उमरिया। शहडोल के कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल में 12 दिनों में 18 बच्चों की मौत के मामले में मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने शहडोल और अनूपपुर का निरीक्षण किया. जिसके बाद उमरिया जिला चिकित्सालय पहुंचे. यहां उन्होनें अस्पताल की व्यवसथा देखी और डॉक्टरों से चर्चा की. इस दौरान बर्खास्त कोरोना योद्धा( स्वास्थ्य कर्मी) ने स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का विरोध किया. जिसके बाद मीडिया के सवालों से बचते हुए प्रभुराम चौधरी यहां से रवाना हो गए.
संभाग के तीनों जिलों में होगा डोर टू डोर सर्वे
स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि शहडोल संभाग के तीनों जिलों की समीक्षा बैठक की गई है. संभाग के तीनों जिलों शहडोल,अनूपपुर और उमरिया में स्वास्थ्य विभाग का नीचे का अमला आशा और एएनएम कार्यकर्ता घर घर जाकर सर्वे करने के निर्देश दिए हैं. आशा और एएनएम कार्यकर्ता बच्चों के स्वास्थ्य के साथ साथ कुपोषण की भी जानकारी लेंगी. साथ ही यदि कोई बच्चा बीमार है तो उस बच्चे को हमारे स्वास्थ्य कर्मी जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती करने में मदद करेंगे. जिससे संभाग में अब ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. साथ ही स्वास्थ्य विभाग का अब पूरा प्रयास रहेगा कि इन तीन जिलों में यदि कोई बच्चा बीमार है या कुपोषित है, तो ऐसे सभी बच्चों को विभाग आऐडेन्टिफिएड करेगा साथ ही उनके इलाज की समुचित व्यवस्था की जाएगी.
जिला अस्पताल उमरिया में तमाम व्यवस्थाएं होने के वावजूद भी यहां से दो बच्चों को शहडोल रेफर कर दिया गया था, जहां उनकी मौत हो गई है. जब मंत्री जी से इसे लेकर सवाल पूछा गया कि जिला चिकित्सालय मात्र रेफर सेंटर बन कर रह गया है, तो वह सवालों से बचते नजर आए. उनका कहना है कि उमरिया जिले के जो गांव शहडोल से लगें है. वहां के बच्चों को शहडोल रेफर किया जाता है. हालांकि जिला मुख्यालय उमरिया के रहने वाले एक बच्चे को शहडोल जिला आस्पताल में रेफर किया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी. साथ ही बच्चे के मृत शरीर को लाने के लिए दिव्यांग सोहन चौधरी को उधार लेकर स्वयं के साधन से घर लाना पड़ा था.
होगी भ्रष्टाचार की जांच
शहडोल और अनूपपुर के दौरे के बाद उमरिया पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी को मीडिया में आड़े हाथों लिया और सीएमएचओ राजेश श्रीवास्तव के द्वारा की जा रही अनियमितता के बारे में जब बताया गया तो मंत्री ने जांच की बात कही है अब जांच कैसी होगी मंत्री जी ने तो ये नही बताया पर जाँच की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया है.
बता दें कि कोविड-19 के दौरान भर्ती किए गए नर्सेज, जीएनएम, एएनएम, और लैब टेक्नीशियन को अब सरकार नौकरी से निकाला रही है. इसके विरोध में स्वास्थ्य कर्मचारियों ने प्रदेश के कई जिलों में किया था.