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चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर सोने चांदी के आभूषणों से होगा माता बिरासिनी का श्रृंगार

उमरिया में चैत्र नवरात्रि महापर्व के दौरान 1 अप्रैल को माता बिरासिनी के दरबार मे अष्टमी मनाई जाएगी.

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उमरिया
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Published : Mar 31, 2020, 10:52 PM IST

उमरिया। चैत्र नवरात्रि महापर्व के दौरान 1 अप्रैल को माता बिरासिनी के दरबार मे अष्टमी मनाई जाएगी. इस दौरान माता बिरासिनी का श्रृंगार सोने और चांदी के आभूषणों से किया जाएगा. मंदिर प्रबंधन समिति और पुजारियों के द्वारा सुबह मातारानी की पूजा-अर्चना की जाएगी. वहीं शाम को प्रतिवर्ष की भांति इस साल भी बलि पूजा पूरे विधि विधान के साथ किया जाएगा.

साथ ही अष्टमी को होने वाली महाआरती का आयोजन भी मंदिर के पुजारियों द्वारा किया जाएगा. जानकारी के अनुसार चैत्र नवरात्रि महापर्व के दौरान माता बिरासिनी मंदिर प्रांगण में 431 मनोकामना ज्योति घी-तेल कलश और 11 साधारण जवारे कलश की स्थापना मंदिर प्रबंधन समिति के द्वारा कराई गई हैं. जिसका विसर्जन 2 अप्रैल को सुबह पूजा-अर्चना और कन्याभोज के बाद स्थानीय सगरा तालाब में किया जाएगा.

नहीं होगा काली नृत्य
गौरतलब है कि दोनों नवरात्रि पर्व के दौरान प्रतिवर्ष जवारे विसर्जन में मां काली का नृत्य आकर्षण का केंद्र रहता था जिसे देखने प्रदेश के कोने-कोने से लोग आते थे लेकिन इस बार जवारा विसर्जन कार्यक्रम के दौरान काली नृत्य नहीं होगा. मंदिर के पंडा गोपाल विश्वकर्मा ने बताया कि इस बार जवारा विसर्जन पूजा अर्चना कर बिना नगर भृमण के स्थानीय सगरा तालाब में किया जाएगा.

उमरिया। चैत्र नवरात्रि महापर्व के दौरान 1 अप्रैल को माता बिरासिनी के दरबार मे अष्टमी मनाई जाएगी. इस दौरान माता बिरासिनी का श्रृंगार सोने और चांदी के आभूषणों से किया जाएगा. मंदिर प्रबंधन समिति और पुजारियों के द्वारा सुबह मातारानी की पूजा-अर्चना की जाएगी. वहीं शाम को प्रतिवर्ष की भांति इस साल भी बलि पूजा पूरे विधि विधान के साथ किया जाएगा.

साथ ही अष्टमी को होने वाली महाआरती का आयोजन भी मंदिर के पुजारियों द्वारा किया जाएगा. जानकारी के अनुसार चैत्र नवरात्रि महापर्व के दौरान माता बिरासिनी मंदिर प्रांगण में 431 मनोकामना ज्योति घी-तेल कलश और 11 साधारण जवारे कलश की स्थापना मंदिर प्रबंधन समिति के द्वारा कराई गई हैं. जिसका विसर्जन 2 अप्रैल को सुबह पूजा-अर्चना और कन्याभोज के बाद स्थानीय सगरा तालाब में किया जाएगा.

नहीं होगा काली नृत्य
गौरतलब है कि दोनों नवरात्रि पर्व के दौरान प्रतिवर्ष जवारे विसर्जन में मां काली का नृत्य आकर्षण का केंद्र रहता था जिसे देखने प्रदेश के कोने-कोने से लोग आते थे लेकिन इस बार जवारा विसर्जन कार्यक्रम के दौरान काली नृत्य नहीं होगा. मंदिर के पंडा गोपाल विश्वकर्मा ने बताया कि इस बार जवारा विसर्जन पूजा अर्चना कर बिना नगर भृमण के स्थानीय सगरा तालाब में किया जाएगा.

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