विदिशा। जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर ग्राम सिमरन हार कोरोना महामारी के खिलाफ एक उदाहरण है. करीब 12 सौ परिवारों का यह गांव जहां कोरोना जैसी बीमारी ग्रामीण जनों को छूकर तक नहीं गई है. जिले ही नहीं प्रदेश ही नहीं देश में अपने आप में बड़ा उदाहरण पेश कर रहा है. ग्राम सिमरन हार जिस गांव के पीछे आर शब्द लगा है लेकिन यह शब्द कोरोना बीमारी के लिए सटीक बैठता है. यहां से गांव के लोग ना किसी को गांव से बाहर जाने देते हैं और ना ही किसी को गांव के अंदर आने देते हैं. यहां तक की बीच गांव में से निकलने वाले रोड को बंद करके इन ग्रामीणों ने अपने खेतों में से एक बाईपास रास्ता खुद ही बना दिया है. जिसके कारण वाहन गांव से दूर निकल जाते हैं.
जिला प्रशासन करता है सजगता की तारीफ
सतर्कता, सजगता और जिम्मेदारी का अगर बोध हो तो आप कुछ भी कर सकते हैं. कितनी भी परिस्थितियां भीषण हो. आप उसमें से पाक साफ होकर खड़े रह सकते हैं और कम से कम विदिशा जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर यह गांव कोरोना महामारी में एक उदाहरण पेश कर रहा है. सजगता और सतर्कता बनी रहे तो बीमारी कितनी भी भयंकर हो वह अंदर पैठ नहीं बना सकती और लगभग 400 से अधिक घर वाला या गांव डेढ़ साल का अंतराल हो चुका है. एक भी कोरोना मरीज इस गांव में नहीं पाया गया है. नाम सिमरन हार है लेकिन यहां कोरोना की हार हुई.
विवादित जमीन पर संक्रमित शवों को दफनाने ने पकड़ा तूल
ग्रामीणों ने कोविड गाइडलाइन के किया पालन
यहां के ग्रामीण बताते हैं कि पिछले डेढ़ साल से सब तरफ कोरोना की मार चल रही है. लेकिन हमारे गांव को आज तक कोरोना छूकर नहीं गया. हमारा पूरा गांव मास्क लगाता है. सोशल डिस्टेंसिंग रखता है और हर समय सतर्क और सजग रहते हैं. यहां तक की हम गांव से किसी को शहर नहीं जाने देते और शहर से किसी को अंदर नहीं आने देते यहां तक की गांव से गुजरने वाला मुख्य मार्ग भी हम लोगों ने बंद कर दिया है और हमने अपने खेतों में से खुद बाईपास रास्ता बना कर वाहनों को अलग से निकलने की व्यवस्था भी की है.
दूसरे गांव के लिए उदाहरण बना ग्राम सिमरन हार
ग्रामीण हल्के सिंह ने बताया कि पहले साल कोरोना संक्रमण आया था. हमने पूरा गांव बंद कर दिया था. रास्ते फिर रास्ते खोल दिए थे और फिर सतर्क रहें मास्क लगाते रहे बार-बार सेनीटाइज करते रहे और दूरियों से बैठते रहे लेकिन आज डेढ़ साल के बावजूद भी हमारे गांव में कोई भी कोरोना वायरस का मरीज नहीं है. सिमरन हार गांव की सतर्कता और सजगता देखकर जिला पंचायत सीईओ खासी खुश है. यहां कि पटवारी इस गांव का उदाहरण देती हैं, इन सभी का कहना है शासन द्वारा चलाए जा रहे जन जागृति अभियान का इस गांव पर बड़ा असर पड़ा है. आज तक यहां कोई भी कोरोना मरीज नहीं पाया गया है. वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष भी अपने ग्रामीण जनों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि मैं जिस गांव से आता हूं भदारबाड़ा वहां भी कोरोना दस्तक नहीं दे पाया है.
जन जागृति अभियान
पटवारी ज्योति बघेल ने कहा कि समय-समय पर ग्राम कोटवार के द्वारा और प्रशासन के द्वारा यहां बताया जाता रहा है और समय-समय पर ग्रामीणों ने पालन भी किया है जिसके कारण इस गांव में अभी तक कोरोना नहीं आया है. सभी ग्राम पंचायतों को यह कहा गया था कि वह सतर्कता रखें, जन जागृति अभियान चलाया गया था और यहां के सिमरन हार गांव में लोग सतर्क रहें और इसमें कोई भी कोरोना वायरस नहीं पाया गया है. अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में भी जन जागृति अभियान चलाया जा रहा है.