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मंत्री मीना सिंह ने ली विभागीय अधिकारियों की बैठक - minister meena singh

प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में निर्माण के कार्य समय पर पूरे होने के लिए आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह ने संभाग स्तरीय बैठक आयोजित की.

Departmental Officers Meeting
विभागीय अधिकारियों की बैठक
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Published : Sep 7, 2020, 2:42 AM IST

उमरिया। आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए है कि आदिवासी क्षेत्रों में विकास के कार्य नियत समय में पूरे करवाये जाए. उन्होंने निर्माण एजेंसियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने के लिये कहा है, जो निर्माण कार्यों को पूरा करने में लापरवाही बरत रहे हैं.

आदिम जाति कल्याण मंत्री ने विभाग की बस्ती विकास योजना में सामुदायिक भवन और शालाओं में अतिरिक्त कक्षों के निर्माण कार्य प्राथमिकता से लिए जाने की बात कही. आदिम जाति कल्याण मंत्री ने वेबिनार के माध्यम से उमरिया से भोपाल, नर्मदापुरम् और सागर संभाग के विभागीय अधिकारियों की बैठक को संबोधित किया. बैठक में वनाधिकार और पट्टों के वितरण की भी समीक्षा की गई.


बैठक में मंत्री ने कहा कि आने वाले समय में जल्द ही विभाग के छात्रावास और आश्रम शालाओं का संचालन शुरू किया जाएगा. विभागीय अधिकारी अपने जिलों में सजगता के साथ तैयारी शुरू करेंगे. उन्होंने कहा कि विभाग के अनेक भवन कोविड-19 के लिए अधिग्रहित किये गये हैं. उन भवनों के उपयोग के पहले सैनिटाइजेशन और स्वच्छ किया जाए.

मंत्री मीना सिंह ने आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों को दूरदर्शन और आकाशवाणी, ऑनलाइन सहित अन्य डिजिटल मॉड्यूल के माध्यम से पढ़ाई कराने के बारे में जानकारी भी ली, उन्होंने विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति और आवासीय सहायता की राशि बैंक खातों में बिना देर के ट्रांसफर किये जाने के भी निर्देश दिए हैं.

वनाधिकार पट्टों की समीक्षा
आदिम जाति कल्याण मंत्री ने कहा कि वनवासी सही मायनो में जल, जंगल और पर्यावरण के संरक्षक होते है. राज्य सरकार ने वनाधिकार अधिनियम में पूर्व में निरस्त वन भूमि के पट्टों की पुनरू समीक्षा किये जाने का निर्णय लिया है.

उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारी 15 सितम्बर तक पूर्व में काबिज वनवासियों को भूमि के पट्टे परीक्षण के बाद मान्य कराने में प्रभावी कार्रवाई करें. बैठक में बताया गया कि भोपाल संभाग में 9 हजार 200 निरस्त दावों में से 1 हजार 592 दावों को परीक्षण के बाद मान्य किया गया है. नर्मदापुरम् संभाग में 8 हजार 300 दावों मे से 656 दावें मान्य किये गये है. सागर संभाग में 16 हजार 800 दावों में से 2 हजार 380 दावें जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा मान्य किये गये है.

दावों का डिजिटाइजेशन हो
आदिम जाति कल्याण प्रमुख सचिव पल्लवी गोविल ने अधिकारियों को निर्देश दिये है कि पूर्व में निरस्त दावों का डिजिटाइजेशन का कार्य जल्द पूरा किया जाएं. उन्होंने बताया कि प्रत्येक दावें के लिये 50 रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निरस्त वन भूमि पट्टों में दो बुजुर्गों की गवाही को आधार मानकर आवश्यक कार्रवाही करने को कहा हैं. प्रमुख सचिव ने पोस्ट मैट्रिक और आवासीय सहायता की पूर्व के लंबित प्रकरणों पर नाराजगी व्यक्त की हैं.

प्रमुख सचिव ने विभागीय छात्रावासों में प्रवेश के नये नियमों के संबंध में कार्रवाई की जानकारी प्राप्त की. उन्होंने बताया कि पात्रता में सामाजिक एकीकरण और छात्रावासों की स्वीकृत सीटों पर शत् प्रतिशत प्रवेश हों. इसके लिये आदिवासी छात्रावासों में 70 प्रतिशत आदिवासी और अन्य 30 प्रतिशत सीटों पर अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, घुम्मकड़, अर्द्धघुम्मकड़ वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिये जाने की व्यवस्था की गई है.

आदिवासी जगहों में चौम्पियन स्कूल और स्मार्ट क्लास
आयुक्त आदिम जाति कल्याण ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग की 10 हजार चौम्पियन स्कूल में 3 हजार स्कूल आदिवासी क्षेत्रों के शामिल किये जा रहे है. उन्होंने बताया कि विभाग के 860 हायर सेकण्डरी स्कूल में प्रति स्कूल में एक क्लास को स्मार्ट कक्षा के रूप में विकसित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस कार्य में कॉरपोरेट रिस्पॉन्सिब्लिटी फंड (सीएसआर) की मदद ली जा रही हैै.

