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तेंदूपत्ता घोटाला मामले में DFO निलंबित, 9 दिन बाद होने वाले थे रिटायर

तेंदूपत्ता घोटाला मामले में DFO को निलंबित कर दिया गया है, खास बात यह है कि वह 9 दिन बाद रिटायर होने वाले थे, लेकिन जांच में दोषी पाए जाने के बाद उन्हे निलंबित कर दिया गया.

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Published : Dec 23, 2020, 12:30 PM IST

DFO suspended in Tendupatta scam case
तेंदूपत्ता घोटाला मामले में DFO निलंबित

उमरिया। वन मंडल के डीएफओ आरएस सिकरवार को उनकी सेवानिवृत्ति के 9 दिन पहले ही सस्पेंड कर दिया गया है, वहीं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर देवांशु शेखर को भी मध्यप्रदेश शासन ने निलंबित कर दिया है, उमरिया जिले में पदस्थ दो डीएफओ को मध्यप्रदेश शासन द्वारा एक साथ सस्पेंड करने की कार्रवाई विभाग में चर्चा में है.

DFO suspended in Tendupatta scam case
तेंदूपत्ता घोटाला मामला
  • दोनों डीएफओ का सस्पेंशन ऑर्डर जारी

मध्य प्रदेश शासन के वन विभाग के सचिव एचएस मोहंता ने दोनों डीएफओ का सस्पेंशन ऑर्डर जारी किया है. इसके बाद भी डीएफओ आरएस सिकरवार मंगलवार की सुबह ऑफिस पहुंच गए और बहुत सी फाइलें वहां से लेकर अपने बंगले चले गए, विभाग में चर्चा है, इनमें से कई फाइल तो बेहद महत्वपूर्ण हैं, और वे इसमें पिछली तारीखों पर कुछ भी कर सकते हैं.

  • 4 करोड़ 72 लाख का घोटाला उजागर

सामान्य वन मंडल उमरिया के डीएफओ आर एस सिकरवार पर तेंदूपत्ता मद की राशि में अनियमितता बरतने का गंभीर आरोप था, जिला लघु वनोपज सहकारी यूनियन उमरिया में हुई गंभीर वित्तीय अनियमितता को लेकर आर एस सिकरवार को सस्पेंड किया गया है, इस बारे में बताया गया है कि आरएस सिकरवार ने न सिर्फ चार करोड़ 72 लाख रुपये का घोटाल किया है, बल्कि इस मामले में वन विभाग के एक मृत कर्मचारी पर भी यह पूरा मामला मढ़ने की कोशिश की गई है.

भारतीय वन सेवा 1999 के वन संरक्षक तथा प्रबंध संचालक आर एस सिकरवार को गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के लिए दोषी माना गया है, सस्पेंशन पत्र में इनका मुख्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख कार्यालय भोपाल नियत किया गया है, इसी तरह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर देवांशु शेखर को भी मध्य प्रदेश शासन के वन विभाग के सचिव एसएस मोहंता ने निलंबित कर दिया है, देवांशु शेखर भारतीय वन सेवा 2011 के अधिकारी हैं, और इन पर भी जिला लघु वनोपज सहकारी यूनियन उत्तर वन मंडल शहडोल में पदस्थापना के दौरान वित्तीय अनियमितता के आरोप हैं.

  • बिना अनुमाति खरीदी जमीन

डीएफओ आरएस सिकरवार ने उमरिया जिले में बिना विभाग की अनुमति के तीन जमीनें खरीदी हैं, हालांकि यह तीनों जमीन एक ही स्थान पर है, लेकिन इन तीनों जमीनों के अलग-अलग कागज तैयार हुए हैं, यह जमीन हल्क रहठा के ग्राम मोहनी में खरीदी गई है, इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार खसरा नंबर 444/1, 444/2 और 444/3 में खरीदी गई है, खसरा नंबर 444/1 में कुल रकबा 0.7660 हेक्टेयर, खसरा नंबर 444/2 और खसरा नंबर 444/3 में भी रकबा 0.7660 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई है.

