विदिशा। यहां का इतिहास त्रेता युग और भगवान राम से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि भगवान श्री राम वनवास के दौरान अपने भाई लक्ष्मण के साथ यहां से होकर गुजरे थे. उनके चरणों के निशान आज भी यहां मौजूद हैं. इस क्षेत्र को चरण तीर्थ क्षेत्र कहा जाता है. यहां दो प्राचीन शिव मंदिर मौजूद हैं, जिन्हें गोपेश्वर और रामेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है. वहीं तीसरा मंदिर भी था, जो जर्जर हालत में मौजूद है.
शत्रुघ्न के पुत्र ने किया राज
मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम का चारों दिशाओं में राज्य फैला था. उन्हीं के छोटे भाई शत्रुघ्न को इस क्षेत्र का प्रभार सौंपा गया. शत्रुघ्न के बेटे ने विदिशा नगर पर भी राज किया, जिसका जिक्र वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. शत्रुघ्न के बेटे शत्रु घाटी क्षेत्र के राजा कहे जाते रहे.
यहां मौजूद हैं राम के चरण
विदिशा अशोकनगर मार्ग से होकर पवित्र बेतवा नदी निकली है. नदी के बीचोंबीच दो मंदिर बने हैं, जिन्हें चरण तीर्थ के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर करीब 200 साल पुराने बताए जाते हैं. इन्हीं मंदिर पर भगवान के चरण चिन्ह स्थापित हैं. मान्यताओं के अनुसार भगवान राम वनवास के समय से यहां से होकर गुजरे तभी से लेकर आज तक उनके चरण के निशान यहां मौजूद हैं, इसीलिए आसपास के क्षेत्र को चरण तीर्थ के नाम से जाना गया.
स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर को सिंधिया परिवार के एक मंत्री ने बनवाया था उन्होंने कोई मन्नत मांगी, जिसके पूरी होने पर सिंधिया परिवार के लोगों ने इस मंदिर का निर्माण कराया. लोग बताते हैं कि मंदिर के पास नदी में एक कुंड भी है, जिसमें नहाने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों से भी लोग आते हैं. लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में नहाने से सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं. इसीलिए हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान राम के चरणों के दर्शन और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां पर आते हैं.