उमरिया। उमरिया के विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे आधा दर्जन गांवो में बीते नौ माह के भीतर बाघ के हमले से कई ग्रामीणों की मौत हो चुकी है. इसके बाद पार्क प्रबंधन ने मैन एनिमल कॉन्फ्लिक्ट को रोकने की दिशा में बड़ा फैसला लिया है. जिले के बांधवगढ़ नेशनल पार्क अंतर्गत कोर क्षेत्र तथा उससे सटे गावों में हिंसक जानवरों की मूवमेंट को देखते हुए प्रबंधन ग्रामीणों की सुरक्षा के कुछ नये इंतजाम करने जा रहा है. इसमें बाड़ को ऊंचा करने के साथ उसमें करंट लगाने जैसे कार्य शामिल हैं. हालांकि यह करंट सोलर से पैदा बिजली द्वारा दिया जाएगा ताकि जानवरों को किसी तरह का नुकसान न हो. current through solar panel
ग्रामीणों की मांग पर निर्णय : राष्ट्रीय उद्यान के उप संचालक पीके वर्मा ने बताया है कि बांधवगढ़ के जंगल में बाघों की घनी आबादी है. जिस कारण कुछ वर्षों से गावों में बाघों के प्रवेश करने की घटनायें बढ़ी हैं. विशेषकर 5-7 गावों में यह समस्या कुछ ज्यादा है. लिहाजा, स्थानीय लोग लगातार सुरक्षा के उपाय करने की मांग कर रहे हैं. जिसे देखते हुए इस तरह की पहल की जा रही है. उप संचालक वर्मा ने बताया कि नेशनल पार्क मे बाघों से ग्रामीणों की रक्षा के लिये करीब 30 किलोमीटर फेंसिंग पहले से ही लगी हुई है, जो करीब 10-12 साल पुरानी है. यह तब लगाई गई थी, जब यहां जंगली हाथी नहीं थे. बाड़ को ग्रामीणों ने कई जगह से तोड़ दिया है, जिससे बाघ आसानी से अंदर चले आते हैं.
बाड़ की ऊंचाई भी बढ़ेगी : पहले चरण मे प्रबंधन बाड़ को चुस्त-दुरुस्त करने के साथ इसकी ऊंचाई बढ़ाने पर विचार कर रहा है. उन्होंने बताया कि जिस स्थान पर बाड़ लगी हुई है, यही क्षेत्र बाघ की गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र है. वहीं इस स्थान पर कई बार हाथी भी विचरण करते हुए देखे गये हैं. अधिकारियों का मानना है कि बाड़ की ऊंचाई बढ़ाने और उसमें सोलर करंट प्रवाहित करने से बांघ और हाथियों का इंसानी बस्तियों में प्रवेश रोका जा सकता है. वैसे तो बांधवगढ़ के बाघ और हाथियों से जिले मे कहीं भी और कभी भी सामना हो सकता है, परंतु टाईगर रिजर्व के पनपथा, पतौर, धमोखर और मानपुर इनके सर्वाधित मूवमेंट वाले परिक्षेत्र माने जाते हैं.
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इन गांवों में बाघों का डर : रिजर्व से लगे मजखेता, गाटा, दमना आदि गावों में बाघों का कुछ ज्यादा ही दखल है. हिंसक जीवों से जहां लोगों तथा उनके पालतू पशुओं का जीवन संकट मे पड़ा रहता है. वहीं हांथी, चीतल, सुअर आदि खेतों में खड़ी फसलें चौपट कर देते हैं. साल 2023 मे उक्त स्थानो पर ही बाघों के हमलों मे कई ग्रामीणो की मौत हुई है. इन हादसों के बाद जिला प्रशासन और पार्क प्रबंधन को ग्रामीणों के रोष का सामना करना पड़ता है. अधिकारी भी चाहते हैं कि किसी तरह ऐसी अप्रिय घटनाओं को रोका जाए. Incidents tiger attacks increased