विदिशा। सिरोंज तहसील से चार बार विधायक रहे मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का कोरोना से निधन हो गया हैं. आज उनके विधानसभा क्षेत्र में अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार के दौरान भारी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता शामिल हुए.
विकास पुरुष के नाम से पहचान बनाने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा अब हमारे बीच नहीं हैं. 11 मई को कोरोना होने के बाद उनका भोपाल के चिरायु अस्पताल में इलाज चल रहा था. गंभीर हालत के चलते सोमवार को हैदराबाद से डॉक्टरों को भोपाल बुलाया गया था, लेकिन जब डॉक्टरों की टीम अस्पताल पहुंची तो उससे पहले ही इस नेता ने अंतिम सांस ली.
पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का कोरोना से निधन, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा वर्ष 1998-2003 और 2008 से लगातार सिरोंज-लटेरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे. 2013 के चुनाव में वह 1700 मतों के अंतर से पराजित हुए, लेकिन उनके पराजित होने के बाद जनता ने 2018 में उनके भाई उमाकांत शर्मा को 34000 मतों से जीत दिलाकर अपनी गलती को सुधारा.
वर्ष 2004 में लक्ष्मीकांत शर्मा पहली बार उमा भारती सरकार में स्वतंत्र राज्य मंत्री बने. इसके बाद 2008 में शिवराज सरकार के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री बनाए गए. इसके उपरांत सिरोंज-लटेरी विधानसभा क्षेत्र में विकास का जो पहिया चला, वह आज भी कायम हैं.
लक्ष्मीकांत शर्मा लगातार नौ साल प्रदेश के संस्कृति मंत्री रहे. उन्होंने मध्य प्रदेश में कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई. लक्ष्मीकांत शर्मा ने उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम दिए. इसमें उन्होंने सिरोंज को पीजी कॉलेज का दर्जा दिलवाया. लटेरी विधानसभा क्षेत्र में भी एक कॉलेज स्थापित करवाया. साथ ही सिरोंज को शिक्षा का हब बनाने के लिए उन्होंने टेक्नो ग्लोबल यूनिवर्सिटी के रूप में सिरोंज विश्वविद्यालय की स्थापना की. एक पॉलिटेक्निक कॉलेज की भी शुरुआत की गई.
राजनीतिक करियर हुआ था खत्म
पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का राजनीतिक करियर एक तरह से साल 2013 में खत्म हो गया था, जब उनका नाम व्यापम घोटाले में नाम आया था. इसी वजह से वह 18 महीने जेल में भी रहे थे, लेकिन जब उन्हें 18 महीने बाद रिहा किया गया, तो भोपाल की जेल के बाहर 500 से अधिक वाहनों का काफिला उनका इंतजार करता रहा और किसी जन नेता की तरह इस काफिले को लेकर अपने घर सिरोंज विधानसभा पहुंचे.