उमरिया। कभी सूखा, कभी बाढ़ तो कभी बेमौसम बरसात किसानों की मेहनत बर्बाद कर जाती है. इसी बारिश के पानी में उनकी उम्मीदें बह जाती हैं, यही बारिश किसानों की मुश्किलें इस कदर बढ़ा रही हैं कि उन्हें पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
उमरिया में मौसम के करवट बदलते ही किसानों के चेहरे की सिकन बढ़ रही है तो सुबह के वक्त कोहरे की परत ओढ़े बादल किसानों की चिंता दोगुना कर रहे हैं. ऊपर से कर्ज का बोझ एक भी कदम आगे नहीं बढ़ने दे रहा है. वहीं, बारिश से बीमारियां भी बढ़ने लगी हैं, जिसके चलते मरीजों की संख्या में इजाफा होने की आशंका जताई जा रही है.
किसानों के जीविका का एकमात्र साधन खेती है, जबकि बेमौसम बारिश उनके लिए परेशानी का सबब बन रही है. ऐसे में किसान एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की मार झेलने को विवश हैं.