उमरिया। केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीति को लेकर एक दिवसीय सांकेतिक प्रदर्शन किया गया. संगठन की मांग है कि श्रम संहिता और बिजली बिल सहित निजीकरण को रोका जाए. संगठन ने मजदूरों की आय और खाद्य सुरक्षा देने की मांग की है.
सुबह जोहिला एरिया की सभी सातों यूनिट विंध्या, पाली, बिरसिंहपुर, चपहा, पिपरिया, कुदरी और कंचन ओपन कास्ट में कोयला श्रमिक संगठन ने केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीति के विरोध में एक दिवसीय सांकेतिक प्रदर्शन किया. मजदूर संगठन के अध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय मजदूर संघ और स्वतंत्र क्षेत्रीय महासंघों के संयुक्त मंच ने श्रम संहिता और बिजली बिल 2020 को खत्म करने, निजीकरण रोकने और आय समर्थन सहित सभी के लिए भोजन की मांग की है. संयुक्त मंच ने श्रम संहिताओं को रद्द करने और गरीब मजदूरों को आय तथा खाद्य सुरक्षा देने की मांग भी की है.
संयुक्त मंच ने अपने बयान में कहा कि आम बजट में घोषित नीतियां किसान विरोधी है. जिनका वह विरोध करेंगे. विरोध-प्रदर्शनों के दौरान कार्यस्थलों और औद्योगिक केंद्रों पर बड़ी संख्या में जुटकर सरकारी नीतियों का विरोध किया गया. मजदूर संगठन ने कहा कि वित्त मंत्री की ओर से पेश किया गया बजट जमीनी हकीकत से बहुत दूर है. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए पूरी तरह से भ्रामक और विनाशकारी है. इससे मेहनतकश लोग बड़े पैमाने पर पीड़ित होंगे.
क्या हैं मांगें ?
1.बिजली संशोधन बिल 2020 को रद्द करें.
2. सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण की नीति वापस लें.
3. जन विरोधी बजट को वापस लें.
4. सभी गरीब एवं पीड़ित जनता को आर्थिक सहायता एवं भोजन का इंतजाम करें