़ी पर मौजदू काले पत्थर, चट्टानों के बीच बनी गुफाएं, मानो 21वीं सदी से पुराने काल में ले जाकर खड़ा कर देती हैं, चट्टानों पर गई गई नक्कासी राजाकाल की याद दिलाती है.

विदिशा में पर्यटन का अनूठा संगम

उदयगिरी में है सम्राट अशोक की ससुराल

सम्राट अशोक की ससुराल कहे जाने वाली उदय गिरी का नाम चैत्यगिरी था. बताया जाता है इसी पहाड़ी के इलाके से सम्राट अशोक ने एक व्यापारी की लड़की से शादी की थी. इस पहाड़ी में कई गुफाएं हैं, जो आज भी जिंदा हैं, उदयगिरी की पहाड़ी पर बने पत्थरों को काट कर अद्भुत कारीगरी का एक नमूना यहां देखने मिलता है. यहां पत्थरों पर शैल चित्र अंकित हैं. किसी पर भगवान विष्णु तो कहीं बाल गणेश बने हुए हैं. इस पहाड़ी को देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक आते हैं. पर्यटन की दृष्टि से उदय गिरी की पहाड़ी का अपना ही एक स्थान है. पर्यटन विभाग की ओर से समय-समय पर पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए इस पहाड़ी पर अनेक प्रकार का विकास कार्य भी किया जाता रहा है.

Rock painting
शैल चित्र

विशाल मनोरा मेले का होता है आयोजन

विदिशा में एक नहीं बल्कि कई पर्यटन स्थल हैं, जहां इतिहास और धर्म का अपने आप में संगम है. जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर मनोरा मंदिर के नाम से ऐतिहासिक मंदिर बना हुआ है. यहां साल में एक बार मनोरा मेला के नाम से विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. जिला मुख्यालय से 150 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पठारी में भगवान राम सीता का भी ऐतिहासिक मंदिर बना हुआ है. भारत में राम सीता के एक साथ मंदिर बहुत कम जगह देखने मिलते हैं. इस मंदिर में हजार की संख्या में एक ही जगह पर आग कुंड बने हुए हैं. जब यहां यग होता है तो इसकी विशाल आवाज कई गांव में तक एक साथ गूंजती है.

The artwork
कलाकृति

भगवान राम के चरण चिन्ह आज भी हैं मौजूद

बेतवा नदी के बीच बना ऐतिहासिक चरण तीर्थ मंदिर की पर्यटन की दृष्टि से अपनी एक अलग ही पहचान है. चरण तीर्थ स्थल से मध्यप्रदेश के तमाम जिलों के लोगों की आस्था जुड़ी है. बताया जाता है कि जब भगवान श्रीराम वनवास के लिए जा रहे थे, तब भगवान ने यहां विश्राम किया था. उनके चरणों के निशान मंदिर में आज भी मौजूद हैं. उनके चरणों के निशान से ही इस मंदिर का नाम चरण तीर्थ मंदिर पड़ा. राम के साथ ऐतिहासिक राधा जी का मंदिर भी इसी जिले में है, जो केवल साल में एक बार भक्तों के दर्शन के लिए राधाष्टमी पर खोला जाता है. सबसे अद्भुत बात भगवानों के साथ यहां रावण भी अपनी जगह बनाये हुए हैं. रावण का ऐतिहासिक विशाल मंदिर है, जिससे पूरे गांव का नाम रावण गांव पड़ा है, यहां के ग्रामीण रावण को रावण बाबा के नाम से पूजते हैं.

