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Navratri 2022: विदिशा में माता का एक ऐसा मंदिर जो पानीपत युद्ध के समय हुआ था स्थापित, मन्नत पूरी होने पर चढ़ाई जाती है पीतल की घंटी

सांची विदिशा मार्ग पर स्थापित देवी का बाग में मां दुर्गा का सैकड़ों साल पुरानी प्रतिमा स्थापित है. इस प्रतिमा का इतिहास से भी गहरा नाता है. देवी के बाग में सभी मनोकामना पूरी होती है, जिसके बाद वहां पीतल का घंटा चढ़ाया जाता है. Navratri 2022, War of Panipat Vidisha Mata Temple Built

Navratri 2022
नवरात्रि 2022
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Published : Sep 24, 2022, 8:00 AM IST

विदिशा। सांची-विदिशा मार्ग पर देवी के बाग में स्थापित मां दुर्गा का मंदिर 200 साल पुराना है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि नाना साहब पेशवा ने यहां देवी की स्थापना की थी. इसी देवी मंदिर में पेशवा ने राजाओं की मदद के लिए 50 हजार सैनिकों के साथ डेरा डाला था. यहां मां एक छोटे से मंदिर में नीम और इमली के पेड़ के नीचे विराजित हैं. मंदिर चारों तरफ से खुला है. (Navratri 2022)

बाग में विराजित है देवी मां: इस मंदिर की खासियत है कि माता रानी नीम और इमली के पेड़ के नीचे विराजित है. गुलाब वाटिका के पास एक खेत में खुले आसमान में इमली के नीचे मैया विराजमान हैं. यह स्थान बगीचे के रूप में विकसित है, इसलिए इसे देवी का बाग भी कहा जाता है. मंदिर में घंटी चढ़ाने की भी मान्यता है. माना जाता है कि घंटी चढ़ाने की मन्नत से हर मनोकामना पूरी होती है. इसलिए कई लोग मंदिर में घंटी भी चढ़ाते हैं. एक श्रद्धालु ने बताया कि उन्होंने अपनी इच्छा पूरी होने पर घंटी चढ़ाने की मन्नत की थी. उनका काम सफल रहा इसलिए वे अब मंदिर में घंटी चढ़ाने आए हैं. (War of Panipat Vidisha Mata Temple Built)

नवरात्र के समय श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है: गुलाब वाटिका के पास एक खेत में खुले आसमान में इमली के नीचे मैया विराजमान हैं. वैसे तो हर दिन ही इस स्थान पर श्रद्धालु दर्शन, पूजन करने पहुंचते हैं, लेकिन नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है. यहां पर सुबह से लेकर देर रात तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसी मन्यता है कि यहां श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है. इसके बाद वह पीतल का घंटा चढ़ाते हैं.

Shardiya navratri 2022 माता को कैसे करें प्रसन्न, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि

सैकड़ों साल पुराना है मंदिर का इतिहास: सांची रोड़ स्थित देवी का बाग सदियों पुराना स्थान माना जाता है. मान्यता है कि यहां कभी सिंधिया रियासत की सेना आकर ठहरी थी, जिसने यहां चबूतरा बनवा दिया था. कालांतर में जमीन बेच दी गई, शहर के बीचों-बीच होते हुए भी इस जगह पर कोई निर्माण नहीं हो सका. यहां अब भी खेत है, बावड़ी है, बगीचा है और मां का खुला दरबार है. देवी प्रतिमाएं प्राचीन पाषाण कला का प्रतीक है, जिस पर आस्था का सिन्दूर लेपन कर दिया गया है. पेड़ की छांव में माता रानी के साथ ही हनुमान, गणेश की प्रतिमाएं और शिव परिवार भी मौजूद हैं. (Vidisha Goddess Army)

विदिशा। सांची-विदिशा मार्ग पर देवी के बाग में स्थापित मां दुर्गा का मंदिर 200 साल पुराना है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि नाना साहब पेशवा ने यहां देवी की स्थापना की थी. इसी देवी मंदिर में पेशवा ने राजाओं की मदद के लिए 50 हजार सैनिकों के साथ डेरा डाला था. यहां मां एक छोटे से मंदिर में नीम और इमली के पेड़ के नीचे विराजित हैं. मंदिर चारों तरफ से खुला है. (Navratri 2022)

बाग में विराजित है देवी मां: इस मंदिर की खासियत है कि माता रानी नीम और इमली के पेड़ के नीचे विराजित है. गुलाब वाटिका के पास एक खेत में खुले आसमान में इमली के नीचे मैया विराजमान हैं. यह स्थान बगीचे के रूप में विकसित है, इसलिए इसे देवी का बाग भी कहा जाता है. मंदिर में घंटी चढ़ाने की भी मान्यता है. माना जाता है कि घंटी चढ़ाने की मन्नत से हर मनोकामना पूरी होती है. इसलिए कई लोग मंदिर में घंटी भी चढ़ाते हैं. एक श्रद्धालु ने बताया कि उन्होंने अपनी इच्छा पूरी होने पर घंटी चढ़ाने की मन्नत की थी. उनका काम सफल रहा इसलिए वे अब मंदिर में घंटी चढ़ाने आए हैं. (War of Panipat Vidisha Mata Temple Built)

नवरात्र के समय श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है: गुलाब वाटिका के पास एक खेत में खुले आसमान में इमली के नीचे मैया विराजमान हैं. वैसे तो हर दिन ही इस स्थान पर श्रद्धालु दर्शन, पूजन करने पहुंचते हैं, लेकिन नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है. यहां पर सुबह से लेकर देर रात तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसी मन्यता है कि यहां श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है. इसके बाद वह पीतल का घंटा चढ़ाते हैं.

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सैकड़ों साल पुराना है मंदिर का इतिहास: सांची रोड़ स्थित देवी का बाग सदियों पुराना स्थान माना जाता है. मान्यता है कि यहां कभी सिंधिया रियासत की सेना आकर ठहरी थी, जिसने यहां चबूतरा बनवा दिया था. कालांतर में जमीन बेच दी गई, शहर के बीचों-बीच होते हुए भी इस जगह पर कोई निर्माण नहीं हो सका. यहां अब भी खेत है, बावड़ी है, बगीचा है और मां का खुला दरबार है. देवी प्रतिमाएं प्राचीन पाषाण कला का प्रतीक है, जिस पर आस्था का सिन्दूर लेपन कर दिया गया है. पेड़ की छांव में माता रानी के साथ ही हनुमान, गणेश की प्रतिमाएं और शिव परिवार भी मौजूद हैं. (Vidisha Goddess Army)

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