  • जमीन पर लगे हैं 100 से ज्यादा सागौन के पेड़

यह जमीन मोहनी निवासी धूपपाल महरा पिता मदानी महरा से खरीदी गई है, इस पूरी जमीन पर दो सौ से ज्यादा सागौन के पेड़ होने की जानकारी मिली है, जबकि रजिस्ट्री में महज 28 पेड़ दर्शाए गए हैं, गलत जानकारी दे कर रायल्टी राशि बचाई गई है, जबकि एक वन अधिकारी होने के नाते इन पर जिम्मेदारी होती है कि जमीन की इस तरह की खरीद फरोख्त में कोई गलत जानकारी देकर रायल्टी राशि की चोरी न कर सके इतना ही नहीं इस जमीन को खरीदने के लिए आरएस सिकरवार ने विभाग से किसी भी तरह की कोई अनुमति नहीं ली, जमीन की इस खरीदी को लेकर वन विभाग में चर्चा है कि यहां तेंदूपत्ता घोटाले की राशि खर्च की गई है।

  • दो महीने में भोपाल के बीस चक्कर

डीएफओ आरएस सिकरवार ने पिछले दो महीने में भोपाल के बीस चक्कर लगाए हैं और यह सभी चक्कर किराए के वाहन से लगाए गए हैं, जबकि विभाग के पास अपने वाहन भी हैं, बताया जा रहा है कि वाहनों के किराये का भुगतान भी तेंदूपत्ता के पैसों से ही किया गया है, इसके अलावा भी कई अन्य ऐसी बातें हैं जो इन दिनों चर्चा में हैं.

  • यह भी हैं आरोप

उमरिया जिले के घुनघुटी, पाली और नौरोजाबाद रेंज के जंगल में तालाबों के उत्खनन के नाम पर बड़ा खेल खेला गया है, इस खेल के पीछे भी डीएफओ आरएस सिकरवार का नाम सामने आया था.

  • मुख्यमंत्री से की गई शिकायत

मुख्यमंत्री से की गई शिकायत में बताया गया है कि तालाब बनाने के लिए डीएफओ ने राजस्थान से अपने लोगों को बुला लिया था, जो काम मजदूरों को करना चाहिए था वह काम मशीनों से कराया गया, और इसके लिए ठेकेदार के अकाउंट में पैसा डाला गया.

  • सूचना के अधिकार के तहत मामले का खुलासा

यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहत ली गई है, जिसमें भुगतान का बाउचर भी सामने आया है, बाउचर के अनुसार घुनघुटी में राजस्थान के कल्याणपुर जिला बामेर निवासी भंवरलाल बिसहोर से तालाब का निर्माण कराया गया था, इतना ही नहीं डीएफओ ने उमरिया रेंज में भी नियम विरुद्ध तरीके से तालाबों का निर्माण कराया है, यह कार्य रेंजर नौरोजाबाद के नेतृत्व में हुआ है.

  • कराया गया अवैध खनन

पिछले दिनों कुंवर विजय शाह से और दो दिन पहले सीएम से की गई शिकायत में साफ तौर पर आरोप लगाया गया है, कि नौरोजाबाद रेंजर अवैध खनन करवाते हैं और खनन के बाद हुए गड्ढे को तालाब का नाम देकर मामले को निपटा देते हैं. नौरोजाबाद रेंजर द्वारा सस्तरा बीट के पीएफ 510 में जमकर अवैध खनन कराया गया है, यहां से हजारों हाईवा मुरुम निकाली गई है। जिसका परिणाम है कि यहां एक विशाल गड्ढा बन गया है और इस विशाल गड्ढे को नौरोजाबद रेंजर तालाब का नाम दे दिया.

  • मनमाने तरीके से तार की खरीदी

इतना ही नहीं इस मामले में जब डिप्टी रेंजर संतोष तिवारी ने पीओआर काट दिया, तो डीएफओ ने उसे निलंबित कर दिया, फेंसिंग के लिए तार की खरीदी मनमाने ढंग से की गई है, जो खरीदी रेंज स्तर पर होनी चाहिए, उसे डीएफओ ने एकमुश्त खरीद कर डिपो में रखवा दिया, और मनमाने ढंग से रेंजरों को तार दबाव बनाकर दी गई, रेंजर दबाव में आकर तार लेते रहे, लेकिन उन्हें न तो पर्याप्त तार मिली, और न ही वह कहीं उपयोगी रही.

उमरिया। वन मंडल के डीएफओ आरएस सिकरवार को उनकी सेवानिवृत्ति के 9 दिन पहले ही सस्पेंड कर दिया गया है, वहीं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर देवांशु शेखर को भी मध्यप्रदेश शासन ने निलंबित कर दिया है, उमरिया जिले में पदस्थ दो डीएफओ को मध्यप्रदेश शासन द्वारा एक साथ सस्पेंड करने की कार्रवाई विभाग में चर्चा में है.

