विदिशा। बिहार के समस्तीपुर से गायब हुई 75 साल की बुजुर्ग महिला बादामी बाई को आखिरकार उनका परिवार वापस मिल गया. 75 वर्षीय महिला बादामी बाई 3 महीने पहले अपने घर से गायब हो गईं थीं. साधुओं की मंडली के साथ वह पैदल ही विदिशा पहुंच गई. 6 जुलाई की रात 1 बजे बुजुर्ग महिला को बीच सड़क पर रोता पाया गया. जिसके बाद प्रशासन की सूचना पर उन्हें श्री हरि वृद्ध आश्रम लाया गया. आश्रम प्रबंधन की मदद से बुजुर्ग के परिजन का पता चला, फिर बुजुर्ग के पोते से संपर्क किया गया. जिसके बाद विदिशा पहुंचकर बुजुर्ग महिला को उनका पोता वापस बिहार ले गया.
6 जुलाई की रात 1 बजे रोते हुई मिलीं
विदिशा के विट्ठल नगर इलाके में 6 जुलाई को सड़कों पर 75 वर्षीय बादामी बाई रोती बिलखती पाई गईं थी. प्रशासन की तरफ से जानकारी मिलने के बाद रात करीब 1 बजे श्री हरि वृद्ध आश्रम की सेवाभावी टीम ई-रिक्शा लेकर बुजुर्ग के पास पहुंची. जहां वृद्धाश्रम की अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा, वेद प्रकाश शर्मा ने वृद्धा से बातचीत की. उनका नाम पता पूछा और उनको अपनेपन का विश्वास दिलाते हुए रात में ही श्री हरि वृद्ध आश्रम में प्रवेश दिया.
तीन महीने पहले गायब हुई थी बुजुर्ग
इसके पश्चात वृद्ध आश्रम प्रबंधन और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से बुजुर्ग महिला के घर का पता ढूंढ निकाला. इस दौरान जब बुजुर्ग महिला के पोते सुनील से बात हुई तो उसने मामले की जानकारी दी. बुजुर्ग के परिजन ने बताया कि 75 वर्षीय बादामी बाई करीब तीन महीने पहले घर से निकली थीं, जो यहां कैसे पहुंची यह बताना मुश्किल है. परिजन ने बताया कि वह अकसर मन्दिर जाने घर से निकलती थीं. लेकिन एक रोज वह घर वापिस ही नहीं आईं. जिसके बाद परिजन ने व्हाट्सएप और फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया के जरिए खोजबीन की. काफी तलाश की गई, लेकिन बुजुर्ग महिला का कोई पता नहीं चला, जिसके बाद परिजन निराश होकर बैठ गए थे.
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सूचना के बाद बुजुर्ग को लेने पहुंचे परिजन
सबसे पहले सामाजिक न्याय विभाग के उपसंचालक डॉक्टर पीके मिश्रा और श्रीहरि वृद्ध आश्रम से बुजुर्ग महिला के पोते को सूचना मिली. बुजुर्ग का पोता बेंगलुरु में एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है. जानकारी के बाद वह तत्काल ट्रेन में बैठ कर सोमवार को विदिशा के श्री हरि वृद्ध आश्रम पहुंचा, जहां अपनी दादी को देखकर वह बहुत खुश हुआ. इसके बाद 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला बादामी बाई को उनके पोते के साथ वापस बिहार के समस्तीपुर भेजा गया.
दादी के मिलने के बाद क्या बोला पोता
'मेरी दादी 3 महीने पहले घर से भटक गईं थी. किसी साधु की मंडली के साथ ही वह मंडली में आगे निकल गई. विदिशा में आकर यह रास्ता भटक गई और विदिशा के आश्रम के मुखिया से द्वारा संपर्क हुआ, फिर मेरी दादी मिली है. दादी बोल रही थी कि यहां तक मैं पैदल आई हूं. मैंने ढूंढने का प्रयास किया था, व्हाट्सएप, फेसबुक और आसपास के सभी गांव में खोजबीन की थी, लेकिन दादी नहीं मिलीं. अब दादी मिली हैं तो दादी भी बहुत खुश हैं और मैं भी बहुत खुश हूं. विदिशा के सभी व्यक्तियों से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई है.'