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बांधवगढ़ के बाघों पर टिकी शिकारियों की नजर, क्या बच पाएगा प्रदेश के टाइगर स्टेट का दर्जा - बाघों की मौत

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. बांधवगढ़ सहित प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में 11 माह में कुल 21 बाघों की मौत हो गई है. इसके बाद से ही पार्क प्रबंधन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. पढ़िए पूरी खबर..

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नहीं थम रहा मौत का सिलसिला
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Published : Dec 6, 2020, 1:48 PM IST

उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक के बाद एक हो रही बाघों की मौतों ने पार्क में सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. 2018 में मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था. इस साल प्रदेश में 526 बाघ मिले थे, लेकिन बांधवगढ़ सहित प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में 11 माह में 21 बाघों की मौत से पार्क प्रबंधन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. बांधवगढ़ पार्क में 500 से लेकर एक हजार तक कर्मचारी तैनात हैं. सिर्फ इतना ही नहीं यहां पार्क में बेहतर सुविधा और प्रबंधन पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इसके बाद भी बाघों की मौत को रोकने में अमला नाकाफी साबित हो रहा है.

नहीं थम रहा मौत का सिलसिला

2021 के मार्च और अप्रैल माह में एक बार फिर से बाघों की गिनती होने वाली है. अगर इसी तरह बाघों की मौत का सिलसिला जारी रहा तो तो प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा और बांधवगढ़ में सबसे अधिक बाघ होने का तमगा बरकरार नहीं रह सकेगा.

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की स्थिति

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 1530 वर्ग किमी में फैला है. इस पार्क में 2018 की गणना के मुताबिक 124 बाघ हैं. उमरिया, शहडोल, कटनी और सीधी जिलों को कवर करने वाले इस पार्क में 500 से अधिक कर्मचारी तैनात हैं, जिन पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन इसके बावजूद भी 8 माह में 11 बाघों की मौत हो चुकी है.

बाघों की मौत तारीखवार

1. 9 अप्रैल को खितौली में एक बाघ शावक की मौत हो गई थी. शावक साल भर का था.

2. 22 अप्रैल को पनपथा में 10 वर्षीय बाघ की मौत हो गई थी. शव झाड़ियों में मिला.

3. 14 जून को ताला क्षेत्र में दो शावकों की मौत हो गई थी, जो 15 से 20 दिन के थे.

4. 24 सितंबर को धामोखर में बाघिन की बाघ से संघर्ष में मौत हुई.

5. 10 अक्टूबर को बांधवगढ़ में दो बाघ शावकों की रहस्यमय तरीके से मौत हुई.

6. 17 अक्टूबर को सोलो बाघिन 42 और उसके दो शावकों की मौत हो गई थी. इसी के साथ दो शावक लापता हो गए, जिनका अभी तक अता-पता नहीं चल सका.

7. 15 नवंबर को शहडोल के ब्यौहारी में बाघ का जमीन में दफन शव मिला. इसका शिकार हुआ था.

थोक के भाव, तीन बार में 7 मरे

इस साल बांधवगढ़ में जिस तरह से थोक के भाव में बाघों की मौत हुई है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. महज चंद दिनों के अंतराल पर 7 बाघों की मौत हुई और इसमें 6 शावक शामिल हैं. दो बार एक साथ दो-दो शावकों की मौत हुई, जबकि तीसरी बार दो शावक और मां सोलो बाघिन-42 भी मौत का शिकार हो गई. यह सारी घटनाएं 14 जून, 10 अक्टूबर और 17 अक्टूबर को हुईं. 10 और 17 अक्टूबर के बीच महज एक सप्ताह में चार शावकों और एक बाघिन की मौत हो गई. इसके बाद भी आला अधिकारियों को किसी भी प्रकार का संकोच नहीं हुआ. वे बाघों की मौतों को जंगल की सामान्य घटना बता रहे हैं.

खुफिया तंत्र बेकार

बीते 8 महीनों में कम से कम 5 बाघों का शिकार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अंदर हुआ, जबकि जिले में तीन तेंदुओं का शिकार करंट लगाकर हुआ. इसके बावजूद भी एंटी पोचिंग टीम का कहीं पता नहीं. इस टीम का खुफिया तंत्र नाकाम साबित हुआ.

