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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुआ हाथी महोत्सव का शुभारंभ, 6 दिन रहेगी हाथियों की मौज - Use of elephants for patrolling and tracking

उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सोमवार से हाथी महोत्सव की शुरुआत हो गई है, जिसके तहत उनके लिए तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और हाथियों की आवभगत की जाती है.

Elephant Festival
हाथी महोत्सव का शुभारंभ
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Published : Sep 22, 2020, 1:59 PM IST

उमरिया। विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ नेशनल पार्क में हर साल की तरह इस साल भी हाथी महोत्सव का आगाज किया गया है. हालांकि, इस बार कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए गाइडलाइन के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसमें हाथियों को नहलाकर उन्हें कई प्रकार के पकवान खिलाए जाएंगे. बांधवगढ़ नेशनल पार्क में हाथी महोत्सव का आयोजन कर 15 हाथियों की मालिश करते हुए उन्हें फल से लेकर स्वादिष्ट व्यंजन खिलाकर किया गया.

हाथी महोत्सव का शुभारंभ

6 दिवसीय हाथी महोत्सव 26 सितंबर तक चलेगा. इस दौरान नेशनल पार्क में गश्त और ट्रैकिंग करने वाले पार्क के 15 हाथियों की खास आवभगत की जाएगी. इस एक सप्ताह के दौरान हाथियों को भरपूर खुराक दी जाएगी, जिसमें फल और पकवान दोनों शामिल होंगे. रोजाना सुबह नहलाने से लेकर नीम और आरंडी तेल से मालिश की जाएगी. इसके बाद फिर पसंदीदा फलों का आहार परोसा जाएगा.

कोरोना संक्रमण काल में बचाव के खास इंतजाम के साथ यह आयोजन संचालित किया गया है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के 15 हाथी संकट मोचक हैं. दिन रात हाथियों का यह दल बाघों की सर्चिंग व मानव वन्यप्राणी द्वंद के खतरे को टालते हैं. फुर्सत रहने पर लोगों को ज्वॉय राइड भी कराते हैं. व्यस्तता के बीच अब इनके आराम का समय यानि हाथी महोत्सव हो रहा है. पार्क प्रारंभ होने से पहले यह खास मौका रहता है जब इनकी पसंद का पार्क प्रबंधन विशेष ख्याल रखता है. ताला रेंज के हाथी कैम्प में यह महोत्सव छह दिनों तक चलेगा.

महोत्सव की शुरुआत

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सात दिवसीय हाथी महोत्सव की शुरुआत, वन सेवा के दौरान शहीद महावत रवि बैगा की पत्नी केशकली ने हथियों की पूजा कर आयोजन की शुरुआत की. हथियों के लिए रुचिकर भोजन, स्वास्थ्य परीक्षण और उनकी पूजा अर्चना कर विशेष खातिरदारी की जाती है, जिसमें पार्क प्रबंधन सहित इलाके के ग्रामीण हिस्सा लेते हैं. वर्तमान में बांधवंगढ़ में 15 हाथी मौजूद है.

गौतम कुनबे का सबसे बुजुर्ग सदस्य

इस बार ताला रेंज में महोत्सव के दौरान 15 हाथी शामिल हो रहे हैं, इनमे 10 मेल और 5 फीमेल हैं. 74 साल का नर गौतम (1946) कुनबे का सबसे बुजुर्ग सदस्य है. अब वह मॉनीटरिंग आदि के कार्य से मुक्त हो चुका है. माना जाता है अन्य युवा हाथी इसकी संतान है. दूसरे नंबर पर 69 वर्षीय नर गौतम (1951) और 56 साल की अनारकली तीसरे नंबर की सीनियर लीडर है. इस बार युवा सदस्य लक्ष्मी भी शामिल हो रही है. यह दिसंबर 2018 में जन्मी थी. डेढ़ साल की लक्ष्मी दूसरी बार मेहमान नवाजी का लुत्फ उठाएगी. साल 2018 में ये परिवार 18 हाथियों का था. मादा साम्भवी और एक अन्य को गश्त के लिए स्थायी तौर पर संजय टाईगर रिजर्व भेज दिया गया है. एक अन्य हाथी दो-तीन साल पहले नौरोदेही भी जा चुका है.

नीम तेल से मालिश, पसंदीदा फलों का भोजन

ये आयोजन अक्टूबर में पार्क खुलने से पहले हाथियों की थकान दूर करने के लिए किया जाता है. इस बार जो हाथी शामिल है, उनमें 10 नरों में गौतम, तूफान, सुंदरगज, अष्टम, रामा, सूर्या, गणेश, लक्ष्मण, श्याम और नील है. इसी तरह मादाओं में अनारकली, बांधवी, पूनम, लक्ष्मी और काजल रहेगी. सुबह नदी में ले जाकर महावत इन्हें नहलाते है. 10 बजे हाथी कैम्प में लाकर भोजन दिया जाता है. इसमें पसंदीदा गन्ना, अनानास, सेव, केला, नारियल, कटहल शामिल है. इसके बाद शाम को चार बजे जंगल में घूमने के लिए छोड़ दिया जाता है. दिनभर ये सिलसिला छह दिनों तक चलेगा. फिर इन्हें गश्त और ट्रैकिंग के लिए निर्धारित पॉइंटों में भेजा जाएगा.

