ETV Bharat / state

यहां से गुजरे थे भगवान राम, अब है चरण तीर्थ धाम - Ram's feet

वनवास के दौरान भगवान श्रीराम विदिशा के चरण तीर्थ से होकर गुजरे. यहां आज भी उनके चरणों के निशान साफ देखे जा सकते हैं. जानते हैं क्या है भगवान के चरण तीर्थ की मान्यता......

भगवान राम
author img

By

Published : Oct 22, 2019, 12:10 AM IST

Updated : Oct 22, 2019, 1:04 PM IST

विदिशा। यहां का इतिहास त्रेता युग और भगवान राम से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि भगवान श्री राम वनवास के दौरान अपने भाई लक्ष्मण के साथ यहां से होकर गुजरे थे. उनके चरणों के निशान आज भी यहां मौजूद हैं. इस क्षेत्र को चरण तीर्थ क्षेत्र कहा जाता है. यहां दो प्राचीन शिव मंदिर मौजूद हैं, जिन्हें गोपेश्वर और रामेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है. वहीं तीसरा मंदिर भी था, जो जर्जर हालत में मौजूद है.

यहां से गुजरे थे भगवान राम

शत्रुघ्न के पुत्र ने किया राज

मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम का चारों दिशाओं में राज्य फैला था. उन्हीं के छोटे भाई शत्रुघ्न को इस क्षेत्र का प्रभार सौंपा गया. शत्रुघ्न के बेटे ने विदिशा नगर पर भी राज किया, जिसका जिक्र वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. शत्रुघ्न के बेटे शत्रु घाटी क्षेत्र के राजा कहे जाते रहे.

यहां मौजूद हैं राम के चरण

विदिशा अशोकनगर मार्ग से होकर पवित्र बेतवा नदी निकली है. नदी के बीचोंबीच दो मंदिर बने हैं, जिन्हें चरण तीर्थ के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर करीब 200 साल पुराने बताए जाते हैं. इन्हीं मंदिर पर भगवान के चरण चिन्ह स्थापित हैं. मान्यताओं के अनुसार भगवान राम वनवास के समय से यहां से होकर गुजरे तभी से लेकर आज तक उनके चरण के निशान यहां मौजूद हैं, इसीलिए आसपास के क्षेत्र को चरण तीर्थ के नाम से जाना गया.

स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर को सिंधिया परिवार के एक मंत्री ने बनवाया था उन्होंने कोई मन्नत मांगी, जिसके पूरी होने पर सिंधिया परिवार के लोगों ने इस मंदिर का निर्माण कराया. लोग बताते हैं कि मंदिर के पास नदी में एक कुंड भी है, जिसमें नहाने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों से भी लोग आते हैं. लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में नहाने से सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं. इसीलिए हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान राम के चरणों के दर्शन और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां पर आते हैं.

विदिशा। यहां का इतिहास त्रेता युग और भगवान राम से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि भगवान श्री राम वनवास के दौरान अपने भाई लक्ष्मण के साथ यहां से होकर गुजरे थे. उनके चरणों के निशान आज भी यहां मौजूद हैं. इस क्षेत्र को चरण तीर्थ क्षेत्र कहा जाता है. यहां दो प्राचीन शिव मंदिर मौजूद हैं, जिन्हें गोपेश्वर और रामेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है. वहीं तीसरा मंदिर भी था, जो जर्जर हालत में मौजूद है.

यहां से गुजरे थे भगवान राम

शत्रुघ्न के पुत्र ने किया राज

मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम का चारों दिशाओं में राज्य फैला था. उन्हीं के छोटे भाई शत्रुघ्न को इस क्षेत्र का प्रभार सौंपा गया. शत्रुघ्न के बेटे ने विदिशा नगर पर भी राज किया, जिसका जिक्र वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. शत्रुघ्न के बेटे शत्रु घाटी क्षेत्र के राजा कहे जाते रहे.

यहां मौजूद हैं राम के चरण

विदिशा अशोकनगर मार्ग से होकर पवित्र बेतवा नदी निकली है. नदी के बीचोंबीच दो मंदिर बने हैं, जिन्हें चरण तीर्थ के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर करीब 200 साल पुराने बताए जाते हैं. इन्हीं मंदिर पर भगवान के चरण चिन्ह स्थापित हैं. मान्यताओं के अनुसार भगवान राम वनवास के समय से यहां से होकर गुजरे तभी से लेकर आज तक उनके चरण के निशान यहां मौजूद हैं, इसीलिए आसपास के क्षेत्र को चरण तीर्थ के नाम से जाना गया.

