उमरिया। कोरोना वायरस एक ऐसी वैश्विक महामारी है, जिसे शायद ही आने वाले समय में युगों-युगों तक कोई भूल पाएगा. लॉकडाउन तो खत्म हो गया, लेकिन आज भी लॉकडाउन का दंश झेल रहे पीड़ित दर-ब-दर भटक रहे हैं. जहां अधिकतर मजूदरों की या तो नौकरी चली गई है या फिर कंपनी मालिकों ने उन्हें पैसा नहीं दिया. ऐसे में दो वक्त की रोटी की आस में घर छोड़कर मजदूरी करने आए मजदूरों की पीड़ा तस्वीरों में साफ तौर पर झलक रही है.
भारत और नेपाल की सीमा से भटके मजदूर
एक ऐसा ही मामला जिले से सामने आया है, जहां नेपाल से भटकी हुई महिला पिछले 6 माह से चंदिया तहसील के बीजापुर गांव में रह रही है. फिलहाल गांव वालों को महिला की भाषा समझ में नहीं आ रही है, पर लगातार 6 माह से साथ में रह रहे ग्रामीणों का कहना है कि, यह नेपाल के जनकपुर क्षेत्र की रहने वाली है, जिसके साथ लूट की घटना हुई थी. इसलिए पैसों के अभाव में वह भटकती हुई यहां पहुंच गई.
महिला जाना चाहती हैं अपने घर
महिला का नाम तारा है, जो अपने घर जाना चाहती है, लेकिन मजबूरी का आलम यह है कि उसे अभी तक प्रशासन का सहयोग नहीं मिल सका.
अप्रैल में तारा पहुंची थी बीजापुर गांव
मानिकपुर ग्राम पंचायत के बीजापुर गांव में तारा 3 अप्रैल 2020 को पहुंची थी. इस संबंध में मानिकपुर ग्राम पंचायत के सचिव राजेन्द्र पाल ने जानकारी देते हुए बताया कि, तारा जब भटकती हुई यहां पहुंची, तो हमें लगा कि यह कोई पागल है, क्योंकि तारा की मातृभाषा हमें समझ में नहीं आ रही थी, पर जब तारा ने अपनी पीड़ा हमें बताई, तो पूरी बाते समझ में नहीं आई, लेकिन मानवता के नाते हमने उसे आश्रय दिया.
सचिव ने स्थानीय पुलिस प्रशासन को दी थी सूचना
मानिकपुर ग्राम पंचायत के सचिव राजेन्द्र पाल ने बताया कि, उन्होंने तारा के गांव में आते ही बिलासपुर चौकी प्रभारी को इसकी सूचना दी थी, जहां स्थितियां सामान्य होने के बाद तारा को घर पहुंचाने की बात की गई थी, लेकिन अभी तक स्थानीय पुलिस से कोई सहयोग नहीं मिल पाया है.