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पितृ पक्ष विशेष: विलुप्त होते कौओं के संरक्षण के लिए अनोखी पहल, काग उद्यान में हो रही खास देखभाल

विलुप्त होते कौओं (Crows) के संरक्षण (Conservation) के लिए विदिशा में मुक्तिधाम सेवा समिति की तरफ से एक अनूठी पहल (Unique Campaign) की गई है. यहां कौओं के रहने खाने के लिए तमाम व्यवस्थाएं की गई हैं. जिसका नतीजा है कि शहरों में अब आसानी से लोगों को कौए देखने को मिल जाते हैं. पितृ पक्ष पर ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट पढ़ें.

पितृ पक्ष विशेष
पितृ पक्ष विशेष
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Published : Sep 19, 2021, 10:45 PM IST

विदिशा(Vidisha)। बेतवा तट स्थित विदिशा के मुक्तिधाम का 'काग उद्यान' (Crow Garden) प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का पहला ऐसा उद्यान है, जहां विलुप्त होती कौओं की प्रजाति को बचाने और उनके संरक्षण (Conservation) के लिए प्रतिदिन कार्य किया जाता है. काग उद्यान को मूर्त रूप देने वाले मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे बताते हैं कि 10 सालों पहले उन्हें इस विलुप्त होती प्रजाति को बचाने का ख्याल आया था. तब से लेकर आज तक प्रतिदिन यहां कौओं का संरक्षण किया जा रहा है. कौओं के नाम पर ही काग रसोई भी शुरू की गई है, जिसमें प्रतिदिन चावल रोटी आदि तैयार किया जाता है. इसके बाद यह आहार कौए ग्रहण करते हैं.

पितृ पक्ष विशेष

विदिशा में शुरू हुआ अनूठा प्रयोग

मनोज पांडे के मुताबिक, देश दुनिया में पक्षी विहार तो बहुत हैं, लेकिन कौओं के संरक्षण के लिए अनूठा प्रयोग यहां शुरू किया गया है. सैकड़ों की तादाद में यहां कौओं की मौजूदगी बनी रहती है. यहीं से यह कौए शहरों की ओर समय-समय पर कूच करते हैं. जिसके कारण अब शहर में लोगों के घरों की छतों पर कौओं की मौजूदगी देखने को मिल जाती है.

कौओं का संरक्षण
कौओं का संरक्षण

धार्मिक-वैज्ञानिक रूप में कौओं का बड़ा महत्व

मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे के मुताबिक, कौओं का धार्मिक रूप से भी काफी महत्व है, शास्त्रों में इन्हें पितरों के प्रतीक के रूप में स्थान प्राप्त है. सोमवार से शुरू हो रहे पितृ पक्ष में इनका बड़ा महत्व है. कहा जाता है कि 15 दिनों तक कौओं को आहार देने से हम वह भोजन अपने पुरखों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं. वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक दृष्टि से भी कौओं का बड़ा महत्व है. कौए कीट भक्षी होते हैं, और मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का यह आहार बनाकर एक तरह से हमारे मानव शरीर को व्याधियों से भी बचाने का कार्य करते हैं.

मनोज पांडे बताते हैं कि वर्तमान में मोबाइल टावरों की बढ़ती रेंज के कारण इनके जीवन और अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है. इसी वजह से यहां बड़ी संख्या में इस प्रजाति को बचाने के लिए प्रतिदिन सेवा कार्य किए जाते हैं.

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दानदाता उपलब्ध कराते हैं खाद्य सामग्री

मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे के मुताबिक, शहर के दानदाता भी खाद्य सामग्री उपलब्ध कराते हैं, जिसको प्रतिदिन काग रसोई में पकाया जाता है. इसके बाद यह आहार कौओं को दिया जाता है. शहर के रामलीला तिराहे पर के एक रेस्टोरेंट संचालक मनोज माली रोजाना कौओं के लिए समोसे, कचोरी, भाजी समेत अन्य खाद्य और मिष्ठान सामग्री उपलब्ध कराते हैं, जिसका आहार भी काग उद्यान के कौए ग्रहण करते हैं.

काग उद्यान में होती है देखरेख
काग उद्यान में होती है देखरेख

स्टील की थाली में भोजन करते हैं कौए

मुक्तिधाम के काग उद्यान में स्टील के भोजन के थाल भी बने हुए हैं. जिसमें प्रतिदिन आहार डाला जाता है. जिसके बाद कौए आकर यह आहार खाते हैं. पितृ पक्ष के दौरान शहर से भी लोग यहां पहुंचकर पितरों के प्रतीक कागों को आहार देते हैं. बता दें, इस काग उद्यान का लोकार्पण अंतर्राष्ट्रीय रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित देश के जाने-माने जल विद डॉक्टर राजेंद्र सिंह के द्वारा किया गया था.