स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर को सिंधिया परिवार के एक मंत्री ने बनवाया था उन्होंने कोई मन्नत मांगी, जिसके पूरी होने पर सिंधिया परिवार के लोगों ने इस मंदिर का निर्माण कराया. लोग बताते हैं कि मंदिर के पास नदी में एक कुंड भी है, जिसमें नहाने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों से भी लोग आते हैं. लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में नहाने से सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं. इसीलिए हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान राम के चरणों के दर्शन और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां पर आते हैं.

Intro:यहां से गुजरे थे भगवान श्री राम
आज जाना जाता है चरण तीर्थ के नाम से
स्पेशल स्टोरी
नवेद खान ,

मध्य प्रदेश के विदिशा को पुरातन काल में भेलसा के नाम से जाना जाता था यह नाम सूर्य के नाम से भेलस्वामी के नाम पर रखा गया था संस्कृति साहित्य में विदिशा का प्राचीन नाम वैदिसा था अंग्रेजी काल में यह शहर भेलसा के नाम से जाना जाने लगा सम्राट अशोक ने इसी भेलसा शहर में रहने वाली एक व्यापारी की बेटी से विवाह रचाया उसका नाम विदिशा बताया जाता है उसके नाम पर विदिशा नाम दिया यहां का इतिहास त्रेता युग और भगवान राम से जुड़ा हुआ है मान्यता है कि भगवान श्री राम वनवास के दौरान अपने भाई लक्ष्मण के साथ यहां से होकर गुजरे थे उनके चरणों के निशान आज भी यहां मौजूद हैं क्षेत्र को चरण तीर्थ क्षेत्र कहा जाता है यह दो प्राचीन शिव मंदिर मौजूद हैं जिन्हें गोपेश्वर धाम और रामेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है तीसरा मंदिर भी था जो जर्जर हालात में मौजूद है


Body:शत्रुघ्न के पुत्र ने किया राज,
पूर्वजों का मानना है त्रेता युग में भगवान राम ने चारों दिशाओं में अपना राज्य फैला लिया था उन्हीं के छोटे भाई शत्रुघ्न को इस क्षेत्र का प्रभार सौंपा गया था शत्रुघ्न के बेटे ने विदिशा नगर पर भी राज किया था जिसका जिक्र वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है शत्रुघ्न के बेटे शत्रु घाटी क्षेत्र के राजा कहे जाते रहे

यहां मौजूद हैं राम के चरण विदिशा अशोकनगर मार्ग पर होकर पवित्र बेतवा नदी निकली है इसी बेतवा नदी के बीचों-बीच दो मंदिर बने हैं जिन्हें चरण तीर्थ के नाम से जाना जाता है यह मंदिर करीब 200 साल पुराने बताए जाते हैं इन्हीं मंदिर पर चरण चिन्ह स्थापित हैं मान्यता यह भी है कि भगवान राम को वनवास हुआ भगवान श्री राम यहां से होकर गुजरे थे तभी से लेकर आज तक उनके चरण के निशान इस मंदिर पर मौजूद हैं उनके चरण के निशान पर इस आसपास के क्षेत्र को चरण तीर्थ के नाम से जाना जाता है




Conclusion:बताया जाता है इस मंदिर को सिंधिया परिवार के एक मंत्री ने बनाया बनवाया था उन्होंने कोई मान्यता मांगी थी उनकी मान्यता पूरी होने पर सिंधिया परिवार के लोगों ने इस मंदिर का निर्माण कराया
रामस्वरूप शर्मा पिछले दशकों से इसी मंदिर पर रोज आते हैं रामस्वरूप बताते हैं मंदिर के पास नदी में एक कुंड भी है जिसमें नहाने शहर के लोग ही नहीं बल्कि दूरदराज से लोग भी आते हैं लोगों की ऐसी मान्यता है कोई भी बीमारी हो इस कुंड में नहाने से दूर हो जाती है

रामस्वरूप की तरह प्रकाश रघुवंशी भी कई सालों से इस मंदिर पर लगातार आ रहे हैं भगवान श्री राम से प्रार्थना करते हैं और कुंड के फायदे गिन बातें हैं भगवान श्री राम के चरण आज भी यहां मौजूद हैं

नवेद खान p2c लगाने की कृपा करें ।
Last Updated : Oct 22, 2019, 1:04 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.