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चाइना के दीयों ने तोड़ी कुम्हारों की कमर, बाजार से गायब हुए मिट्टी के दीपक

चाइना और पीओपी के दीपक के चलन की वजह से मिट्टी के दीपक बाजार से गायब होते जा रहे हैं, इसकी वजह से कुम्हारों के सामने रोजी- रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

बाजार से गायब हुए मिट्टी के दीपक
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Published : Oct 18, 2019, 8:35 AM IST

Updated : Oct 18, 2019, 11:18 AM IST

उमरिया। दीपावली के त्योहार पर हर घर को रोशन करने वाले मिट्टी के दीपक की जगह अब चायनीज दीयों ने ले ली है, मिट्टी के दीपक बाजार से गायब से होते जा रहे हैं. ज्यादातर चाइना और पीओपी के दीपक ही लोग खरीद रहे हैं. जिसके चलते कुम्हारों के आगे रोजी- रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कुम्हारों का कहना है कि बाजार में चाइना के दीपक की बिक्री होने से उन्हें बहुत नुकसान होता है, उनकी आजिविका का साधन भी धीरे धीरे अब छिन रहा है. लोग बड़े शौक से चाइना के दीपक खरीद लेते हैं, जिससे मिट्टी के दीपक की मांग कम हो रही है और उनका रोजगार छिन रहा है.

बाजार से गायब हुए मिट्टी के दीपक
सामाजिक कार्यकर्ता रवि शर्मा ने दीपावली पर दीपक का महत्व बताते हुए कहा कि, दीप दान करते वक्त मिट्टी से बने दीपक का प्रयोग होता है. वर्तमान में चाइना के दीपक मार्केट में ज्यादा प्रचलित हो रहे हैं, जिसके चलते स्थानीय कुम्हार का व्यवसाय ज्यादा प्रभावित हो रहा है और उनका रोजगार छिन रहा है. रवि शर्मा ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि चाइनीज दीपक का ज्यादा से ज्यादा बहिष्कार करें और अधिक से अधिक पारंमपरिक मिट्टी से बने दीपक का इस्तमाल करें.

उमरिया। दीपावली के त्योहार पर हर घर को रोशन करने वाले मिट्टी के दीपक की जगह अब चायनीज दीयों ने ले ली है, मिट्टी के दीपक बाजार से गायब से होते जा रहे हैं. ज्यादातर चाइना और पीओपी के दीपक ही लोग खरीद रहे हैं. जिसके चलते कुम्हारों के आगे रोजी- रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कुम्हारों का कहना है कि बाजार में चाइना के दीपक की बिक्री होने से उन्हें बहुत नुकसान होता है, उनकी आजिविका का साधन भी धीरे धीरे अब छिन रहा है. लोग बड़े शौक से चाइना के दीपक खरीद लेते हैं, जिससे मिट्टी के दीपक की मांग कम हो रही है और उनका रोजगार छिन रहा है.

बाजार से गायब हुए मिट्टी के दीपक
सामाजिक कार्यकर्ता रवि शर्मा ने दीपावली पर दीपक का महत्व बताते हुए कहा कि, दीप दान करते वक्त मिट्टी से बने दीपक का प्रयोग होता है. वर्तमान में चाइना के दीपक मार्केट में ज्यादा प्रचलित हो रहे हैं, जिसके चलते स्थानीय कुम्हार का व्यवसाय ज्यादा प्रभावित हो रहा है और उनका रोजगार छिन रहा है. रवि शर्मा ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि चाइनीज दीपक का ज्यादा से ज्यादा बहिष्कार करें और अधिक से अधिक पारंमपरिक मिट्टी से बने दीपक का इस्तमाल करें.
Intro:विलुप्त होते जा रहे मिट्टी के दीपक
Body:विलुप्त होते जा रहे मिट्टी के दीपक

बिरसिंहपुर पाली

आधुनिकता की ओर अग्रसर हो रहे समाज के बीच से अब दीपावली पर्व के दौरान मिट्टी के दीपक गायब से होते जा रहे है। बाजार में अधिकांशतः चाइना व पीओपी के दीपक अपना स्थान सुरक्षित किये हुए है जिससे स्थानीय कुम्हार समाज की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होने लगी है। उनका कहना है कि बाजार में चाइना के दीपक की बिक्री होने से उन्हें बहुत नुकसान होता है उनके जीवकोपार्जन का साधन भी धीरे धीरे अब छिन रहा है लोग बड़े उत्साह से चाइना के दीपक लेते है जिससे मिट्टी के दीपक की मांग कम हो रही है। इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता रवि शर्मा का कहना है कि समाज को चाइना के बने दीपक का बहिष्कार करना चाहिए और अधिक से अधिक मिट्टी के दीपक दिवाली त्योहार में शामिल किया जाना चाहिए।

बाइट--1 गंगा प्रजापति मिट्टी के वर्तन व्यवसायी 2 रवि शर्मा समाजसेवी

Conclusion:
Last Updated : Oct 18, 2019, 11:18 AM IST
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