बाघों का हुआ शिकार

17 अक्टूबर को परासी बीट के महामन गांव के पास सोलो बाघिन 42 और उसके दो शावकों का शिकार किया गया. हालांकि, बाघिन के दो शावक अब भी लापता हैं. 15 नवम्बर को भी बांधवगढ़ के पनपथा रेंज से लगे ब्यौहारी रेंज में जमीन में बाघ का शव दबा हुआ मिला. इससे पहले 22 अप्रैल को पनपथा रेंज में ही कटनी की तरफ एक बाघ का शव पाया गया, जिसे मारने के बाद झाड़ियों में छिपा दिया गया था. इन सब के बाद भी बांधवगढ़ प्रबंधन हमेशा ढीलाृ-ढाला रवैया अख्तियार करता दिखा.

नहीं करते पुष्टि

सोलो बाघिन 42 और दो शावकों की मौत के मामले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन शुरू से ही गोलमोल जवाब देते आ रहा है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए काम करने वाले एनजीओ डब्ल्यूपीएसआई वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया की तरफ से बाघिन 42 और उसके दो शावकों के शिकारियों को पकड़वाने के लिए 25 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की गई है, जबकि पार्क प्रबंधन का कहना है कि अभी हम बाघिन के शिकार की पुष्टि नहीं कर सकते है. रिपोर्ट का इंतजार है. वहीं इनाम के मामले में पार्क प्रबंधन यह भी कहा जा रहा है कि इस तरह की घोषणा कोई भी कर सकता है.

वन मंत्री सहित मुख्यमंत्री ने ली थी संयुक्त बैठक

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वन मंत्री ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बैठक ली थी. जिसके बाद से ही पार्क प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है. लेकिन जैसे ही सूबे के मुखिया वापस गए पार्क प्रबंधन अपने पुराने रवैये से चलने लगा.

हाथियों का भी संकट

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में झारखंड और छत्तीसगढ़ से आए हाथियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह हाथी किसानों की फसलों को नष्ट कर रहे हैं, लेकिन पार्क प्रबंधन ग्रामीणों की कोई मदद नहीं कर पा रहा. इन मामले से ग्रामीणों में नाराजगी है.

उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक के बाद एक हो रही बाघों की मौतों ने पार्क में सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. 2018 में मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था. इस साल प्रदेश में 526 बाघ मिले थे, लेकिन बांधवगढ़ सहित प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में 11 माह में 21 बाघों की मौत से पार्क प्रबंधन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. बांधवगढ़ पार्क में 500 से लेकर एक हजार तक कर्मचारी तैनात हैं. सिर्फ इतना ही नहीं यहां पार्क में बेहतर सुविधा और प्रबंधन पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इसके बाद भी बाघों की मौत को रोकने में अमला नाकाफी साबित हो रहा है.

नहीं थम रहा मौत का सिलसिला

2021 के मार्च और अप्रैल माह में एक बार फिर से बाघों की गिनती होने वाली है. अगर इसी तरह बाघों की मौत का सिलसिला जारी रहा तो तो प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा और बांधवगढ़ में सबसे अधिक बाघ होने का तमगा बरकरार नहीं रह सकेगा.

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की स्थिति

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 1530 वर्ग किमी में फैला है. इस पार्क में 2018 की गणना के मुताबिक 124 बाघ हैं. उमरिया, शहडोल, कटनी और सीधी जिलों को कवर करने वाले इस पार्क में 500 से अधिक कर्मचारी तैनात हैं, जिन पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन इसके बावजूद भी 8 माह में 11 बाघों की मौत हो चुकी है.

बाघों की मौत तारीखवार

1. 9 अप्रैल को खितौली में एक बाघ शावक की मौत हो गई थी. शावक साल भर का था.

2. 22 अप्रैल को पनपथा में 10 वर्षीय बाघ की मौत हो गई थी. शव झाड़ियों में मिला.

3. 14 जून को ताला क्षेत्र में दो शावकों की मौत हो गई थी, जो 15 से 20 दिन के थे.

