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Elephant Cub Death बांधवगढ़ में हाथी शावक की संदिग्ध मौत, पोस्टमार्टम के दौरान आ गई मां, जानिये फिर क्या हुआ

उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिसर्व में जंगली हाथी के शावक की मौत से वन विभाग में हडकंप मच गया. शावक का पीएम करते समय शावक की मां पंहुच गई, जिसे देखकर मौके पर मौजूद डॉक्टर और वन अधिकारी जान बचाने भाग खड़े हुए, करीब एक घंटे बाद हुआ शावक का पीएम हो सका.

Etv elephant cub death in bandhavgarh tiger reserve
बांधवगढ़ में हाथी शावक की मौत
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Published : Jan 12, 2023, 12:23 PM IST

उमरिया। जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिसर्व में बुधवार को एक जंगली हाथी शावक की मौत हो गई (Elephant Cub death in Bandhavgarh). पार्क के पनपथा कोर जोन के हरदी बीट अंतर्गत कक्ष क्रमांक RF- 455 हाथी ताल एरिया में गश्ती दल ने हाथी शावक का शव देखा और प्रबंधन के उच्च अधिकारियों को घटना की सूचना दी. क्षेत्र संचालक सहित वन्य जीव चिकित्सक एवं फोरेंसिक टीम मौके पर पंहुची और घटना के कारणों की जांच शुरु कर दी. पार्क की विशेषज्ञ टीम ने जैसे ही पीएम करना शुरू किया उसी दौरान शावक की मां वहां पंहुच गई जो काफी आक्रोशित थी, किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनजर पार्क के अधिकारी और कर्मचारी अपने अपने वाहनों के साथ ही भागने लगे और लगभग दो सौ मीटर की दूरी पर जाकर खड़े हो गए.

शरीर पर नहीं मिले चोट के निशान: इस दौरान हाथी मां ने अपने मृत शावक को कई बार सूंघा, उसे लग रहा था कि शावक अभी उठकर उसके साथ चल देगा लेकिन काफी देर बाद तक जब ऐसा नही हुआ तो वह समीप ही बह रहे नाले में जाकर पहले तो मिट्टी को उठाकर खूब सिर पर फेंका और पानी से नहाकर जंगल की ओर रवाना हो गई. हाथी मां का अपने शावक से बिछड़ने का यह दृश्य जिसने भी देखा उसकी आंखें भर आईं. पार्क प्रबंधन के मुताबिक मृत हाथी शावक के शरीर में चोट के कोई भी निशान नहीं मिले. शावक की मौत आपस में चलने के कारण लगी हुई चोट या ठंड के कारण होने की संभावना बताई गई है.

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सोन नदी के आसपास जंगली हाथियों का डेरा: मिली जानकारी के मुताबिक, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की पनपथा बफर क्षेत्र अंतर्गत सोन नदी के आसपास का एरिया जंगली हाथियों के रहवास का क्षेत्र बन चुका है वहीं लगातार जंगली हाथियों के उत्पात से दर्जनभर गांव के ग्रामीण परेशान हैं. ग्रामीणों की ना तो फसलें बच पा रही हैं और ना ही उनके मकान बस पा रहे हैं. जंगली हाथियों के द्वारा फसलें तो तबाह की जाती हैं साथ ही ग्रामीणों के घरों को भी ढहा दिया जाता है. इतना ही नहीं उनके सामने कोई मनुष्य आ गया तो समझो उसकी मौत निश्चित है. जंगली हाथियों के द्वारा शहडोल जिले के जयसिंह नगर क्षेत्र और ब्यौहारी क्षेत्र में जंगली हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया है. जिससे त्रस्त होकर मानव भी अब जंगली हाथियों को एक दुश्मन की नजर से देख रहा है. कुछ सालों से जंगली हाथी बांधवगढ़ में डेरा जमा चुके हैं, खासकर पनपथा का बफर और कोर क्षेत्र में अपना रहवास बना चुके हैं. पनपथा से लेकर पूरे इलाके में सोन नदी के किनारे तक और नदी के उस पार शहडोल जिले के इलाकों में विचरण करते नजर आते हैं.

कटघरे में बांधवगढ़ प्रबंधन: बीते दिनों वन अमल की लापरवाही से एक हाथी की संदिग्ध मौत होने और उसके शव जला देने का मामला सामने आया था, जिसमे साफतौर पर वन विभाग की सर्चिंग और हाथियों के मूवमेंट की जानकारी रखने में वन अमला कटघरे में है. वहीं हाथी की किन परिस्थितियों में मौत हुई और सबूत मिटाने उसे जंगल में जला दिया गया, फिर भी बांधवगढ़ प्रबंधन को इसकी भनक तक नहीं लगी. जबकि जंगली हाथी की मौत कहीं न कहीं शिकार की संभावना को जन्म देता है, वहीं आज फिर पनपथा में एक जंगली हाथी को संदिग्ध अवस्था में मृत पाया जाना बांधवगढ़ प्रबंधन को कटघरे में खड़ा करता है.

