विदिशा। मुरवास में एक तरफ कोमलिया बाई के दरवाजे पर बेटी की बारात आई, तो वहीं दूसरी तरफ अचानक कोमलिया बाई को दिला का दौरा पड़ गया. आनन- फानन में उन्हें अस्पताल पहंचाया गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी. पड़ोसी हकीम खान फरिश्ता बनकर आए और कोमलिया बाई की बेटी का कन्यादान किया. मुस्लिम समाज के लोगों ने देर ना करते हुए बेटी की शादी के दिन ही मां का अर्थी भी उठाई.
गांव में बेटी की डोली और मां की अर्थी एक ही दिन उठते देख लोगों की आंखों में आंसू आ गए. इस घटना से पूरे गांव में मातम का माहौल है. हर कोई इस घटना से बेहद दुखी था. गांव की 55 साल की कमलाबाई अहिरवार की बेटी हल्कीबाई की शादी सोमवार को होनी थी, घर में बारात आ गई थी. दोपहर लगभग 12:00 बजे बारात आई, परिवार के दूसरे सदस्य बारात का स्वागत कर रहे थे, तभी अचानक कमलाबाई की तबीयत खराब हो गई.
उनके सीने में दर्द उठा, जिसके चलते उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषणा कर दिया. जिसके बाद कमलाबाई का शव घर लाया गया, गांव के जो लोग शादी की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने शव को श्मशान तक पहुंचाया. जिसके बाद गांव के हकीम खान ने बेटी हल्कीबाई के कन्यादान की जिम्मेदारी उठाते हुए, उसके विवाह को संपन्न करवा कर लड़की को विदा किया.