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चार युवाओं ने बनाया श्मशान घाट

कोरोना के बढ़ते मामले और इनसे होने वाली मौतों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. आलम यह है कि अब श्मशान घाट में भी लिए लकड़ियां कम पड़ने लगी हैं.

Four youth built the crematorium
चार युवाओं ने बनाया शमशान घाट
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Published : May 26, 2021, 9:13 AM IST

विदिशा। जिले में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इनसे होने वाली मौतों का ग्राफ भी बढ़ रहा है. आलम यह है कि अब श्मशान घाट में भी शवों को जलाने के लिए लकड़ियां कम पड़ने लगी हैं. वहीं संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार करने का बेड़ा शहर के चार युवाओं ने उठाया है. श्मशान घाट में जगह कम पड़ने लगी तो युवाओं ने अस्थाई घाट बनाया, जिसका नाम उन्होंने भोर शमशान घाट रखा. चारों युवा अब तक 170 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. इनमें से 10 मृतकों के परिजन अस्थियां लेने नहीं आए हैं. ऐसे में युवाओं ने इन अस्थियों को खुद विसर्जित करने का मन बना लिया है.

चार युवाओं ने बनाया शमशान घाट

एक समय था जब लोग अपने परिजनों की अस्थियां खुद विसर्जित करते थे, लेकिन कोरोना काल में लोग इतने डरे हुए हैं कि वह अस्थियां भी नहीं लेने पहुंच रहे हैं. ऐसे हालातों में यह चारों युवा अब प्रयागराज में जाकर अस्थियां विसर्जन करने की तैयारी कर रहे हैं. नायब तहसीलदार प्रमोद उइके ने बताया है कि भोर घाट पर कोरोना से मृतकों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. कोरोना के डर से परिजन अस्थियां भी लेने नहीं आते हैं. ऐसे में सामाजिक संगठन के युवा अस्थियों को इलाहाबाद में विसर्जन करने के लिए आगे आएं और अपना योगदान दे रहे हैं.

पिछले एक महीने से इस घाट पर हो रहा अंतिम संस्कार

युवा समाजसेवी कुलदीप शर्मा ने कहा कि मृत व्यक्ति के परिजनों का बुरा हाल है, श्मशान घाटों में लकड़ी नहीं है. परिजनों का दुख देखकर हमें लगा कि हमें इनक मदद करनी चाहिए. फिर हम लोगों ने तय किया कि हम प्रयागराज जाकर इन सभी का विधि विधान के साथ विसर्जन करेंगे. इसके अलावा जो भी क्रिया कर्म है. वह सारी भूमिका और जिम्मेदारी निभाएंगे.

भोपाल:खुले में हो रहे अंतिम संस्कार में बारिश बनी बाधा, लकड़ियों की भी कमी

परिजन अस्थियां लेने नहीं आते

वहीं, युवा समाजसेवी संजू प्रजापति का कहना है कि दाह संस्कार के बाद कई लोग ऐसे हैं, जो आज तक अस्थियां लेकर नहीं गए. इन अस्थियों को उठाने का काम हमारी टीम पूरी रीति रिवाज के साथ कर रही है. हमारी कोशिश रहती है कि हम पूरी रीति रिवाज के साथ काम करें. अब तक 170 के आसपास दाह संस्कार कर चुके हैं. दस के आसपास ऐसी अस्थियां चुनी गईं हैं, जिनको अभी तक लोग लेने नहीं आए हैं. कई लोगों को हमने फोन से भी संपर्क किया है, लेकिन वह नहीं आते हैं.

विदिशा। जिले में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इनसे होने वाली मौतों का ग्राफ भी बढ़ रहा है. आलम यह है कि अब श्मशान घाट में भी शवों को जलाने के लिए लकड़ियां कम पड़ने लगी हैं. वहीं संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार करने का बेड़ा शहर के चार युवाओं ने उठाया है. श्मशान घाट में जगह कम पड़ने लगी तो युवाओं ने अस्थाई घाट बनाया, जिसका नाम उन्होंने भोर शमशान घाट रखा. चारों युवा अब तक 170 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. इनमें से 10 मृतकों के परिजन अस्थियां लेने नहीं आए हैं. ऐसे में युवाओं ने इन अस्थियों को खुद विसर्जित करने का मन बना लिया है.

चार युवाओं ने बनाया शमशान घाट

एक समय था जब लोग अपने परिजनों की अस्थियां खुद विसर्जित करते थे, लेकिन कोरोना काल में लोग इतने डरे हुए हैं कि वह अस्थियां भी नहीं लेने पहुंच रहे हैं. ऐसे हालातों में यह चारों युवा अब प्रयागराज में जाकर अस्थियां विसर्जन करने की तैयारी कर रहे हैं. नायब तहसीलदार प्रमोद उइके ने बताया है कि भोर घाट पर कोरोना से मृतकों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. कोरोना के डर से परिजन अस्थियां भी लेने नहीं आते हैं. ऐसे में सामाजिक संगठन के युवा अस्थियों को इलाहाबाद में विसर्जन करने के लिए आगे आएं और अपना योगदान दे रहे हैं.

पिछले एक महीने से इस घाट पर हो रहा अंतिम संस्कार

युवा समाजसेवी कुलदीप शर्मा ने कहा कि मृत व्यक्ति के परिजनों का बुरा हाल है, श्मशान घाटों में लकड़ी नहीं है. परिजनों का दुख देखकर हमें लगा कि हमें इनक मदद करनी चाहिए. फिर हम लोगों ने तय किया कि हम प्रयागराज जाकर इन सभी का विधि विधान के साथ विसर्जन करेंगे. इसके अलावा जो भी क्रिया कर्म है. वह सारी भूमिका और जिम्मेदारी निभाएंगे.

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परिजन अस्थियां लेने नहीं आते

वहीं, युवा समाजसेवी संजू प्रजापति का कहना है कि दाह संस्कार के बाद कई लोग ऐसे हैं, जो आज तक अस्थियां लेकर नहीं गए. इन अस्थियों को उठाने का काम हमारी टीम पूरी रीति रिवाज के साथ कर रही है. हमारी कोशिश रहती है कि हम पूरी रीति रिवाज के साथ काम करें. अब तक 170 के आसपास दाह संस्कार कर चुके हैं. दस के आसपास ऐसी अस्थियां चुनी गईं हैं, जिनको अभी तक लोग लेने नहीं आए हैं. कई लोगों को हमने फोन से भी संपर्क किया है, लेकिन वह नहीं आते हैं.

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