उमरिया। आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए है कि आदिवासी क्षेत्रों में विकास के कार्य नियत समय में पूरे करवाये जाए. उन्होंने निर्माण एजेंसियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने के लिये कहा है, जो निर्माण कार्यों को पूरा करने में लापरवाही बरत रहे हैं.

आदिम जाति कल्याण मंत्री ने विभाग की बस्ती विकास योजना में सामुदायिक भवन और शालाओं में अतिरिक्त कक्षों के निर्माण कार्य प्राथमिकता से लिए जाने की बात कही. आदिम जाति कल्याण मंत्री ने वेबिनार के माध्यम से उमरिया से भोपाल, नर्मदापुरम् और सागर संभाग के विभागीय अधिकारियों की बैठक को संबोधित किया. बैठक में वनाधिकार और पट्टों के वितरण की भी समीक्षा की गई.


बैठक में मंत्री ने कहा कि आने वाले समय में जल्द ही विभाग के छात्रावास और आश्रम शालाओं का संचालन शुरू किया जाएगा. विभागीय अधिकारी अपने जिलों में सजगता के साथ तैयारी शुरू करेंगे. उन्होंने कहा कि विभाग के अनेक भवन कोविड-19 के लिए अधिग्रहित किये गये हैं. उन भवनों के उपयोग के पहले सैनिटाइजेशन और स्वच्छ किया जाए.

मंत्री मीना सिंह ने आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों को दूरदर्शन और आकाशवाणी, ऑनलाइन सहित अन्य डिजिटल मॉड्यूल के माध्यम से पढ़ाई कराने के बारे में जानकारी भी ली, उन्होंने विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति और आवासीय सहायता की राशि बैंक खातों में बिना देर के ट्रांसफर किये जाने के भी निर्देश दिए हैं.

वनाधिकार पट्टों की समीक्षा
आदिम जाति कल्याण मंत्री ने कहा कि वनवासी सही मायनो में जल, जंगल और पर्यावरण के संरक्षक होते है. राज्य सरकार ने वनाधिकार अधिनियम में पूर्व में निरस्त वन भूमि के पट्टों की पुनरू समीक्षा किये जाने का निर्णय लिया है.

उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारी 15 सितम्बर तक पूर्व में काबिज वनवासियों को भूमि के पट्टे परीक्षण के बाद मान्य कराने में प्रभावी कार्रवाई करें. बैठक में बताया गया कि भोपाल संभाग में 9 हजार 200 निरस्त दावों में से 1 हजार 592 दावों को परीक्षण के बाद मान्य किया गया है. नर्मदापुरम् संभाग में 8 हजार 300 दावों मे से 656 दावें मान्य किये गये है. सागर संभाग में 16 हजार 800 दावों में से 2 हजार 380 दावें जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा मान्य किये गये है.

दावों का डिजिटाइजेशन हो
आदिम जाति कल्याण प्रमुख सचिव पल्लवी गोविल ने अधिकारियों को निर्देश दिये है कि पूर्व में निरस्त दावों का डिजिटाइजेशन का कार्य जल्द पूरा किया जाएं. उन्होंने बताया कि प्रत्येक दावें के लिये 50 रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निरस्त वन भूमि पट्टों में दो बुजुर्गों की गवाही को आधार मानकर आवश्यक कार्रवाही करने को कहा हैं. प्रमुख सचिव ने पोस्ट मैट्रिक और आवासीय सहायता की पूर्व के लंबित प्रकरणों पर नाराजगी व्यक्त की हैं.

प्रमुख सचिव ने विभागीय छात्रावासों में प्रवेश के नये नियमों के संबंध में कार्रवाई की जानकारी प्राप्त की. उन्होंने बताया कि पात्रता में सामाजिक एकीकरण और छात्रावासों की स्वीकृत सीटों पर शत् प्रतिशत प्रवेश हों. इसके लिये आदिवासी छात्रावासों में 70 प्रतिशत आदिवासी और अन्य 30 प्रतिशत सीटों पर अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, घुम्मकड़, अर्द्धघुम्मकड़ वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिये जाने की व्यवस्था की गई है.

आदिवासी जगहों में चौम्पियन स्कूल और स्मार्ट क्लास
आयुक्त आदिम जाति कल्याण ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग की 10 हजार चौम्पियन स्कूल में 3 हजार स्कूल आदिवासी क्षेत्रों के शामिल किये जा रहे है. उन्होंने बताया कि विभाग के 860 हायर सेकण्डरी स्कूल में प्रति स्कूल में एक क्लास को स्मार्ट कक्षा के रूप में विकसित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस कार्य में कॉरपोरेट रिस्पॉन्सिब्लिटी फंड (सीएसआर) की मदद ली जा रही हैै.

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