जल विद डॉ.राजेंद्र सिंह ने किया था उद्घाटन
जल विद डॉ.राजेंद्र सिंह ने किया था उद्घाटन

विदिशा(Vidisha)। बेतवा तट स्थित विदिशा के मुक्तिधाम का 'काग उद्यान' (Crow Garden) प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का पहला ऐसा उद्यान है, जहां विलुप्त होती कौओं की प्रजाति को बचाने और उनके संरक्षण (Conservation) के लिए प्रतिदिन कार्य किया जाता है. काग उद्यान को मूर्त रूप देने वाले मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे बताते हैं कि 10 सालों पहले उन्हें इस विलुप्त होती प्रजाति को बचाने का ख्याल आया था. तब से लेकर आज तक प्रतिदिन यहां कौओं का संरक्षण किया जा रहा है. कौओं के नाम पर ही काग रसोई भी शुरू की गई है, जिसमें प्रतिदिन चावल रोटी आदि तैयार किया जाता है. इसके बाद यह आहार कौए ग्रहण करते हैं.

पितृ पक्ष विशेष

विदिशा में शुरू हुआ अनूठा प्रयोग

मनोज पांडे के मुताबिक, देश दुनिया में पक्षी विहार तो बहुत हैं, लेकिन कौओं के संरक्षण के लिए अनूठा प्रयोग यहां शुरू किया गया है. सैकड़ों की तादाद में यहां कौओं की मौजूदगी बनी रहती है. यहीं से यह कौए शहरों की ओर समय-समय पर कूच करते हैं. जिसके कारण अब शहर में लोगों के घरों की छतों पर कौओं की मौजूदगी देखने को मिल जाती है.

कौओं का संरक्षण
कौओं का संरक्षण

धार्मिक-वैज्ञानिक रूप में कौओं का बड़ा महत्व

मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे के मुताबिक, कौओं का धार्मिक रूप से भी काफी महत्व है, शास्त्रों में इन्हें पितरों के प्रतीक के रूप में स्थान प्राप्त है. सोमवार से शुरू हो रहे पितृ पक्ष में इनका बड़ा महत्व है. कहा जाता है कि 15 दिनों तक कौओं को आहार देने से हम वह भोजन अपने पुरखों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं. वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक दृष्टि से भी कौओं का बड़ा महत्व है. कौए कीट भक्षी होते हैं, और मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का यह आहार बनाकर एक तरह से हमारे मानव शरीर को व्याधियों से भी बचाने का कार्य करते हैं.

मनोज पांडे बताते हैं कि वर्तमान में मोबाइल टावरों की बढ़ती रेंज के कारण इनके जीवन और अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है. इसी वजह से यहां बड़ी संख्या में इस प्रजाति को बचाने के लिए प्रतिदिन सेवा कार्य किए जाते हैं.

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दानदाता उपलब्ध कराते हैं खाद्य सामग्री

मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे के मुताबिक, शहर के दानदाता भी खाद्य सामग्री उपलब्ध कराते हैं, जिसको प्रतिदिन काग रसोई में पकाया जाता है. इसके बाद यह आहार कौओं को दिया जाता है. शहर के रामलीला तिराहे पर के एक रेस्टोरेंट संचालक मनोज माली रोजाना कौओं के लिए समोसे, कचोरी, भाजी समेत अन्य खाद्य और मिष्ठान सामग्री उपलब्ध कराते हैं, जिसका आहार भी काग उद्यान के कौए ग्रहण करते हैं.

काग उद्यान में होती है देखरेख
काग उद्यान में होती है देखरेख

स्टील की थाली में भोजन करते हैं कौए

मुक्तिधाम के काग उद्यान में स्टील के भोजन के थाल भी बने हुए हैं. जिसमें प्रतिदिन आहार डाला जाता है. जिसके बाद कौए आकर यह आहार खाते हैं. पितृ पक्ष के दौरान शहर से भी लोग यहां पहुंचकर पितरों के प्रतीक कागों को आहार देते हैं. बता दें, इस काग उद्यान का लोकार्पण अंतर्राष्ट्रीय रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित देश के जाने-माने जल विद डॉक्टर राजेंद्र सिंह के द्वारा किया गया था.

जल विद डॉ.राजेंद्र सिंह ने किया था उद्घाटन
जल विद डॉ.राजेंद्र सिंह ने किया था उद्घाटन
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