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वेंटिलेटर पर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं, गांव के अस्पतालों को इलाज की जरूरत

विदिशा जिले के ग्रामीण इलाकों को स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं, ईटीवी भारत के कैमरे में कुछ ऐसे ही अस्पताल कैद हुए जिनकों देखकर वहां की स्वास्थ्य सेवाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है, देखिए इस रिपोर्ट में कोरोना काल में जिले की स्वास्थ सेवाएं.

health care centers in villages of vidisha
अस्पताल को इलाज की जरूरत
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Published : May 28, 2020, 6:20 PM IST

विदिशा। जिले के ग्रामीण अंचल की स्वास्थ्य सेवाएं इन दिनों बदहाल स्थिति में हैं, ग्रामीण इलाकों में ये स्वास्थ्य केंद्र सरकार ने इसलिए खोले ताकि ग्रामीण अंचलों के लोगों को अपने ही गांव में स्वास्थ सेवाओं का लाभ मिल सके, जिले के गांवों में डॉक्टर पहुंचते ही नहीं और वहीं यहां के अस्पताल की हालत जर्जर हो चुकी है.

वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सेवाएं

ग्रामीण अंचलों में जब ईटीवी भारत ने इन इलाकों के हालात जाने तो पाया गया कि एक नहीं बल्कि जिलेभर में ऐसे कई स्वास्थ केंद्र हैं, जिनकी हालात बद से बद्दतर हो चुकी है. ग्राम कुआ खेड़ी में एक बड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन बनाया गया है और डॉक्टरों की नियुक्ति भी की गई है. लेकिन इन केंद्रों पर डॉक्टर किसी एक दिन नहीं बल्कि हर दिन नदारत रहते हैं. अस्पताल के फर्श पर जमी धूल खाली पड़ी टेबल कुर्सी खुद महीनों से डॉक्टर नहीं आने के गवाही दे रहे हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के आगे सूचना पटल पर दवाओं उपलब्ध होने का दावा किया गया है पर सवाल यह जब डॉक्टर ही नहीं तो यह दवाएं कौन देगा.

ग्राम कुआ खेड़ी के बाद जैसे-जैसे अस्पतालों की स्वास्थ्य केंद्रों के हालात जानने ग्रामीण अंचल सोजना पहुंचे तो वहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के हालात खुद वेंटिलेटर पर नजर आये सोजना का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भबन मानो सालों से ही नही खुला यहां केवल केंद्र होने की निशानियां मिलती है भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका बल्कि गिरने की कगार पर है दरख्ति दीवार स्वस्थ रहने का संदेश दे रही है अंदर भबन की तरह जर्जर हो चुका वेंटिलेटर ,सिरिंज अलमारियों से बाहर झांकते दस्तावेज अपनी बदहाल की कहानी खुद बया कर रहे हैं

सोजना के ग्रामीण बताते हैं गांव में प्राथमिक केंद्र तो बनाया गया पर ग्रामीणों ने आज तक यहां डॉक्टरों को नही देखा. यहां डॉक्टर नहीं आये जर्जर भवन होने की वजह से इस भवन को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया, लेकिन उस भवन में भी ताला लटका हुआ है. आज भी कोई भी छोटी मोटी बीमारी के लिए इन्हें विदिशा भागना होता है.

इन सब हालातों को जिला मुख्यालय के स्वास्थ विभाग के आलाअधिकारी मानने को तैयार नहीं बल्कि अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए जिले भर में अच्छी स्वास्थ सेवाएं देने का दावा करते नजर आ रहे हैं. सवाल यह है कि जब सरकार और आलाधिकारी दावा कर रहे हैं जिले भर के ग्रामीण इलाकों में डॉक्टर मौजूद हैं तो यह कौन लोग हैं जो जिला मुख्यालय पर इलाज के लिए भटकते नजर आते हैं. अगर गांव में डॉक्टर मौजूद हैं तो क्यों डॉक्टर न मिलने और इलाज के अभाव में लोगों की मौत पर सवाल उठते रहे हैं.

विदिशा। जिले के ग्रामीण अंचल की स्वास्थ्य सेवाएं इन दिनों बदहाल स्थिति में हैं, ग्रामीण इलाकों में ये स्वास्थ्य केंद्र सरकार ने इसलिए खोले ताकि ग्रामीण अंचलों के लोगों को अपने ही गांव में स्वास्थ सेवाओं का लाभ मिल सके, जिले के गांवों में डॉक्टर पहुंचते ही नहीं और वहीं यहां के अस्पताल की हालत जर्जर हो चुकी है.

वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सेवाएं

ग्रामीण अंचलों में जब ईटीवी भारत ने इन इलाकों के हालात जाने तो पाया गया कि एक नहीं बल्कि जिलेभर में ऐसे कई स्वास्थ केंद्र हैं, जिनकी हालात बद से बद्दतर हो चुकी है. ग्राम कुआ खेड़ी में एक बड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन बनाया गया है और डॉक्टरों की नियुक्ति भी की गई है. लेकिन इन केंद्रों पर डॉक्टर किसी एक दिन नहीं बल्कि हर दिन नदारत रहते हैं. अस्पताल के फर्श पर जमी धूल खाली पड़ी टेबल कुर्सी खुद महीनों से डॉक्टर नहीं आने के गवाही दे रहे हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के आगे सूचना पटल पर दवाओं उपलब्ध होने का दावा किया गया है पर सवाल यह जब डॉक्टर ही नहीं तो यह दवाएं कौन देगा.

ग्राम कुआ खेड़ी के बाद जैसे-जैसे अस्पतालों की स्वास्थ्य केंद्रों के हालात जानने ग्रामीण अंचल सोजना पहुंचे तो वहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के हालात खुद वेंटिलेटर पर नजर आये सोजना का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भबन मानो सालों से ही नही खुला यहां केवल केंद्र होने की निशानियां मिलती है भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका बल्कि गिरने की कगार पर है दरख्ति दीवार स्वस्थ रहने का संदेश दे रही है अंदर भबन की तरह जर्जर हो चुका वेंटिलेटर ,सिरिंज अलमारियों से बाहर झांकते दस्तावेज अपनी बदहाल की कहानी खुद बया कर रहे हैं

सोजना के ग्रामीण बताते हैं गांव में प्राथमिक केंद्र तो बनाया गया पर ग्रामीणों ने आज तक यहां डॉक्टरों को नही देखा. यहां डॉक्टर नहीं आये जर्जर भवन होने की वजह से इस भवन को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया, लेकिन उस भवन में भी ताला लटका हुआ है. आज भी कोई भी छोटी मोटी बीमारी के लिए इन्हें विदिशा भागना होता है.

इन सब हालातों को जिला मुख्यालय के स्वास्थ विभाग के आलाअधिकारी मानने को तैयार नहीं बल्कि अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए जिले भर में अच्छी स्वास्थ सेवाएं देने का दावा करते नजर आ रहे हैं. सवाल यह है कि जब सरकार और आलाधिकारी दावा कर रहे हैं जिले भर के ग्रामीण इलाकों में डॉक्टर मौजूद हैं तो यह कौन लोग हैं जो जिला मुख्यालय पर इलाज के लिए भटकते नजर आते हैं. अगर गांव में डॉक्टर मौजूद हैं तो क्यों डॉक्टर न मिलने और इलाज के अभाव में लोगों की मौत पर सवाल उठते रहे हैं.

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