विदिशा। जहां बीजेपी सरकार के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मंच से विकास की गंगा बहाई थी. उस विदिशा जिले से भले ही अच्छी स्वास्थ सेवाओं के लाखों दावें किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है. विदिशा के सरकारी अस्पताल इन दिनों खुद बीमारी के दौर से गुजर रहे हैं.
जिला अस्पताल में एक पलंग पर चार से छह मरीज साथ में भर्ती होने को मजबूर हैं. कहीं मशीने जंग खा रही है तो कहीं गंदगी का अंबार लगा हुआ है. एक मरीज की पत्नि प्रिमला जैन ने बताया कि तीन घंटे तक सोनोग्राफी की मशीन के लिए अपने नंबर का इंतजार करना पड़ता है, महिलाओं की काफी लंबी लाइन है, वहीं पुरुषों के लिए कोई लाइन का इंतजाम हीं नहीं है.
वहीं तीन दिन पहले भर्ती हुई विमला बाई को तो अस्पताल में पलंग ही नहीं मिल पाया. उन्होंने बताया कि एक पलंग पर चार से छह लोग भर्ती हैं. डॉक्टरों से बोलने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती है. तहसील-ग्रामीण स्तर पर अस्पतालों की हालत और बुरी नजर आती है. तहसील कुरवाई का पठारी स्वास्थ केंद्र तो गिरने की कगार पर है. लोगों का कहना है कि जब डॉक्टर आते है या फिर जब टीकाकरण होता है, तभी अस्पताल खुलते हैं. वैसे अस्पताल नही खुलते. मरीज की हालत गंभीर होने पर उसे मजबूरन ले जाना पड़ता है.
तहसील सिरोज में 100 बिस्तरों का राजीव अस्पताल बनाया गया है. लेकिन दूर होने की वजह से डॉक्टर यहां मौजूद नहीं रहते, यहां अस्पताल में गंदगी का अंबार लगा है. डॉक्टरों के केबिनों पर धूल जमा हो चुकी है. मशीन पूरी तरह जंग खा चुकी हैं, कोई मरीज पहुंचता है तो उसे विदिशा, भोपाल रेफर किया जाता है. विदिशा मुख्य कार्यपालन अधिकारी किशोर कुमार नागवंशी ने जिले की खराब स्वास्थ व्यवस्था पर कहा कि सरकारी अस्पताल छोटे हैं और मरीजों की संख्या बढ़ गई है. इस कारण दिक्कतों का सामान करना पड़ रहा है. जिसे जल्द नई भवन में शिफ्ट करने की बात की जा रही है.