4. 24 सितंबर को धामोखर में बाघिन की बाघ से संघर्ष में मौत हुई.

5. 10 अक्टूबर को बांधवगढ़ में दो बाघ शावकों की रहस्यमय तरीके से मौत हुई.

6. 17 अक्टूबर को सोलो बाघिन 42 और उसके दो शावकों की मौत हो गई थी. इसी के साथ दो शावक लापता हो गए, जिनका अभी तक अता-पता नहीं चल सका.

7. 15 नवंबर को शहडोल के ब्यौहारी में बाघ का जमीन में दफन शव मिला. इसका शिकार हुआ था.

थोक के भाव, तीन बार में 7 मरे

इस साल बांधवगढ़ में जिस तरह से थोक के भाव में बाघों की मौत हुई है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. महज चंद दिनों के अंतराल पर 7 बाघों की मौत हुई और इसमें 6 शावक शामिल हैं. दो बार एक साथ दो-दो शावकों की मौत हुई, जबकि तीसरी बार दो शावक और मां सोलो बाघिन-42 भी मौत का शिकार हो गई. यह सारी घटनाएं 14 जून, 10 अक्टूबर और 17 अक्टूबर को हुईं. 10 और 17 अक्टूबर के बीच महज एक सप्ताह में चार शावकों और एक बाघिन की मौत हो गई. इसके बाद भी आला अधिकारियों को किसी भी प्रकार का संकोच नहीं हुआ. वे बाघों की मौतों को जंगल की सामान्य घटना बता रहे हैं.

खुफिया तंत्र बेकार

बीते 8 महीनों में कम से कम 5 बाघों का शिकार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अंदर हुआ, जबकि जिले में तीन तेंदुओं का शिकार करंट लगाकर हुआ. इसके बावजूद भी एंटी पोचिंग टीम का कहीं पता नहीं. इस टीम का खुफिया तंत्र नाकाम साबित हुआ.

बाघों का हुआ शिकार

17 अक्टूबर को परासी बीट के महामन गांव के पास सोलो बाघिन 42 और उसके दो शावकों का शिकार किया गया. हालांकि, बाघिन के दो शावक अब भी लापता हैं. 15 नवम्बर को भी बांधवगढ़ के पनपथा रेंज से लगे ब्यौहारी रेंज में जमीन में बाघ का शव दबा हुआ मिला. इससे पहले 22 अप्रैल को पनपथा रेंज में ही कटनी की तरफ एक बाघ का शव पाया गया, जिसे मारने के बाद झाड़ियों में छिपा दिया गया था. इन सब के बाद भी बांधवगढ़ प्रबंधन हमेशा ढीलाृ-ढाला रवैया अख्तियार करता दिखा.

नहीं करते पुष्टि

सोलो बाघिन 42 और दो शावकों की मौत के मामले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन शुरू से ही गोलमोल जवाब देते आ रहा है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए काम करने वाले एनजीओ डब्ल्यूपीएसआई वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया की तरफ से बाघिन 42 और उसके दो शावकों के शिकारियों को पकड़वाने के लिए 25 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की गई है, जबकि पार्क प्रबंधन का कहना है कि अभी हम बाघिन के शिकार की पुष्टि नहीं कर सकते है. रिपोर्ट का इंतजार है. वहीं इनाम के मामले में पार्क प्रबंधन यह भी कहा जा रहा है कि इस तरह की घोषणा कोई भी कर सकता है.

वन मंत्री सहित मुख्यमंत्री ने ली थी संयुक्त बैठक

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वन मंत्री ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बैठक ली थी. जिसके बाद से ही पार्क प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है. लेकिन जैसे ही सूबे के मुखिया वापस गए पार्क प्रबंधन अपने पुराने रवैये से चलने लगा.

हाथियों का भी संकट

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में झारखंड और छत्तीसगढ़ से आए हाथियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह हाथी किसानों की फसलों को नष्ट कर रहे हैं, लेकिन पार्क प्रबंधन ग्रामीणों की कोई मदद नहीं कर पा रहा. इन मामले से ग्रामीणों में नाराजगी है.

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