उमरिया। एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर अंतरराष्ट्रीय सर्टिफिकेट प्राप्त फिटनेश ट्रेनर और न्यूट्रीशन एक्सपर्ट आदिवासी कला के क्षेत्र में निपुण हो सकता है. वह भी इस दर्जे कि आदिवासियों की खोई हुई कला को स्थापित करने के लिए नए कलाकार भी तैयार करने लगे. इन्हीं क्षमताओं का परिचय देते हुए उमरिया के निमिष स्वामी ने जनगण तस्वीरखाना का संचालन अपने चाचा की मृत्यु के बाद भी जारी रखा. इतना ही नहीं उमरिया जैसे छोटे जिले की इस कला को राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया. निमिष स्वामी ने अपनी इस यात्रा को जारी रखने के लिए अपनी यूपीएससी की पढ़ाई भी छोड़ दी.
आदिवासी कलाकारों को दिलाया सम्मान
जी हां आज भी ऐसे युवाओं की कमी नहीं है. जो अपने बड़ों के सपनों को पूरा करने के लिए उनकी जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर उठा लेते हैं. इतना ही नहीं अपने करियर की धूरी भी बदल लेते हैं और उन जिम्मेदारियां को पूरा करने में जुट जाते हैं. जो बुजुर्ग उनके सहारे छोड़ गए हैं. ऐसे ही एक युवा निमिष स्वामी ने आदिवासी बैगा चित्रकारी के क्षेत्र में अपने चाचा के छोड़े गए कार्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठा ली है. इस जिम्मेदारी को उन्होंने बखूबी निभाया और आदिवासी कलाकार को महिला शक्ति सम्मान और पदमश्री सम्मान तक दिलवा दिया.
![Umaria Electrical Engineer Nimish](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18-01-2024/mp-uma-11-adiwasikalakartaiyarkrrhenimish-mp10080_18012024141714_1801f_1705567634_100.jpg)
भूमिजन प्रदर्शनी में थे उमरिया के चार कलाकार
कला का जो रास्ता बैगा चित्रकारों के लिए चाचा आशीष स्वामी ने बनाया था. उस पर उमरिया के कलाकारों को हाथ पकड़कर चलाने का काम निमिष स्वामी कर रहे हैं. उन्होंने पिछले साल 2022 में दिल्ली में भूमिजन कार्यक्रम में उमरिया जिले के चार चित्रकारों को पहुंचाया. जिसमें जोधइया बाई बैग, सकुन बाई बैगा, संतोषी बाई बैगा और रामरती बैगा के नाम शामिल हैं. भूमिजन प्रदर्शनी में देशभर के कुल 55 आदिवासी कलाकारों के चित्र शामिल किए गए थे. जिसमें से चार उमरिया जिले से थे.
निमिष स्वामी ने जोधइया बाई बैगा को पुरस्कार दिलाने में की मदद
जनगण तस्वीरखाना के संस्थापक आशीष स्वामी ने अंतर्राष्ट्रीय बैगा चित्रकार जोधइया बाई बैगा को पद्मश्री दिलाने के लिए काफी प्रयत्न किया था, लेकिन नामांकन के बाद भी उन्हें यह सम्मान नहीं मिल सका था. आशीष स्वामी के गुजर जाने के बाद जब निमिष ने अपने चाचा की कलायात्रा को जारी रखने का संकल्प लिया. तब उन्होंने जोधइया बाई बैगा का नाम पहले नारी शक्ति सम्मन के लिए नामांकित किया और यह सम्मान उन्हें मिल भी गया. बाद में एक बार फिर जोधइया बाई बैगा का नाम पदमश्री के लिए नामांकित किया. यह भी उन्हें निमिष स्वामी ने दिलवा ही दिया.
![Umaria Electrical Engineer Nimish](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18-01-2024/mp-uma-11-adiwasikalakartaiyarkrrhenimish-mp10080_18012024141714_1801f_1705567634_130.jpg)