उमरिया। 2018 में विधानसभा चुनाव में पदोन्नति आरक्षण, जातिगत आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ गेम चेंजर के रूप में उतरी सपाक्स पार्टी अब नगरीय निकाय का चुनाव लड़ेगी. इसकी जानकारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. हीरालाल त्रिवेदी ने दी है. उन्होंने बताया कि बीजेपी सरकार में महंगाई अपने चरम पर है, पेट्रोल 100 रुपये पार हो गया है तो वहीं डीजल भी 100 रुपये पहुंचने वाला है. रसोई गैस के भाव पिछले 2 महीनों में 200 रुपये से बढ़कर 800 रुपये होने को हैं. बता दें कि कोरोना के बाद आम लोगों की आय में लगातार गिरावट हो रही है. किसानों को भी उनकी फसल का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है.
'सवर्ण आयोग की घोषणा इसका ताजा प्रमाण है'
केंद्र की भाजपा सरकार ने कृषि कानूनों में संशोधन कर खेती को व्यवसायिक रूप दिया. अगर केंद्र सरकार यह संशोधन कर दे कि प्राइवेट मंडियों में समर्थन मूल्य से नीचे खरीदी नहीं होगी, वर्तमान मंडियां बंद नहीं होगी, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों की जमीन नीलाम नहीं होगी और बड़े औद्योगिक घरानों को बड़े वेयर हाउस की अनुमति वास्तविक आवश्यकता के आधार पर दी जाएगी. तब किसान आंदोलन अपने आप खत्म हो जाएगा, लेकिन सरकार इन मुद्दों पर ध्यान न देकर केवल लोगों को जाति के आधार पर बांटने में लगी है. सवर्ण आयोग की घोषणा इसका ताजा प्रमाण है. एससी आयोग, एसटी आयोग, पिछड़ा आयोग और अब सवर्ण में आयोग. यह सब जनता को जातियों में बांट कर लॉलीपॉप पकड़ाना चाहती है.
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उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार वाकई भला करना चाहती है तो लघु व्यापारी आयोग, रोजगार आयोग, युवा आयोग, किसान आयोग, छात्र आयोग आदि बनाकर इनकी बातों को सुना जाए और इनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए. नगरीय निकायों में व्यापक भ्रष्टाचार है. बिना सिफारिश या पैसा दिए जनता का काम नहीं होता है. ऐसी स्थिति में तीसरे विकल्प की आवश्यकता है.
'हम जनता को और स्वच्छ जनप्रतिनिधियों को आगे लाकर पारदर्शी प्रशासन देना चाहते हैं'
सपाक्स पार्टी इस तीसरे विकल्प की कमी को पूरा करना चाहती है. हम जनता को और स्वच्छ जनप्रतिनिधियों को आगे लाकर पूरा पारदर्शी प्रशासन देना चाहते हैं. जनहित की भावना के अनुरूप नगर का सुव्यवस्थित और भ्रष्टाचार मुक्त सिस्टम बनाने के लिए कृत संकल्पित हैं.