उमरिया। बांधवगढ़ में फेज-4 की गणना के साथ ही 27 जनवरी को गिद्धों की गणना भी की जाएगी. गिद्धों की गणना का यह कार्य मुख्य रूप से बांधवगढ़ के कर्मचारी ही करेंगे और कोई विशेषज्ञ इसमें शामिल नहीं होगा. इस बारे में जानकारी देते हुए एसडीओ सुधीर मिश्रा ने बताया कि 27 जनवरी की सुबह गिद्धों के आवास पर नजर रखी जाएगी. जब गिद्ध आवास से बाहर आएंगे, तब उनकी गिनती की जाएगी. इस गणना में गिद्धों के बच्चों को भी शामिल किया जाएगा.
200 के करीब पहुंची गिद्धों की संख्या: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गिद्धों के सवा सौ से ज्यादा आवास होने का अनुमान है. जंगल में रहने वाले दूसरे जानवरों के साथ गिद्धों के आवास पर भी वन विभाग निरंतर नजर रखता है. वर्ष 2021 में यहां गिद्धों के 125 घोसले देखे गए थे, जबकि इस बार इनकी संख्या कुछ बढ़ गई है. यही कारण है कि यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बांधवगढ़ में गिद्धों की संख्या लगभग दो सौ के करीब हो गई होगी. हालांकि वास्तविक संख्या तो गणना के बाद ही सामने आएगी.
सफाई में अहम भूमिका निभाता है गिद्ध: जंगल की सफाई में लगे रहने वाले गिद्ध कितनी अहम भूमिका निभाते हैं, शायद ही यह बहुत कम लोग जानते होंगे. जंगल को महामारी से बचाने के लिए वन प्रबंधन का यह प्रयास होता है कि गिद्धों की संख्या बनी रहे. प्रकृति के सफाई दल के रूप में गिद्ध उस वातावरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें वे रहते हैं. उनका मैला ढोने का व्यवहार पारिस्थितिक तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है और संभवतः बीमारी के प्रसार को कम करता है. जानवरों के शवों का कुशलतापूर्वक उपभोग करके, गिद्ध पशुओं के शवों को प्रसंस्करण संयंत्रों में इकट्ठा करने और उनकों दूसरी जगह ले जाने की आवश्यकता को समाप्त करते हैं. जिससे हमें हर साल अपशिष्ट प्रबंधन में लाखों रुपयों की बचत होती है. यही कारण है कि हर साल जंगलों में गिद्धों की गणना की जाती है. लोगों को लगता है कि जंगली जानवरों को खाने वालों में सबसे आगे शेर, तेंदुए, चीते, जंगली कुत्ते और गीदड़ हैं, लेकिन ऐसा है नहीं है. 'मांसाहारी जीव (स्तनधारी) इसके केवल 36 प्रतिशत हिस्से को खा सकते हैं और बाकी गिद्धों के हिस्से में आता है. इस संसाधन के लिए जीवाणु और कीड़े गिद्धों से मुक़ाबला करते हैं, लेकिन इसके बावजूद गिद्ध ही सबसे बड़े उपभोक्ता हैं.'
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गिद्धों की गिनती शुरू
जंगल का सफाई दरोगा बोला जाता है गिद्ध: ये सही है कि गिद्धों को सड़ा हुआ मांस और मृत पशुओं को खाने के लिए जाना जाता है, लेकिन सभी गिद्ध केवल सड़ा हुआ मांस नहीं खाते हैं. गिद्ध अखरोट, अंजीर, मछली और कभी-कभी पक्षियों को भी खाता है. कंकालों के मुकाबले इसे कीड़े और ताजा मांस पसंद है. जंगल के ऊपर उड़कर गिद्ध जंगल की साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं. जहां भी उन्हें गंदगी नजर आती है, वे तुरंत नीचे आते हैं और उस गंदगी को साफ कर देते हैं. दरअसल जब बाघ या दूसरे जानवर अपने शिकार को खाने के बाद छोड़ देते हैं तो उसकी सफाई गिद्ध ही करते हैं. यही कारण है कि गिद्धों को जंगल का सफाई दरोगा भी कहा जाता है. अगर गिद्ध सफाई न करें तो जंगल के अंदर बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है.
अपने भोजन में हड्डियां भी खाता है गिद्ध: गिद्ध दुनिया का एक मात्र ऐसा जानवर है जो अपने भोजन में ज्यादा से ज्यादा हड्डियों को शामिल कर सकता है और उनके पेट का अम्ल उन चीजों से भी पोषक तत्व ले सकते हैं, जिसे दूसरे जानवर छोड़ देते हैं. गिद्धों के पेट का अम्ल इतना शक्तिशाली होता है कि वो हैजे और एंथ्रेक्स के जीवाणुओं को भी नष्ट कर सकता है. जबकि दूसरी कई प्रजातियां इन जीवाणुओं के प्रहार से मर सकती हैं.
बुलंद उड़ान के लिए भी जाने जाते हैं गिद्ध: गिद्ध सबसे ऊंची उड़ान भरने वाला पक्षी है. गिद्ध भोजन की तलाश में एक बड़े इलाके पर नजर डालने के लिए अक्सर ऊंची उड़ान भरते हैं. कोई सरहद इन्हें नहीं रोक सकता है. गिद्ध अपने भोजन के लिए काफी अधिक दूरी तय कर सकते हैं.
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पिछले साल गणना में बांधवगढ़ में थे 159 गिद्ध: पिछले साल की गणना में बांधवगढ़ में 159, जबकि जिले में लगभग ढाई सौ गिद्ध पाए गए थे. यह संख्या वर्ष 2021 हुई गणना के मुकाबले में 15 ज्यादा थी. वर्ष 2021 की गणना में बांधवगढ़ में 144 गिद्ध पाए गए थे. जबकि पिछले साल फरवरी में हुई गणना के दौरान उमरिया रेग्युलर फारेस्ट में 70 गिद्ध पाए गए थे. इनमें 22 अवयस्क और 48 वयस्क गिद्ध शामिल थे. नौरोजाबाद में 11 अवयस्क, 29 वयस्क, जोहिला डेम के पास 9 अवयस्क, 21 वयस्क, जोहिला बीट में 2 अवयस्क, 8 वयस्क गिद्ध पाए गए थे.