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सुने रह गए मध्य प्रदेश के घरौंदे, सोवियत रूस-यूक्रेन युद्ध ने रोकी प्रवासी पक्षियों की उड़ान - INDORE SIRPUR RAMSAR SITE

सोवियत रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते प्रवासी पक्षी भारत नहीं पहुंचे हैं. इंदौर का रामसर साइट इस समय सूना पड़ा है.

Migratory birds not reach India
इंदौर नहीं पहुंचे प्रवासी पक्षी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 5, 2025, 1:55 PM IST

इंदौर: सोवियत रूस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध के कारण इंसान तो क्या पर्यावरण और पक्षी भी युद्ध की विभीषिका से बच नहीं पाए. युद्ध विराम के बाद फिलहाल स्थिति यह है कि सर्दियों के सीजन में देश की विभिन्न रामसर साइट और वन्य अभ्यारण्य में प्रजनन और प्रवास के लिए हजारों की तादाद में आने वाले पक्षी इस बार आधी संख्या में भी नहीं पहुंचे हैं. नतीजतन इस बार इंदौर सहित देश के कई वन्य अभ्यारण और जलीय इलाके प्रवासी पक्षियों के बिना सूने हैं.

नवंबर से फरवरी तक भारत में रहते हैं प्रवासी पक्षी
दरअसल, दुनिया भर में पक्षी अपनी मौसम आधारित गतिविधि के चलते प्रजनन और भोजन की तलाश में उत्तरी देश और बर्फीले इलाकों से दक्षिण की ओर प्रवास करते हैं. प्रवास के दौरान हजारों मील की उड़ान भरते समय पक्षी अपने सहज ज्ञान को नेविगेट करते हुए सितारों, चुंबकीय क्षेत्र का आकलन करते हुए देश के आद्रता भरे मैदान और वन्य अभ्यारण के जलीय क्षेत्र में नवंबर माह से फरवरी तक रहते हैं. यहां रहकर प्रजनन के साथ अपने चूजों और बच्चों को भरपूर भोजन के साथ सुरक्षित आश्रय उपलब्ध कराते हैं.

युद्ध के चलते प्रवासी पक्षी भारत नहीं पहुंचे (ETV Bharat)

आधी संख्या में भी नहीं पहुंचे पक्षी
लिहाजा देश के कई वन अभ्यारण और रामसर साइट इन दिनों तरह-तरह के रंगीन और खूबसूरत प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट और चहल कदमी से गुलजार रहते हैं. लेकिन इस बार अधिकांश पक्षी भारत के विभिन्न मैदानी इलाकों और वन्य क्षेत्र में आधी संख्या में भी नहीं पहुंचे हैं. जिसका कारण पक्षी और वन्य जीव विशेषज्ञ सोवियत रूस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध को बता रहे हैं.

BIRDS SCARED S RUSSIA UKRAINE WAR
देश के इन इलाकों में पहुंचते हैं प्रवासी पक्षी (ETV Bharat)

पक्षियों पर पड़ा युद्ध का असर
इंदौर में नेचर केयर संस्था के प्रमुख और रामसर साइट के पक्षी विशेषज्ञ भालू मोंडे क्या कहना है कि, ''यूक्रेन में युद्ध का असर पक्षियों पर पड़ा है. जो इन सर्दियों में अपने प्रवास मार्गों से भटकने के कारण विभिन्न स्थानों पर नहीं पहुंच पाए. जितने पहुंचे हैं वह भी आधे प्रवास काल की स्थिति में हैं.'' उन्होंने बताया, ''प्रवास के मार्ग में युद्ध क्षेत्र आ जाने से या तो पक्षी रास्ता भटक गए या आ ही नहीं पाए. जिसके कारण इस बार कई मैदानी वन क्षेत्र और जलीय इलाकों में प्रवासी पक्षी नजर नहीं आ रहे हैं.''

Migratory birds not reach India
सुने रह गए घरोंदे (ETV Bharat)

देश के इन इलाकों में पहुंचते हैं प्रवासी पक्षी
इंदौर की रामसर साइट सिरपुर तालाब के जल क्षेत्र में इन दिनों कम से कम 20000 से प्रवासी पक्षियों का डेरा रहता है. जो फरवरी अंत तक यहां रहकर प्रजनन करने के साथ सर्दिया बिताते हैं. जिसके कारण पूरे इलाके में पूरे सीजन के दौरान पक्षियों का कलरव और चहचहाहट सुनाई देती है. इन पक्षियों में साइबेरियन क्रेन, ग्रेटर फ्लैमिंगो, मिस क्रेन, ब्लू टैल्ड, रूडी शेल्डक, यूरेशियन स्पैरोहॉक, रफ बर्ड, रोजी पेलिकन, कंगी बत्तख ब्लैक टेल्ड गोदवेट आदि का जमावड़ा रहता है.

इन स्थानों पर भी करते हैं बसेरा
इंदौर की सिरपुर रामसर साइट के अलावा बड़ी संख्या में पक्षी केवलादेव अभ्यारण राजस्थान पहुंचते हैं. इसके अलावा सांभर साल्ट लेक, रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य माउंट आबू के अलावा मध्य प्रदेश में चंबल नदी के आसपास भी पहुंचते हैं. वहीं, आंध्र प्रदेश की कोलेरू झील, उड़ीसा की चिल्का झील, गुजरात का कच्छ रैंक क्षेत्र, हरियाणा में सुल्तानपुर झील और क्लाइंट कैलिफऐरो अभ्यारण्य भी पहुंचते हैं.

