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उमरिया: नहीं थम रहा नवजात की मौत का सिलसिला, 9 महीने में 130 बच्चों ने गंवाई जान

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Published : Jan 21, 2020, 12:37 PM IST

Updated : Jan 21, 2020, 2:51 PM IST

उमरिया जिला अस्पताल में पिछले 9 महीने में 130 कुपोषित बच्चों की मौत हो चुकी है. जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है, नवजात बच्चों की निगरानी बढ़ा दी गई है.

Malnourished children dying in district hospital
जिला अस्पताल में ही मर रहे कुपोषित बच्चे

उमरिया। जिला अस्पताल की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में कुपोषित बच्चों की मौत के आंकड़ों ने स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खोलकर रख दी है. जिला अस्पताल में कुपोषित बच्चों की देखभाल के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद अप्रैल से दिसम्बर के बीच 105 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण पोषण पुनर्वास केंद्र में भी 25 बच्चों की मौत हो चुकी है. इस तरह ये आंकड़ा 130 हो जाता है.

नहीं थम रहा नवजात बच्चों की मौत का सिलसिला

बच्चों की मौत के ये आंकड़े एसएनसीयू और एनआरसी में भर्ती बच्चों के हैं, जबकि कई ऐसे भी नवजात हैं, जो अस्पताल पहुंचने के पहले ही मौत के शिकार हो जाते हैं. वहीं जिला अस्पताल के सीएचएमओ डॉ राजेश श्रीवास्तव ने माना है कि, जिले में बच्चों की मृत्युदर ज्यादा है, इसके लिए डॉक्टरों को सचेत रहने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन उन्होंने बच्चों की मौत पर किसी प्रकार की लापरवाही से इनकार किया है.

बहरहाल, स्वास्थ्य विभाग चाहे लाख दावे करे, लेकिन बच्चों की मौत के आकड़े चौकाने वाले हैं. जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है और अस्पतालों में बच्चों की देखरेख बढ़ा दी गई है.

उमरिया। जिला अस्पताल की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में कुपोषित बच्चों की मौत के आंकड़ों ने स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खोलकर रख दी है. जिला अस्पताल में कुपोषित बच्चों की देखभाल के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद अप्रैल से दिसम्बर के बीच 105 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण पोषण पुनर्वास केंद्र में भी 25 बच्चों की मौत हो चुकी है. इस तरह ये आंकड़ा 130 हो जाता है.

नहीं थम रहा नवजात बच्चों की मौत का सिलसिला

बच्चों की मौत के ये आंकड़े एसएनसीयू और एनआरसी में भर्ती बच्चों के हैं, जबकि कई ऐसे भी नवजात हैं, जो अस्पताल पहुंचने के पहले ही मौत के शिकार हो जाते हैं. वहीं जिला अस्पताल के सीएचएमओ डॉ राजेश श्रीवास्तव ने माना है कि, जिले में बच्चों की मृत्युदर ज्यादा है, इसके लिए डॉक्टरों को सचेत रहने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन उन्होंने बच्चों की मौत पर किसी प्रकार की लापरवाही से इनकार किया है.

बहरहाल, स्वास्थ्य विभाग चाहे लाख दावे करे, लेकिन बच्चों की मौत के आकड़े चौकाने वाले हैं. जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है और अस्पतालों में बच्चों की देखरेख बढ़ा दी गई है.

Intro:Body:उमरिया जिले में कमजोर और कुपोषित नवजात बच्चों की सेहत बिगाड़ रहा जिले का स्वास्थ्य विभाग,एसएनसीयू वार्ड में रखने के बाद भी मौत के चौकाने वाले आंकड़े से खड़े हो रहे सवाल,शहडोल में एक दिन में 6 बच्चों की मौत के बाद बढ़ाई गई चौकसी ।
उमरिया जिले में अप्रेल से दिसम्बर के बीच 105 नवजात बच्चों की मौत वो भी जिला अस्पताल के उस नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में जंहा जन्म लेते ही कमजोर बच्चों को स्वस्थ बनाने सारी सुविधाएं मौजूद होती है,साथ ही पोषण पुनर्वास केंद्र में 20 बच्चों के साथ 5 गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों की मौत को जोड़ दे तो मौत का आंकड़ा 130 पँहुचता है मतलब साफ है शहडोल में एक ही दिन में 6 बच्चों की मौत भले ही चौकानें वाली रही हो लेकिन मौत के आंकड़े उमरिया में भी कम नही,कुपोषण पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता इसे स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही से जोड़कर देखते है।
BYTE:01-संतोष द्विवेदी सामाजिक कार्यकर्ता
हम आपको बता दे कि मौत के ये आंकड़े एसएनसीयू और एनआरसी में भर्ती बच्चो के है जबकि कई ऐसे नवजात है जो अस्पताल पंहुचने के पहले ही मौत के शिकार हो जाते है यह अलग बात है कि बच्चों की मौत का सरकारी अनुपात दस फीसदी सामान्य माना जाता है ऐसे में जिले में13 फीसदी बच्चों की मौत भले ही चौकाने वाली न हो लेकिन औसत से ज्यादा तो है ही लेकिन जिले के जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारी इससे संतुष्ट है और इसमें किसी प्रकार की लापरवाही नही मानते ।
BYTE:02-डॉ राजेश श्रीवास्तव सीएचएमओ
बहरहाल शहडोल की घटना से स्वास्थ्य महकमा की चौकसी तो देखी गई है लेकिन ये चौकसी कितने दिन कायम रहेगी ये देखने वाली बात होगी,जरूरत चौकसी हमेशा कायम रखने की जिससे सरकार की मंशा पूरी हो ।। Conclusion:
Last Updated : Jan 21, 2020, 2:51 PM IST
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