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विदिशा: उदयगिरि की गुफाओं में छिपा है प्राचीन कला का रहस्य, धर्म संस्कृति और रचनात्मकता की है मिसाल - विदिशा न्यूज

उदयगिरि की गुफा में भगवान विष्णु के वराह अवतार की करीब 12 फिट ऊंची प्रतिमा अपने आप मे भव्य और अनूठी है. यह प्रतिमा शिल्प स्थापत्य धर्म संस्कृति और रचनात्मकता का अनूठा मिश्रण है.

Varaha Avatar of Lord Vishnu
भगवान विष्णु के वराह अवतार
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Published : Jun 29, 2020, 1:42 PM IST

विदिशा। शहर से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उदयगिरि की गुफाएं अपने अंदर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को समेटे हुए हैं. इस पहाड़ी को गुफाओं के लिए जाना जाता है. एक तरफ बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का केंद्र है, तो दूसरी तरफ हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों का भी इस पहाड़ी से बड़ा इतिहास जुड़ा हुआ है.

भगवान विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमा

उदयगिरि की गुफा नंबर पांच में भगवान विष्णु के वराह अवतार की करीब 12 फिट ऊंची प्रतिमा अपने आप मे भव्य और अनूठी है. नरवाराह की यह प्रतिमा शिल्प स्थापत्य धर्म संस्कृति और रचनात्मकता की मिसाल है. प्रतिमा का सिर सुअर का है, जबकि शरीर मनुष्य की तरह है. यही कारण है कि भगवान विष्णु के इस रूप को नरवाराह कहा जाता है.

1600 साल पुरानी भगवान विष्णु की एक मात्र मूर्ति

इस पहाड़ी पर विशाल शिला को शिल्पी ने सुंदरता से तराशा है. शिल्पी ने न सिर्फ भगवान विष्णु के शारीरिक सौष्ठव को बखूबी उत्कीर्ण किया है, बल्कि बहुत से देव, गंधर्व, साधु समुद्र की लहरों को इन शिला चित्रों के द्वारा समझाने की कोशिश की है. इस विशाल रूप भगवान विष्णु कहीं और देखने नहीं मिलते हैं.

कई कथा समेटे हुए ये हैं गुफाएं

करीब 2,500 साल पुरानी यह उदयगिरि की गुफाएं दर्शनीय मानी जाती है. इन गुफाओं में प्रतिमा नहीं बल्कि एक दौर की कथा समेटे हैं. भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक अवतार वराह अवतार माना जाता है. धरती को दानवों के आतंक से मुक्त कराने के लिए, भगवान विष्णु ने यह अवतार लिया था. धरती पर राक्षसों द्वारा फैलाए आतंक को भगवान ने अपने मुंह से खींचकर इस धरती का उद्धार किया था. जब धरती का उद्धार हो गया, तो देवताओं ने भगवान विष्णु के इसी अवतार पर पुष्प बरसाकर उसका स्वागत सत्कार किया था. भगवान के अवतारों के साथ ये उदयगिरि की गुफाएं चंद्रगुप्त राजाओं की जीत की कहानी भी सुनाती नजर आती है.

चट्टान पर केनवास का दृश्य

इन उदयगिरि की चट्टानों पर एक नहीं बल्कि ऐसे कई देवी देवताओं की बारीक प्रतिमाएं बनीं हैं, जो सनातन धर्म की अनेकों कहानी वयां कर रही हैं. देवी- देवताओं के साथ एक चट्टान पर केनवास का दृश्य भी बना हुआ है. उदयगिरि को सम्राट अशोक की सुसराल के नाम से भी जाना जाता है.

इतिहासकार अरविंद शर्मा बताते है कि, उदयगिरि की गुफाओं का अपने आप में एक अलग महत्व है. यहां कई देवी देवताओं की प्रतिमा बनीं हैं. साथ ही यह उदयगिरि चंद्रगुप्त के काल की तमाम कलाओं का प्रमाण भी है.

विदिशा। शहर से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उदयगिरि की गुफाएं अपने अंदर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को समेटे हुए हैं. इस पहाड़ी को गुफाओं के लिए जाना जाता है. एक तरफ बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का केंद्र है, तो दूसरी तरफ हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों का भी इस पहाड़ी से बड़ा इतिहास जुड़ा हुआ है.

भगवान विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमा

उदयगिरि की गुफा नंबर पांच में भगवान विष्णु के वराह अवतार की करीब 12 फिट ऊंची प्रतिमा अपने आप मे भव्य और अनूठी है. नरवाराह की यह प्रतिमा शिल्प स्थापत्य धर्म संस्कृति और रचनात्मकता की मिसाल है. प्रतिमा का सिर सुअर का है, जबकि शरीर मनुष्य की तरह है. यही कारण है कि भगवान विष्णु के इस रूप को नरवाराह कहा जाता है.

1600 साल पुरानी भगवान विष्णु की एक मात्र मूर्ति

इस पहाड़ी पर विशाल शिला को शिल्पी ने सुंदरता से तराशा है. शिल्पी ने न सिर्फ भगवान विष्णु के शारीरिक सौष्ठव को बखूबी उत्कीर्ण किया है, बल्कि बहुत से देव, गंधर्व, साधु समुद्र की लहरों को इन शिला चित्रों के द्वारा समझाने की कोशिश की है. इस विशाल रूप भगवान विष्णु कहीं और देखने नहीं मिलते हैं.

कई कथा समेटे हुए ये हैं गुफाएं

करीब 2,500 साल पुरानी यह उदयगिरि की गुफाएं दर्शनीय मानी जाती है. इन गुफाओं में प्रतिमा नहीं बल्कि एक दौर की कथा समेटे हैं. भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक अवतार वराह अवतार माना जाता है. धरती को दानवों के आतंक से मुक्त कराने के लिए, भगवान विष्णु ने यह अवतार लिया था. धरती पर राक्षसों द्वारा फैलाए आतंक को भगवान ने अपने मुंह से खींचकर इस धरती का उद्धार किया था. जब धरती का उद्धार हो गया, तो देवताओं ने भगवान विष्णु के इसी अवतार पर पुष्प बरसाकर उसका स्वागत सत्कार किया था. भगवान के अवतारों के साथ ये उदयगिरि की गुफाएं चंद्रगुप्त राजाओं की जीत की कहानी भी सुनाती नजर आती है.

चट्टान पर केनवास का दृश्य

इन उदयगिरि की चट्टानों पर एक नहीं बल्कि ऐसे कई देवी देवताओं की बारीक प्रतिमाएं बनीं हैं, जो सनातन धर्म की अनेकों कहानी वयां कर रही हैं. देवी- देवताओं के साथ एक चट्टान पर केनवास का दृश्य भी बना हुआ है. उदयगिरि को सम्राट अशोक की सुसराल के नाम से भी जाना जाता है.

इतिहासकार अरविंद शर्मा बताते है कि, उदयगिरि की गुफाओं का अपने आप में एक अलग महत्व है. यहां कई देवी देवताओं की प्रतिमा बनीं हैं. साथ ही यह उदयगिरि चंद्रगुप्त के काल की तमाम कलाओं का प्रमाण भी है.

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