इंदौर: सोवियत रूस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध के कारण इंसान तो क्या पर्यावरण और पक्षी भी युद्ध की विभीषिका से बच नहीं पाए. युद्ध विराम के बाद फिलहाल स्थिति यह है कि सर्दियों के सीजन में देश की विभिन्न रामसर साइट और वन्य अभ्यारण्य में प्रजनन और प्रवास के लिए हजारों की तादाद में आने वाले पक्षी इस बार आधी संख्या में भी नहीं पहुंचे हैं. नतीजतन इस बार इंदौर सहित देश के कई वन्य अभ्यारण और जलीय इलाके प्रवासी पक्षियों के बिना सूने हैं.

नवंबर से फरवरी तक भारत में रहते हैं प्रवासी पक्षी
दरअसल, दुनिया भर में पक्षी अपनी मौसम आधारित गतिविधि के चलते प्रजनन और भोजन की तलाश में उत्तरी देश और बर्फीले इलाकों से दक्षिण की ओर प्रवास करते हैं. प्रवास के दौरान हजारों मील की उड़ान भरते समय पक्षी अपने सहज ज्ञान को नेविगेट करते हुए सितारों, चुंबकीय क्षेत्र का आकलन करते हुए देश के आद्रता भरे मैदान और वन्य अभ्यारण के जलीय क्षेत्र में नवंबर माह से फरवरी तक रहते हैं. यहां रहकर प्रजनन के साथ अपने चूजों और बच्चों को भरपूर भोजन के साथ सुरक्षित आश्रय उपलब्ध कराते हैं.

युद्ध के चलते प्रवासी पक्षी भारत नहीं पहुंचे (ETV Bharat)

आधी संख्या में भी नहीं पहुंचे पक्षी
लिहाजा देश के कई वन अभ्यारण और रामसर साइट इन दिनों तरह-तरह के रंगीन और खूबसूरत प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट और चहल कदमी से गुलजार रहते हैं. लेकिन इस बार अधिकांश पक्षी भारत के विभिन्न मैदानी इलाकों और वन्य क्षेत्र में आधी संख्या में भी नहीं पहुंचे हैं. जिसका कारण पक्षी और वन्य जीव विशेषज्ञ सोवियत रूस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध को बता रहे हैं.

BIRDS SCARED S RUSSIA UKRAINE WAR
देश के इन इलाकों में पहुंचते हैं प्रवासी पक्षी (ETV Bharat)

पक्षियों पर पड़ा युद्ध का असर
इंदौर में नेचर केयर संस्था के प्रमुख और रामसर साइट के पक्षी विशेषज्ञ भालू मोंडे क्या कहना है कि, ''यूक्रेन में युद्ध का असर पक्षियों पर पड़ा है. जो इन सर्दियों में अपने प्रवास मार्गों से भटकने के कारण विभिन्न स्थानों पर नहीं पहुंच पाए. जितने पहुंचे हैं वह भी आधे प्रवास काल की स्थिति में हैं.'' उन्होंने बताया, ''प्रवास के मार्ग में युद्ध क्षेत्र आ जाने से या तो पक्षी रास्ता भटक गए या आ ही नहीं पाए. जिसके कारण इस बार कई मैदानी वन क्षेत्र और जलीय इलाकों में प्रवासी पक्षी नजर नहीं आ रहे हैं.''

Migratory birds not reach India
सुने रह गए घरोंदे (ETV Bharat)

देश के इन इलाकों में पहुंचते हैं प्रवासी पक्षी
इंदौर की रामसर साइट सिरपुर तालाब के जल क्षेत्र में इन दिनों कम से कम 20000 से प्रवासी पक्षियों का डेरा रहता है. जो फरवरी अंत तक यहां रहकर प्रजनन करने के साथ सर्दिया बिताते हैं. जिसके कारण पूरे इलाके में पूरे सीजन के दौरान पक्षियों का कलरव और चहचहाहट सुनाई देती है. इन पक्षियों में साइबेरियन क्रेन, ग्रेटर फ्लैमिंगो, मिस क्रेन, ब्लू टैल्ड, रूडी शेल्डक, यूरेशियन स्पैरोहॉक, रफ बर्ड, रोजी पेलिकन, कंगी बत्तख ब्लैक टेल्ड गोदवेट आदि का जमावड़ा रहता है.

इन स्थानों पर भी करते हैं बसेरा
इंदौर की सिरपुर रामसर साइट के अलावा बड़ी संख्या में पक्षी केवलादेव अभ्यारण राजस्थान पहुंचते हैं. इसके अलावा सांभर साल्ट लेक, रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य माउंट आबू के अलावा मध्य प्रदेश में चंबल नदी के आसपास भी पहुंचते हैं. वहीं, आंध्र प्रदेश की कोलेरू झील, उड़ीसा की चिल्का झील, गुजरात का कच्छ रैंक क्षेत्र, हरियाणा में सुल्तानपुर झील और क्लाइंट कैलिफऐरो अभ्यारण्य भी पहुंचते हैं.

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