उमरिया। जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिसर्व में बुधवार को एक जंगली हाथी शावक की मौत हो गई (Elephant Cub death in Bandhavgarh). पार्क के पनपथा कोर जोन के हरदी बीट अंतर्गत कक्ष क्रमांक RF- 455 हाथी ताल एरिया में गश्ती दल ने हाथी शावक का शव देखा और प्रबंधन के उच्च अधिकारियों को घटना की सूचना दी. क्षेत्र संचालक सहित वन्य जीव चिकित्सक एवं फोरेंसिक टीम मौके पर पंहुची और घटना के कारणों की जांच शुरु कर दी. पार्क की विशेषज्ञ टीम ने जैसे ही पीएम करना शुरू किया उसी दौरान शावक की मां वहां पंहुच गई जो काफी आक्रोशित थी, किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनजर पार्क के अधिकारी और कर्मचारी अपने अपने वाहनों के साथ ही भागने लगे और लगभग दो सौ मीटर की दूरी पर जाकर खड़े हो गए.

शरीर पर नहीं मिले चोट के निशान: इस दौरान हाथी मां ने अपने मृत शावक को कई बार सूंघा, उसे लग रहा था कि शावक अभी उठकर उसके साथ चल देगा लेकिन काफी देर बाद तक जब ऐसा नही हुआ तो वह समीप ही बह रहे नाले में जाकर पहले तो मिट्टी को उठाकर खूब सिर पर फेंका और पानी से नहाकर जंगल की ओर रवाना हो गई. हाथी मां का अपने शावक से बिछड़ने का यह दृश्य जिसने भी देखा उसकी आंखें भर आईं. पार्क प्रबंधन के मुताबिक मृत हाथी शावक के शरीर में चोट के कोई भी निशान नहीं मिले. शावक की मौत आपस में चलने के कारण लगी हुई चोट या ठंड के कारण होने की संभावना बताई गई है.

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सोन नदी के आसपास जंगली हाथियों का डेरा: मिली जानकारी के मुताबिक, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की पनपथा बफर क्षेत्र अंतर्गत सोन नदी के आसपास का एरिया जंगली हाथियों के रहवास का क्षेत्र बन चुका है वहीं लगातार जंगली हाथियों के उत्पात से दर्जनभर गांव के ग्रामीण परेशान हैं. ग्रामीणों की ना तो फसलें बच पा रही हैं और ना ही उनके मकान बस पा रहे हैं. जंगली हाथियों के द्वारा फसलें तो तबाह की जाती हैं साथ ही ग्रामीणों के घरों को भी ढहा दिया जाता है. इतना ही नहीं उनके सामने कोई मनुष्य आ गया तो समझो उसकी मौत निश्चित है. जंगली हाथियों के द्वारा शहडोल जिले के जयसिंह नगर क्षेत्र और ब्यौहारी क्षेत्र में जंगली हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया है. जिससे त्रस्त होकर मानव भी अब जंगली हाथियों को एक दुश्मन की नजर से देख रहा है. कुछ सालों से जंगली हाथी बांधवगढ़ में डेरा जमा चुके हैं, खासकर पनपथा का बफर और कोर क्षेत्र में अपना रहवास बना चुके हैं. पनपथा से लेकर पूरे इलाके में सोन नदी के किनारे तक और नदी के उस पार शहडोल जिले के इलाकों में विचरण करते नजर आते हैं.

कटघरे में बांधवगढ़ प्रबंधन: बीते दिनों वन अमल की लापरवाही से एक हाथी की संदिग्ध मौत होने और उसके शव जला देने का मामला सामने आया था, जिसमे साफतौर पर वन विभाग की सर्चिंग और हाथियों के मूवमेंट की जानकारी रखने में वन अमला कटघरे में है. वहीं हाथी की किन परिस्थितियों में मौत हुई और सबूत मिटाने उसे जंगल में जला दिया गया, फिर भी बांधवगढ़ प्रबंधन को इसकी भनक तक नहीं लगी. जबकि जंगली हाथी की मौत कहीं न कहीं शिकार की संभावना को जन्म देता है, वहीं आज फिर पनपथा में एक जंगली हाथी को संदिग्ध अवस्था में मृत पाया जाना बांधवगढ़ प्रबंधन को कटघरे में खड़ा करता है.

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