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पेट्रोल-डीजल के दाम में उछाल से खेतों की जुताई हुई महंगी, किसानों की बढ़ी मुसीबत - PETROL PRICES HIKE

पेट्रोल-डीजल के दाम में आए उछाल से खेतों की जुताई महंगी हो गई है. दूसरी तरफ कर्ज में डूब रहे किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है.

farmers upset
डीजल बढ़ने से खेती पर संकट
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Published : Jun 29, 2020, 2:34 PM IST

विदिशा। एक तरफ कोरोना काल, टिड्डियों का आतंक और इन सब के बीच पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने किसान को बेहाल कर दिया है. लॉकडाउन की वजह से पहले ही आर्थिक तंगी झेल रहे किसान संभले भी नहीं थे कि, अब डीजल के दामों में लगातार हो रहे इजाफे ने कमर तोड़ दी है. ऐसे में छोटे और भूमिहीन किसानों के लिए समस्या और ज्यादा बढ़ गई है. जमीन की जुताई और बुवाई ट्रैक्टरों से ही की जाती है, डीजल के दाम बढ़ने से ट्रैक्टरों का किराया बढ़ गया है. जो किसान सिर्फ खेती पर ही निर्भर हैं, उनके आगे दोहरी समस्या है, एक ओर परिवार को पालने की और दूसरा खेती करने की. ऐसे में वो कैसे खेती करेंगे और क्या अपने परिवार को खिलाएंगे.

डीजल के दामों ने बढ़ाई किसानों की मुश्किल

ट्रैक्टर से जुताई और बुवाई हुई महंगी

खरीफ की सीजन के दौरान सरकार ने डीजल व पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए, जिसका ज्यादा असर किसानों की जेब पर पड़ा है. लगातार दो सप्ताह से डीजल व पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं. इधर, मानसून सिर पर है, किसान खरीफ की बुवाई की तैयारी में है. ट्रैक्टरों से जुताई व बुवाई दस से बीस प्रतिशत बढ़ चुकी है. इस कारण किसान परेशान है. किराए पर ट्रैक्टर बुलाकर खेती करने वाले किसानों पर पहले के मुकाबले अधिक रेट वसूला जा रहा है.

petrol and diesel
डीजल बढ़ने से खेती पर संकट

खरीफ की फसल से पहले टूटा पहाड़

खरीफ की फसल की बुवाई से पहले इनके दाम बढऩे से किसानों के चेहरों पर मायूसी छा गई है. खेतों की जुताई महंगी हो गई है, ऐसे में खरीफ की बुवाई पर संकट छा गया है. जबकि प्रदेश का किसान पहले से कर्ज में डूबा हुआ है और कोरोना संक्रमण के बाद लगातार परेशान है. किसान लगातार सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं, फिलहाल उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है.

किसान हरिवंश का कहना है कि, डीजल की बढ़ती कीमतों को खेती पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है, क्योंकि सारी खेती के काम डीजल से ही होती है. बोनी से लेकर मंडी तक, दवा छिड़ने से लेकर सिंचाई तक हर काम डीजल पर निर्भर करता है. किसान तोरण सिंह सोयाबीन की फसल की खेती करते हैं. तोरण सिंह के पास भी खेती के अलावा दूसरा कोई और रोजगार नहीं है. तोरण पहले खेत ट्रैक्टर से आते थे अब खेत मे पैदल पहुंचते हैं. बताते है, डीजल के दाम बढ़ने से घर से लेकर खेती तक का बजट गड़बड़ा गया है.

लिहाजा, सरकार ने बीस लाख करोड़ के राहत पैकेज में किसानों को भले ही कुछ दिया हो. लेकिन किसानों को तो उनकी फसल का वाजिब मूल्य भी नहीं मिल रहा है. वहीं पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बावजूद पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं.

विदिशा। एक तरफ कोरोना काल, टिड्डियों का आतंक और इन सब के बीच पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने किसान को बेहाल कर दिया है. लॉकडाउन की वजह से पहले ही आर्थिक तंगी झेल रहे किसान संभले भी नहीं थे कि, अब डीजल के दामों में लगातार हो रहे इजाफे ने कमर तोड़ दी है. ऐसे में छोटे और भूमिहीन किसानों के लिए समस्या और ज्यादा बढ़ गई है. जमीन की जुताई और बुवाई ट्रैक्टरों से ही की जाती है, डीजल के दाम बढ़ने से ट्रैक्टरों का किराया बढ़ गया है. जो किसान सिर्फ खेती पर ही निर्भर हैं, उनके आगे दोहरी समस्या है, एक ओर परिवार को पालने की और दूसरा खेती करने की. ऐसे में वो कैसे खेती करेंगे और क्या अपने परिवार को खिलाएंगे.

डीजल के दामों ने बढ़ाई किसानों की मुश्किल

ट्रैक्टर से जुताई और बुवाई हुई महंगी

खरीफ की सीजन के दौरान सरकार ने डीजल व पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए, जिसका ज्यादा असर किसानों की जेब पर पड़ा है. लगातार दो सप्ताह से डीजल व पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं. इधर, मानसून सिर पर है, किसान खरीफ की बुवाई की तैयारी में है. ट्रैक्टरों से जुताई व बुवाई दस से बीस प्रतिशत बढ़ चुकी है. इस कारण किसान परेशान है. किराए पर ट्रैक्टर बुलाकर खेती करने वाले किसानों पर पहले के मुकाबले अधिक रेट वसूला जा रहा है.

petrol and diesel
डीजल बढ़ने से खेती पर संकट

खरीफ की फसल से पहले टूटा पहाड़

खरीफ की फसल की बुवाई से पहले इनके दाम बढऩे से किसानों के चेहरों पर मायूसी छा गई है. खेतों की जुताई महंगी हो गई है, ऐसे में खरीफ की बुवाई पर संकट छा गया है. जबकि प्रदेश का किसान पहले से कर्ज में डूबा हुआ है और कोरोना संक्रमण के बाद लगातार परेशान है. किसान लगातार सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं, फिलहाल उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है.

किसान हरिवंश का कहना है कि, डीजल की बढ़ती कीमतों को खेती पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है, क्योंकि सारी खेती के काम डीजल से ही होती है. बोनी से लेकर मंडी तक, दवा छिड़ने से लेकर सिंचाई तक हर काम डीजल पर निर्भर करता है. किसान तोरण सिंह सोयाबीन की फसल की खेती करते हैं. तोरण सिंह के पास भी खेती के अलावा दूसरा कोई और रोजगार नहीं है. तोरण पहले खेत ट्रैक्टर से आते थे अब खेत मे पैदल पहुंचते हैं. बताते है, डीजल के दाम बढ़ने से घर से लेकर खेती तक का बजट गड़बड़ा गया है.

लिहाजा, सरकार ने बीस लाख करोड़ के राहत पैकेज में किसानों को भले ही कुछ दिया हो. लेकिन किसानों को तो उनकी फसल का वाजिब मूल्य भी नहीं मिल रहा है. वहीं पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बावजूद पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं.

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