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पांच साल पहले कराए सर्वे में गड़बड़ी, फिर से होगा 32 हजार घरों का सर्वे

रहवासी क्षेत्रों की मैपिंग में बड़ी लापरवाही सामने आई है. 5 साल पहले कराए जीआईएस सर्वे में गड़बड़ी सामने आने पर अब 32 हजार से अधिक घरों का सर्वे फिर से होगा.

residentital mapping again
नपा के जीआईएस सर्वे में गड़बड़ी
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Published : Sep 13, 2020, 7:06 PM IST

विदिशा। 5 साल पहले नगर पालिका ने प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त एक एजेंसी से शहर के करीब 32 हजार मकानों का जीआईएस सर्वे करवाया था. इसमें सेटेलाइट के माध्यम से शहर के सभी घरों में रहवासी क्षेत्रों की मैपिंग की गई. इस सर्वे में अब कई गड़बड़ियां सामने आई हैं. जिसके बाद टैक्स जमा करने में लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. लोग अपना टैक्स सही तरीके से जमा नहीं कर पा रहे हैं. इस कारण अब नगर पालिका ने अपने स्तर पर दोबारा जीआईएस सर्वे कराने का निर्णय लिया है. इसमें दो बार टेंडर भी जारी किए जा चुके हैं.

पुरानी दुकानों को भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा

करीब 5 साल पहले कराए गए जीआईएस सर्वे को त्रुटिपूर्ण बताते हुए दोबारा जीआईएस सर्वे करवाने का निर्णय लिया गया है. इस नए सर्वे से अब शहर के सभी मकानों को टैक्स के दायरे में लाया जाएगा. इसके अलावा आवासीय मकानों में किराएदार रखने पर कमर्शियल टैक्स लगाने और दुकानों का किराया 4 गुना तक बढ़ाने का प्रस्ताव अब प्रशासकीय कार्यालय में रखा जाएगा.

ये हुई सर्वे में गड़बड़ियां-

5 साल पहले हुए सर्वे में कई तकनीकी गड़बड़ियां सामने आई हैं. 1 हजार वर्ग फीट के मकान को 2 हजार वर्ग फीट का बता दिया. इससे उसका टैक्स भी दुगना हो गया. वहीं 500 वर्ग फीट के मकान को 1 हजार वर्ग फीट का बता दिया. ऐसे में लोगों को छोटे मकान का भी ज्यादा टैक्स जमा करने का नोटिस मिल गया. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं, जिनका मकान तो बड़ा है लेकिन उन्हें छोटे मकान का टैक्स के नोटिस मिल गया. ऐसे में लोगों ने टैक्स जमा करना बंद कर दिया और नगर पालिका पहुंचकर आपत्ति दर्ज कराई जिसका अभी कोई निराकरण नहीं हुआ है.

दुकानों का बढ़ेगा चार गुना किराया
इतना ही नहीं दुकानों का किराया भी चार गुना तक अधिक बढ़ाने का निर्णय भले ही फिलहाल में स्थापित कर दिया गया हो, लेकिन नगर पालिका परिषद इस प्रस्ताव को फिर से प्रशासकीय कार्यालय में पास करवाने की तैयारी कर रही है. यदि कोई दुकानदार नगर पालिका की दुकान का किराया एक हजार प्रतिमाह अदा कर रहा है तो अब उससे 4 गुना ज्यादा यानी चार हजार चुकाना होगा.

नोएडा की कंपनी ने किया था सर्वे

5 साल पहले हुए सर्वे में शहर की भौगोलिक स्थिति जानने के लिए जियोग्राफी इनफॉरमेशन सिस्टम सर्वे शुरू किया गया, जो मार्च 2015 में पूरा हुआ था. नगरीय प्रशासन विभाग ने सर्वे कराने का ठेका नोएडा की रीडिंग कंपनी को दिया था.

विदिशा। 5 साल पहले नगर पालिका ने प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त एक एजेंसी से शहर के करीब 32 हजार मकानों का जीआईएस सर्वे करवाया था. इसमें सेटेलाइट के माध्यम से शहर के सभी घरों में रहवासी क्षेत्रों की मैपिंग की गई. इस सर्वे में अब कई गड़बड़ियां सामने आई हैं. जिसके बाद टैक्स जमा करने में लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. लोग अपना टैक्स सही तरीके से जमा नहीं कर पा रहे हैं. इस कारण अब नगर पालिका ने अपने स्तर पर दोबारा जीआईएस सर्वे कराने का निर्णय लिया है. इसमें दो बार टेंडर भी जारी किए जा चुके हैं.

पुरानी दुकानों को भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा

करीब 5 साल पहले कराए गए जीआईएस सर्वे को त्रुटिपूर्ण बताते हुए दोबारा जीआईएस सर्वे करवाने का निर्णय लिया गया है. इस नए सर्वे से अब शहर के सभी मकानों को टैक्स के दायरे में लाया जाएगा. इसके अलावा आवासीय मकानों में किराएदार रखने पर कमर्शियल टैक्स लगाने और दुकानों का किराया 4 गुना तक बढ़ाने का प्रस्ताव अब प्रशासकीय कार्यालय में रखा जाएगा.

ये हुई सर्वे में गड़बड़ियां-

5 साल पहले हुए सर्वे में कई तकनीकी गड़बड़ियां सामने आई हैं. 1 हजार वर्ग फीट के मकान को 2 हजार वर्ग फीट का बता दिया. इससे उसका टैक्स भी दुगना हो गया. वहीं 500 वर्ग फीट के मकान को 1 हजार वर्ग फीट का बता दिया. ऐसे में लोगों को छोटे मकान का भी ज्यादा टैक्स जमा करने का नोटिस मिल गया. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं, जिनका मकान तो बड़ा है लेकिन उन्हें छोटे मकान का टैक्स के नोटिस मिल गया. ऐसे में लोगों ने टैक्स जमा करना बंद कर दिया और नगर पालिका पहुंचकर आपत्ति दर्ज कराई जिसका अभी कोई निराकरण नहीं हुआ है.

दुकानों का बढ़ेगा चार गुना किराया
इतना ही नहीं दुकानों का किराया भी चार गुना तक अधिक बढ़ाने का निर्णय भले ही फिलहाल में स्थापित कर दिया गया हो, लेकिन नगर पालिका परिषद इस प्रस्ताव को फिर से प्रशासकीय कार्यालय में पास करवाने की तैयारी कर रही है. यदि कोई दुकानदार नगर पालिका की दुकान का किराया एक हजार प्रतिमाह अदा कर रहा है तो अब उससे 4 गुना ज्यादा यानी चार हजार चुकाना होगा.

नोएडा की कंपनी ने किया था सर्वे

5 साल पहले हुए सर्वे में शहर की भौगोलिक स्थिति जानने के लिए जियोग्राफी इनफॉरमेशन सिस्टम सर्वे शुरू किया गया, जो मार्च 2015 में पूरा हुआ था. नगरीय प्रशासन विभाग ने सर्वे कराने का ठेका नोएडा की रीडिंग कंपनी को दिया था.

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