उमरिया। विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ नेशनल पार्क में हर साल की तरह इस साल भी हाथी महोत्सव का आगाज किया गया है. हालांकि, इस बार कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए गाइडलाइन के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसमें हाथियों को नहलाकर उन्हें कई प्रकार के पकवान खिलाए जाएंगे. बांधवगढ़ नेशनल पार्क में हाथी महोत्सव का आयोजन कर 15 हाथियों की मालिश करते हुए उन्हें फल से लेकर स्वादिष्ट व्यंजन खिलाकर किया गया.

हाथी महोत्सव का शुभारंभ

6 दिवसीय हाथी महोत्सव 26 सितंबर तक चलेगा. इस दौरान नेशनल पार्क में गश्त और ट्रैकिंग करने वाले पार्क के 15 हाथियों की खास आवभगत की जाएगी. इस एक सप्ताह के दौरान हाथियों को भरपूर खुराक दी जाएगी, जिसमें फल और पकवान दोनों शामिल होंगे. रोजाना सुबह नहलाने से लेकर नीम और आरंडी तेल से मालिश की जाएगी. इसके बाद फिर पसंदीदा फलों का आहार परोसा जाएगा.

कोरोना संक्रमण काल में बचाव के खास इंतजाम के साथ यह आयोजन संचालित किया गया है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के 15 हाथी संकट मोचक हैं. दिन रात हाथियों का यह दल बाघों की सर्चिंग व मानव वन्यप्राणी द्वंद के खतरे को टालते हैं. फुर्सत रहने पर लोगों को ज्वॉय राइड भी कराते हैं. व्यस्तता के बीच अब इनके आराम का समय यानि हाथी महोत्सव हो रहा है. पार्क प्रारंभ होने से पहले यह खास मौका रहता है जब इनकी पसंद का पार्क प्रबंधन विशेष ख्याल रखता है. ताला रेंज के हाथी कैम्प में यह महोत्सव छह दिनों तक चलेगा.

महोत्सव की शुरुआत

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सात दिवसीय हाथी महोत्सव की शुरुआत, वन सेवा के दौरान शहीद महावत रवि बैगा की पत्नी केशकली ने हथियों की पूजा कर आयोजन की शुरुआत की. हथियों के लिए रुचिकर भोजन, स्वास्थ्य परीक्षण और उनकी पूजा अर्चना कर विशेष खातिरदारी की जाती है, जिसमें पार्क प्रबंधन सहित इलाके के ग्रामीण हिस्सा लेते हैं. वर्तमान में बांधवंगढ़ में 15 हाथी मौजूद है.

गौतम कुनबे का सबसे बुजुर्ग सदस्य

इस बार ताला रेंज में महोत्सव के दौरान 15 हाथी शामिल हो रहे हैं, इनमे 10 मेल और 5 फीमेल हैं. 74 साल का नर गौतम (1946) कुनबे का सबसे बुजुर्ग सदस्य है. अब वह मॉनीटरिंग आदि के कार्य से मुक्त हो चुका है. माना जाता है अन्य युवा हाथी इसकी संतान है. दूसरे नंबर पर 69 वर्षीय नर गौतम (1951) और 56 साल की अनारकली तीसरे नंबर की सीनियर लीडर है. इस बार युवा सदस्य लक्ष्मी भी शामिल हो रही है. यह दिसंबर 2018 में जन्मी थी. डेढ़ साल की लक्ष्मी दूसरी बार मेहमान नवाजी का लुत्फ उठाएगी. साल 2018 में ये परिवार 18 हाथियों का था. मादा साम्भवी और एक अन्य को गश्त के लिए स्थायी तौर पर संजय टाईगर रिजर्व भेज दिया गया है. एक अन्य हाथी दो-तीन साल पहले नौरोदेही भी जा चुका है.

नीम तेल से मालिश, पसंदीदा फलों का भोजन

ये आयोजन अक्टूबर में पार्क खुलने से पहले हाथियों की थकान दूर करने के लिए किया जाता है. इस बार जो हाथी शामिल है, उनमें 10 नरों में गौतम, तूफान, सुंदरगज, अष्टम, रामा, सूर्या, गणेश, लक्ष्मण, श्याम और नील है. इसी तरह मादाओं में अनारकली, बांधवी, पूनम, लक्ष्मी और काजल रहेगी. सुबह नदी में ले जाकर महावत इन्हें नहलाते है. 10 बजे हाथी कैम्प में लाकर भोजन दिया जाता है. इसमें पसंदीदा गन्ना, अनानास, सेव, केला, नारियल, कटहल शामिल है. इसके बाद शाम को चार बजे जंगल में घूमने के लिए छोड़ दिया जाता है. दिनभर ये सिलसिला छह दिनों तक चलेगा. फिर इन्हें गश्त और ट्रैकिंग के लिए निर्धारित पॉइंटों में भेजा जाएगा.

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