विदिशा। जिले के आखिरी छोर पर बसे गांव कालादेव में सैकड़ों वर्ष पूर्व से चले आ रहे अनोखे पत्थर मार दशहरे का आयोजन इस वर्ष भी किया गया. जबकि कोरोना के चलते प्रशासन ने इस आयोजन पर रोक लगाई थी. बावजूद इसके यहां पत्थर मार दशहरा मनाया गया. आयोजन के दौरान तो सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाईं गईं.
पुलिस का कहना
इस बारे में जब स्थानीय पुलिस से बात की गई तो एसडीओपी आरपी रावत ने कहा कि कोरोना के चलते आयोजन पर रोक लगाई गई थी. ये कानून का उल्लंघन है. इस संबंध में सीनियर अधिकारी जो भी निर्देश देंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
राम और रावण की सेना में युद्ध
कालादेव में आयोजित पत्थर मार दशहरा मेले में एक तरफ राम की सेना तो दूसरी ओर भील बंजारे रावण की सेना में सम्मिलित होने के लिए आए थे. इस पत्थर मार युद्ध में गोफान (गोटियों ) से राम की सेना पर रावण की सेना ने पत्थरों से वार किया.
क्यों मनाया जाता है पत्थर मार दशहरा
स्थानीय लोगों ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि सालों पूर्व टोंक रियासत के नवाब ने इस दशहरे को रुकवाने का पूरा प्रयास किया था. उन्होंने कहा था कि यह दशहरा नहीं होना चाहिए. क्योंकि आप लोग जानबूझकर किसी को पत्थर नहीं मारते हैं. लेकिन हम गोली चलाएंगे. यदि राम की सेना के सैनिक को गोली लग गई तो यह दशहरा आज से ही बंद हो जाएगा. भगवान राम की ऐसी कृपा बनी की नवाब की गोली भी किसी राम सैनिक को नहीं छू पाई. तब से ही यह दशहरा अभी तक लगातार चल रहा है.