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बेमौसम बारिश में बर्बाद हो रही किसानों की मेहनत, बीमारी का भी सता रहा डर

कभी सूखा, कभी बाढ़ तो कभी बेमौसम बरसात किसानों की मेहनत बर्बाद कर जाती है. इसी बारिश के पानी में उनकी उम्मीदें बह जाती हैं, यही बारिश किसानों की मुश्किलें इस कदर बढ़ा रही हैं कि उन्हें पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

बेमौसम बारिश में बर्बाद हो रही किसानों की मेहनत, बीमारी का भी सता रहा डर
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Published : Mar 14, 2019, 4:20 PM IST

उमरिया। कभी सूखा, कभी बाढ़ तो कभी बेमौसम बरसात किसानों की मेहनत बर्बाद कर जाती है. इसी बारिश के पानी में उनकी उम्मीदें बह जाती हैं, यही बारिश किसानों की मुश्किलें इस कदर बढ़ा रही हैं कि उन्हें पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

Due to rain forced the farmer to flee
बेमौसम बारिश में बर्बाद हो रही किसानों की मेहनत, बीमारी का भी सता रहा डर

उमरिया में मौसम के करवट बदलते ही किसानों के चेहरे की सिकन बढ़ रही है तो सुबह के वक्त कोहरे की परत ओढ़े बादल किसानों की चिंता दोगुना कर रहे हैं. ऊपर से कर्ज का बोझ एक भी कदम आगे नहीं बढ़ने दे रहा है. वहीं, बारिश से बीमारियां भी बढ़ने लगी हैं, जिसके चलते मरीजों की संख्या में इजाफा होने की आशंका जताई जा रही है.

बेमौसम बारिश में बर्बाद हो रही किसानों की मेहनत, बीमारी का भी सता रहा डर

किसानों के जीविका का एकमात्र साधन खेती है, जबकि बेमौसम बारिश उनके लिए परेशानी का सबब बन रही है. ऐसे में किसान एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की मार झेलने को विवश हैं.

उमरिया। कभी सूखा, कभी बाढ़ तो कभी बेमौसम बरसात किसानों की मेहनत बर्बाद कर जाती है. इसी बारिश के पानी में उनकी उम्मीदें बह जाती हैं, यही बारिश किसानों की मुश्किलें इस कदर बढ़ा रही हैं कि उन्हें पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

Due to rain forced the farmer to flee
बेमौसम बारिश में बर्बाद हो रही किसानों की मेहनत, बीमारी का भी सता रहा डर

उमरिया में मौसम के करवट बदलते ही किसानों के चेहरे की सिकन बढ़ रही है तो सुबह के वक्त कोहरे की परत ओढ़े बादल किसानों की चिंता दोगुना कर रहे हैं. ऊपर से कर्ज का बोझ एक भी कदम आगे नहीं बढ़ने दे रहा है. वहीं, बारिश से बीमारियां भी बढ़ने लगी हैं, जिसके चलते मरीजों की संख्या में इजाफा होने की आशंका जताई जा रही है.

बेमौसम बारिश में बर्बाद हो रही किसानों की मेहनत, बीमारी का भी सता रहा डर

किसानों के जीविका का एकमात्र साधन खेती है, जबकि बेमौसम बारिश उनके लिए परेशानी का सबब बन रही है. ऐसे में किसान एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की मार झेलने को विवश हैं.

Intro:एंकर - उमरिया जिले में मौसम ने ली अंगड़ाई, झमाझम हुई बारिश से अन्नदाताओं के चेहरे की बढ़ी सिकन, बे मौसम बरसात से प्रभावित होगी किसानो की फसल, स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा असर, उम्मीदें हुई धराशाई.



Body:वीओ 01 - उमरिया जिले में एक बार फिर मौसम ने अपनी करवट ली है जहां बीते मंगलवार की शाम से हुई झमाझम बारिश ने अनन्दताओं के चेहरे की सिकन बढा दी वहीं आज सुबह से ही कोहरे की परत ओढ़े बादलों ने किसानों के माथे में चिंता की लकीरें दोगुनी कर दी हैं, बीते दिन के बेमोसम बरसात ने क्षेत्र के लगभग 30 प्रतिशत खेती को प्रभावित किया, जहां कर्जे की मार झेल रहे किसानों के माथे में संकट के बादल गहराए हैं तो वहीं किसान अब पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं। हम बता दें कि जिले में आकस्मिक मौसम के परिवर्त्तन और बारिश से जहां एक ओर किसानों की फसल के चौपट का अंदेशा लगाया जा रहा है वहीं इससे महामारी जैसे कई बीमारियों के चपेट से मरीजों की संख्या में इजाफा होने के असार हैं. जानकारों का मानना है कि किसानों पर यह विपत्ति बरशी है. बहरहाल बारिश के होने से खेती किसानी का माध्यम जिन किसानों का एकमात्र आजीविका का साधन है उनके सिर पर संकट का बादल खड़ा हो चला है. बे मौसम बरसात से उम्मीदें धराशाही हो गई. ऐसे में किसान एक बार पुनः प्राकृतिक आपदा की मार झेलने को विवश है और अपने रोजी रोटी के लिए पलायन को मजबूर है.

बाइट 01 - राम लाल (किसान)


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