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हाई प्रोफाइल विदिशा की है बीमार स्वास्थ व्यवस्था, सरकारी अस्पतालों को है इलाज की जरूरत - एमपी न्यूज

जिला अस्पताल में एक पलंग पर चार से छह मरीज साथ में भर्ती होने को मजबूर हैं. कहीं मशीने जंग खा रही है तो कहीं गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

विदिशा की बीमार स्वास्थ व्यवस्था
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Published : Apr 18, 2019, 11:03 PM IST

विदिशा। जहां बीजेपी सरकार के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मंच से विकास की गंगा बहाई थी. उस विदिशा जिले से भले ही अच्छी स्वास्थ सेवाओं के लाखों दावें किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है. विदिशा के सरकारी अस्पताल इन दिनों खुद बीमारी के दौर से गुजर रहे हैं.

विदिशा की बीमार स्वास्थ व्यवस्था

जिला अस्पताल में एक पलंग पर चार से छह मरीज साथ में भर्ती होने को मजबूर हैं. कहीं मशीने जंग खा रही है तो कहीं गंदगी का अंबार लगा हुआ है. एक मरीज की पत्नि प्रिमला जैन ने बताया कि तीन घंटे तक सोनोग्राफी की मशीन के लिए अपने नंबर का इंतजार करना पड़ता है, महिलाओं की काफी लंबी लाइन है, वहीं पुरुषों के लिए कोई लाइन का इंतजाम हीं नहीं है.

वहीं तीन दिन पहले भर्ती हुई विमला बाई को तो अस्पताल में पलंग ही नहीं मिल पाया. उन्होंने बताया कि एक पलंग पर चार से छह लोग भर्ती हैं. डॉक्टरों से बोलने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती है. तहसील-ग्रामीण स्तर पर अस्पतालों की हालत और बुरी नजर आती है. तहसील कुरवाई का पठारी स्वास्थ केंद्र तो गिरने की कगार पर है. लोगों का कहना है कि जब डॉक्टर आते है या फिर जब टीकाकरण होता है, तभी अस्पताल खुलते हैं. वैसे अस्पताल नही खुलते. मरीज की हालत गंभीर होने पर उसे मजबूरन ले जाना पड़ता है.

तहसील सिरोज में 100 बिस्तरों का राजीव अस्पताल बनाया गया है. लेकिन दूर होने की वजह से डॉक्टर यहां मौजूद नहीं रहते, यहां अस्पताल में गंदगी का अंबार लगा है. डॉक्टरों के केबिनों पर धूल जमा हो चुकी है. मशीन पूरी तरह जंग खा चुकी हैं, कोई मरीज पहुंचता है तो उसे विदिशा, भोपाल रेफर किया जाता है. विदिशा मुख्य कार्यपालन अधिकारी किशोर कुमार नागवंशी ने जिले की खराब स्वास्थ व्यवस्था पर कहा कि सरकारी अस्पताल छोटे हैं और मरीजों की संख्या बढ़ गई है. इस कारण दिक्कतों का सामान करना पड़ रहा है. जिसे जल्द नई भवन में शिफ्ट करने की बात की जा रही है.

विदिशा। जहां बीजेपी सरकार के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मंच से विकास की गंगा बहाई थी. उस विदिशा जिले से भले ही अच्छी स्वास्थ सेवाओं के लाखों दावें किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है. विदिशा के सरकारी अस्पताल इन दिनों खुद बीमारी के दौर से गुजर रहे हैं.

विदिशा की बीमार स्वास्थ व्यवस्था

जिला अस्पताल में एक पलंग पर चार से छह मरीज साथ में भर्ती होने को मजबूर हैं. कहीं मशीने जंग खा रही है तो कहीं गंदगी का अंबार लगा हुआ है. एक मरीज की पत्नि प्रिमला जैन ने बताया कि तीन घंटे तक सोनोग्राफी की मशीन के लिए अपने नंबर का इंतजार करना पड़ता है, महिलाओं की काफी लंबी लाइन है, वहीं पुरुषों के लिए कोई लाइन का इंतजाम हीं नहीं है.

वहीं तीन दिन पहले भर्ती हुई विमला बाई को तो अस्पताल में पलंग ही नहीं मिल पाया. उन्होंने बताया कि एक पलंग पर चार से छह लोग भर्ती हैं. डॉक्टरों से बोलने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती है. तहसील-ग्रामीण स्तर पर अस्पतालों की हालत और बुरी नजर आती है. तहसील कुरवाई का पठारी स्वास्थ केंद्र तो गिरने की कगार पर है. लोगों का कहना है कि जब डॉक्टर आते है या फिर जब टीकाकरण होता है, तभी अस्पताल खुलते हैं. वैसे अस्पताल नही खुलते. मरीज की हालत गंभीर होने पर उसे मजबूरन ले जाना पड़ता है.