Footsteps of shriram
श्रीराम के चरणों के निशान

विदिशा। विदिशा जिले में इतिहास,धर्म और पर्यटन का अनूठा संगम है. एक तरफ जहां अनूठा संगम में कई पुरानी सम्पदाएं हैं तो वहीं दूसरी तरफ जिले भर में मौजूद ऐतिहासिक पुरातन काल की याद दिलाते हैं. बेतवा नदीं से भी विदिशा की पहचान होती है, जो धार्मिक परंपराओं और रीतिरिवाजों को आज भी जिंदा रखे हुए हैं. विदिशा जिले की उदयगिरी की ढाई हजार साल पुरानी पहाड़ी यहां की खूबसूरती को अपने आप में समेटे हुए हैं. यहां प्रकृति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. सालों पुरानी हरी-भरी पहाड़ी पर मौजदू काले पत्थर, चट्टानों के बीच बनी गुफाएं, मानो 21वीं सदी से पुराने काल में ले जाकर खड़ा कर देती हैं, चट्टानों पर गई गई नक्कासी राजाकाल की याद दिलाती है.

विदिशा में पर्यटन का अनूठा संगम

उदयगिरी में है सम्राट अशोक की ससुराल

सम्राट अशोक की ससुराल कहे जाने वाली उदय गिरी का नाम चैत्यगिरी था. बताया जाता है इसी पहाड़ी के इलाके से सम्राट अशोक ने एक व्यापारी की लड़की से शादी की थी. इस पहाड़ी में कई गुफाएं हैं, जो आज भी जिंदा हैं, उदयगिरी की पहाड़ी पर बने पत्थरों को काट कर अद्भुत कारीगरी का एक नमूना यहां देखने मिलता है. यहां पत्थरों पर शैल चित्र अंकित हैं. किसी पर भगवान विष्णु तो कहीं बाल गणेश बने हुए हैं. इस पहाड़ी को देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक आते हैं. पर्यटन की दृष्टि से उदय गिरी की पहाड़ी का अपना ही एक स्थान है. पर्यटन विभाग की ओर से समय-समय पर पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए इस पहाड़ी पर अनेक प्रकार का विकास कार्य भी किया जाता रहा है.

Rock painting
शैल चित्र

विशाल मनोरा मेले का होता है आयोजन

विदिशा में एक नहीं बल्कि कई पर्यटन स्थल हैं, जहां इतिहास और धर्म का अपने आप में संगम है. जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर मनोरा मंदिर के नाम से ऐतिहासिक मंदिर बना हुआ है. यहां साल में एक बार मनोरा मेला के नाम से विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. जिला मुख्यालय से 150 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पठारी में भगवान राम सीता का भी ऐतिहासिक मंदिर बना हुआ है. भारत में राम सीता के एक साथ मंदिर बहुत कम जगह देखने मिलते हैं. इस मंदिर में हजार की संख्या में एक ही जगह पर आग कुंड बने हुए हैं. जब यहां यग होता है तो इसकी विशाल आवाज कई गांव में तक एक साथ गूंजती है.

The artwork
कलाकृति

भगवान राम के चरण चिन्ह आज भी हैं मौजूद

बेतवा नदी के बीच बना ऐतिहासिक चरण तीर्थ मंदिर की पर्यटन की दृष्टि से अपनी एक अलग ही पहचान है. चरण तीर्थ स्थल से मध्यप्रदेश के तमाम जिलों के लोगों की आस्था जुड़ी है. बताया जाता है कि जब भगवान श्रीराम वनवास के लिए जा रहे थे, तब भगवान ने यहां विश्राम किया था. उनके चरणों के निशान मंदिर में आज भी मौजूद हैं. उनके चरणों के निशान से ही इस मंदिर का नाम चरण तीर्थ मंदिर पड़ा. राम के साथ ऐतिहासिक राधा जी का मंदिर भी इसी जिले में है, जो केवल साल में एक बार भक्तों के दर्शन के लिए राधाष्टमी पर खोला जाता है. सबसे अद्भुत बात भगवानों के साथ यहां रावण भी अपनी जगह बनाये हुए हैं. रावण का ऐतिहासिक विशाल मंदिर है, जिससे पूरे गांव का नाम रावण गांव पड़ा है, यहां के ग्रामीण रावण को रावण बाबा के नाम से पूजते हैं.

Footsteps of shriram
श्रीराम के चरणों के निशान
Last Updated : Sep 27, 2020, 7:22 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.