उमरिया। पूरे मध्यप्रदेश में 5 फरवरी से राज्य सरकार की विकास यात्रा सभी जिलों से आरंभ हुई. चुनावी वर्ष में प्रदेश की भाजपा सरकार और चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कार्यकाल की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने के ये यात्रा पूरी तैयारियों के साथ शुरू की जानी थी. जिसमें अत्याधुनिक एलईडी के साथ विकास योजनाओं के बैनर पोस्टर से लबरेज रथ वाहन को हरी झंडी दिखाई जानी थी. विकास यात्रा के रथ में केंद्र एवं राज्य सरकार की प्रत्येक जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रदर्शन फ्लैक्स बैनर से किया जाना था. सप्ताह भर पूर्व से जिला स्तर पर इसकी तैयारी की जा रही थी. लेकिन लेकिन उमरिया जिला मुख्यालय में बीजेपी ऐसा करने में नाकाम रही.
नेताओं व अफसरों की लापरवाही उजागर : उमरिया में राज्य सरकार की यह महत्वपूर्ण विकास यात्रा नेताओं व अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई. नगर में कचरा उठाने वाले वाहन से विकास यात्रा की शुरुआत की गई, जिसमें फूलमाला के साथ महज विकास यात्रा का एक पोस्टर चिपका हुआ था. मीडिया ने सवाल उठाया तो जिम्मेदार अफसरों ने कचरा वाहन से पोस्टर और फूल उतारकर दूसरे वाहन में टांग दिए और यात्रा को हरी झंडी दिखा दी गई. वहीं जब बांधवगढ के भाजपा विधायक शिवनारायण सिंह से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी हैरान कर देने वाला जवाब देते हुए बताया कि विकास यात्रा में रथ या कोई वाहन है, इस बात की उन्हें जानकारी नहीं है.
नए आयाम स्थापित करेगी विकास यात्रा, गरीबों और जनता के कल्याण के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगे- CM शिवराज
अनदेखी से पार्षद नाराज : इससे ये बात साफ हो गई कि विकास यात्रा की शुरुआत में अधिकारियों की लापरवाही खुलकर सामने आ गई. 20 दिन चलने वाली इस यात्रा में जनता को अपेक्षित लाभ मिलेगा या नहीं, इसमें संदेह के बादल हैं. खास बात यह है कि विकास यात्रा में भाजपा के पार्षद ही निराश दिखे. वार्ड के पार्षद ही अधिकारियों की तानाशाही का शिकार हो गए. जबकि पार्षद सुशील रैदास संत रविदास जी के विशेष अनुयायी हैं, लेकिन न तो उनका नाम कार्ड में है और न ही मंच पर कुर्सी में नाम मिला. बाद में उन्हें मंच पर बुलाया गया. इस उपेक्षा को लेकर पार्षद ने स्वयं अपने अपमान की बात कही है. पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि पूर्व में भाजपा ने जिन नेताओं को पार्टी से बाहर किया था, उनका नाम मंच पर होना भर्रेशाही को दर्शाता है.