तहसील सिरोज में 100 बिस्तरों का राजीव अस्पताल बनाया गया है. लेकिन दूर होने की वजह से डॉक्टर यहां मौजूद नहीं रहते, यहां अस्पताल में गंदगी का अंबार लगा है. डॉक्टरों के केबिनों पर धूल जमा हो चुकी है. मशीन पूरी तरह जंग खा चुकी हैं, कोई मरीज पहुंचता है तो उसे विदिशा, भोपाल रेफर किया जाता है. विदिशा मुख्य कार्यपालन अधिकारी किशोर कुमार नागवंशी ने जिले की खराब स्वास्थ व्यवस्था पर कहा कि सरकारी अस्पताल छोटे हैं और मरीजों की संख्या बढ़ गई है. इस कारण दिक्कतों का सामान करना पड़ रहा है. जिसे जल्द नई भवन में शिफ्ट करने की बात की जा रही है.

Intro:
जिले भर के अस्पतालों के शॉट्स मेल पर हैं ,

मध्य प्रदेश सरकारे प्रदेश में अच्छी स्वास्थ सेवाओं के लाख दाबे करे पर जमीनी हक़ीक़ते कुछ और ही बया करती है मध्य प्रदेश के विदिशा जिले भर की सरकारी अस्पताल इन दिनों खुद बीमारी के दौर से गुजर रहे हैं जिला अस्पताल में एक पलंग पर चार से छह मरीज है तो तहसीलों में ओर भी बुरे हालात है अस्पताल हफ़्तों में खुलते हैं तो कहीं गंदगी का अंबार लगा हुया है मशीन जंग खा चुकी आक्सीजन का पता नही । यह सब उस जिले में हो रहा है जिस जिले की सियासत केंद्र तक दखल रखती है यहां भाजपा सरकार की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मंच से विकास की गंगा बहाई


Body:विदिशा जिले भर का जिला अस्पताल में दूर दराज के मरीज केवल एक ही उम्मीद लेकर आते हैं यहां से वो स्वस्थ होकर जाएंगे पर यहाँ आकर उन्हें खुद अस्पताल बीमार नज़र आता दिखाई देता है अस्पताल में दाखिल होते ही पर्चा बनबाना होता है पर्चा बनबाने के लिए सुबह 8 बजे लाइन में लगाना होता है 1 बजे तक नंबर आ जाता है तब कुछ डॉक्टर मिल पाते हैं तो कुछ चले जाते हैं
प्रिमला जेन के पति हार्ट पेशेंट हैं करीब तीन घण्टे से सोनोग्राफी की मशीन पर अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे हैं प्रमिला बताती है महिलाओं की इतनी लंबी लाइन है पुरुषों के लिए कोई लाइन का इन्तेजाम नही है ऐंसे में खड़े खड़े पेशेंट ओर बीमार हो जाये

तीन दिन से भर्ती विमला बाई को तो अस्पताल में पलंग ही नही मिल सका बताती है एक पलंग पर चार से छह लोग भर्ती हैं डॉक्टरों से बोलो तो कोई सुनबाई नही होती

वहीं दूसरे महिला मरीज कहती हैं अस्पताल में आने के बाद ओर बीमार हो जाये आप ही बताए भला एक पलंग पर चार मरीज कैंसे बन सकते है डॉक्टरों से कहा तो कहते है दीवार थोड़ी चौड़ी कर दें ।




Conclusion:जब etv भारत ने जिले भर के अस्पतालों के हाल जाने तो तहसील ग्रामीण स्तर पर ओर बुरे हालात नज़र आये तहसील कुरवाई का पठारी स्वास्थ केंद्र तो गिरने की कगार पर है ताला डला रहता है राहबासी मरीज का कहना है जब डॉक्टर साहब आते है या टीकाकरण होता है अस्पताल तव ही खुलता है वैंसे अस्पताल नही खुलता कोई मरीज गंभीर बीमार हो जाये तो उसे कुरवाई ले जाना होता है

तहसील सिरोज में 100 बिस्तरों का राजीब अस्पताल बनाया गया पर दूर होने की बजह से डॉक्टर यहां मौजूद नही रहते अस्पताल में गंदगी का अंबार लगा है डॉक्टरों के केबिनों पर धूल जमा हो चुकी है मशीन पूरी तरह जंग खा चुकी हैं कोई मरीज पहुंचता है तो उसे विदिशा ,भौपाल रेफर किया जाता है ।

जब हमने विदिशा मुख्य कार्यपालन अधिकारी किशोर कुमार नागवंशी से जिले की स्वास्थ व्यवस्था पर सवाल किया तो उन्होंने एक माह पूर्व आने का हबाला देते हुए कहा सरकारी अस्पताल छोटा है मरीजो की संख्या बढ़ गई है इस कारण दिक्कतों का सामान करना पड़ रहा है जल्द नई भबन में शिफ्ट करने की कबायत की जा रही हैं ।

जिले में बीमारू अस्पताक के ऐंसे कई मामले सामने आ चुके है जब प्रसब के दौरान कई महिलाएं अपनी जान गवा चुकी हो या गाड़ी न मिलने पर शव को ठेलो या मोटर साइकिल पर ले जाना पड़ा हो ।
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