विदिशा। श्रीहरि वृद्ध आश्रम में 14 एनसीसी बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल अरविंद राणा 100 से अधिक छात्र-छात्राओं और एनसीसी स्टॉफ के साथ बुजुर्गों से मिलने पहुंचे. यहां उन्होंने बुजुर्गों की आपबीती जानी. कहानियां सुन छात्र-छात्राएं रोने लगी. इन बच्चों से मिले स्नेह, सम्मान और अपनापन को देखकर वृद्ध आश्रम के सभी बुजुर्ग भावुक हो गए. एनसीसी के इन छात्र-छात्राओं ने बुजुर्गों को जाते-जाते कहा कि हमेशा यहां आते रहेंगे.
इस दौरान कर्नल अरविंद राणा ने सभी बुजुर्गों को फल भेंट किए. साथ ही आवश्यकता अनुसार राशन सामग्री भी दी. छात्रा पिंकी कुशवाहा ने बताया कि यहां पर हमने देखा बच्चों ने अपने मां-बाप को आश्रम में छोड़ दिया. यह बच्चों की जिम्मेदारी थी कि उनकी सेवा करें. उनकी देखरेख करें. यह भारतीय संस्कृति के खिलाफ है. आश्रम में दवा खाना-पीना सब सुविधा है. सब कुछ अच्छा है, पर जो घर में सिक्योरिटी रहती है, उसकी बात ही अलग है.
रो पड़ी विधानसी शर्मा
विधानसी ने कहा कि यहां हम देखने आए थे कि परिजन अपने बुजुर्गों के साथ क्यों नहीं रखते. यहां के एक बुजुर्ग से मिली, तो देखा उनकी पूरी स्थिति खराब है. उनकी पूरी फैमिली धीरे-धीरे खत्म हो गई. बुजुर्ग ने मुझे बताया कि उनके बच्चे के पास उन्हें रहने की कोई व्यवस्था नहीं है.
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कमांडिंग ऑफिसर कर्नल अरविंद राणा ने बताया कि समाज सेवा एनसीसी के चार्टर में शामिल है. कोरोना काल में हम क्या गतिविधि कर सकते हैं, इसी उद्देश्य को लेकर हम वृद्ध आश्रम पहुंचे. बच्चों ने देखा कैसे देखभाल की जा रही है.
श्रीहरि वृद्ध आश्रम की संचालक इंदिरा शर्मा ने बताया कि 14b एनसीसी बटालियन कर्नल राणा अपने साथ में एनसीसी के छात्रों को लेकर यहां आए. सेवा कार्य के लिए बड़ी संख्या में शिविर आयोजित किया गया. बच्चों को बताया गया कि इस तरीके से वृद्ध आश्रम संचालित हो रहा है. साथ ही ये भी बताया कि भारतीय संस्कृति में बच्चों को माता-पिता, दादा-दादी की सेवा करना चाहिए. परेशानियों को समझना चाहिए. ऐसे भी बुजुर्ग हैं, जिन्हें अपनों ने छोड़ दिया. उनका सहारा वृद्ध आश्रम बना है.