DFO suspended in Tendupatta scam case
तेंदूपत्ता घोटाला मामला
  • दोनों डीएफओ का सस्पेंशन ऑर्डर जारी

मध्य प्रदेश शासन के वन विभाग के सचिव एचएस मोहंता ने दोनों डीएफओ का सस्पेंशन ऑर्डर जारी किया है. इसके बाद भी डीएफओ आरएस सिकरवार मंगलवार की सुबह ऑफिस पहुंच गए और बहुत सी फाइलें वहां से लेकर अपने बंगले चले गए, विभाग में चर्चा है, इनमें से कई फाइल तो बेहद महत्वपूर्ण हैं, और वे इसमें पिछली तारीखों पर कुछ भी कर सकते हैं.

  • 4 करोड़ 72 लाख का घोटाला उजागर

सामान्य वन मंडल उमरिया के डीएफओ आर एस सिकरवार पर तेंदूपत्ता मद की राशि में अनियमितता बरतने का गंभीर आरोप था, जिला लघु वनोपज सहकारी यूनियन उमरिया में हुई गंभीर वित्तीय अनियमितता को लेकर आर एस सिकरवार को सस्पेंड किया गया है, इस बारे में बताया गया है कि आरएस सिकरवार ने न सिर्फ चार करोड़ 72 लाख रुपये का घोटाल किया है, बल्कि इस मामले में वन विभाग के एक मृत कर्मचारी पर भी यह पूरा मामला मढ़ने की कोशिश की गई है.

भारतीय वन सेवा 1999 के वन संरक्षक तथा प्रबंध संचालक आर एस सिकरवार को गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के लिए दोषी माना गया है, सस्पेंशन पत्र में इनका मुख्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख कार्यालय भोपाल नियत किया गया है, इसी तरह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर देवांशु शेखर को भी मध्य प्रदेश शासन के वन विभाग के सचिव एसएस मोहंता ने निलंबित कर दिया है, देवांशु शेखर भारतीय वन सेवा 2011 के अधिकारी हैं, और इन पर भी जिला लघु वनोपज सहकारी यूनियन उत्तर वन मंडल शहडोल में पदस्थापना के दौरान वित्तीय अनियमितता के आरोप हैं.

  • बिना अनुमाति खरीदी जमीन

डीएफओ आरएस सिकरवार ने उमरिया जिले में बिना विभाग की अनुमति के तीन जमीनें खरीदी हैं, हालांकि यह तीनों जमीन एक ही स्थान पर है, लेकिन इन तीनों जमीनों के अलग-अलग कागज तैयार हुए हैं, यह जमीन हल्क रहठा के ग्राम मोहनी में खरीदी गई है, इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार खसरा नंबर 444/1, 444/2 और 444/3 में खरीदी गई है, खसरा नंबर 444/1 में कुल रकबा 0.7660 हेक्टेयर, खसरा नंबर 444/2 और खसरा नंबर 444/3 में भी रकबा 0.7660 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई है.

  • जमीन पर लगे हैं 100 से ज्यादा सागौन के पेड़

यह जमीन मोहनी निवासी धूपपाल महरा पिता मदानी महरा से खरीदी गई है, इस पूरी जमीन पर दो सौ से ज्यादा सागौन के पेड़ होने की जानकारी मिली है, जबकि रजिस्ट्री में महज 28 पेड़ दर्शाए गए हैं, गलत जानकारी दे कर रायल्टी राशि बचाई गई है, जबकि एक वन अधिकारी होने के नाते इन पर जिम्मेदारी होती है कि जमीन की इस तरह की खरीद फरोख्त में कोई गलत जानकारी देकर रायल्टी राशि की चोरी न कर सके इतना ही नहीं इस जमीन को खरीदने के लिए आरएस सिकरवार ने विभाग से किसी भी तरह की कोई अनुमति नहीं ली, जमीन की इस खरीदी को लेकर वन विभाग में चर्चा है कि यहां तेंदूपत्ता घोटाले की राशि खर्च की गई है।

  • दो महीने में भोपाल के बीस चक्कर

डीएफओ आरएस सिकरवार ने पिछले दो महीने में भोपाल के बीस चक्कर लगाए हैं और यह सभी चक्कर किराए के वाहन से लगाए गए हैं, जबकि विभाग के पास अपने वाहन भी हैं, बताया जा रहा है कि वाहनों के किराये का भुगतान भी तेंदूपत्ता के पैसों से ही किया गया है, इसके अलावा भी कई अन्य ऐसी बातें हैं जो इन दिनों चर्चा में हैं.

  • यह भी हैं आरोप

उमरिया जिले के घुनघुटी, पाली और नौरोजाबाद रेंज के जंगल में तालाबों के उत्खनन के नाम पर बड़ा खेल खेला गया है, इस खेल के पीछे भी डीएफओ आरएस सिकरवार का नाम सामने आया था.

  • मुख्यमंत्री से की गई शिकायत

मुख्यमंत्री से की गई शिकायत में बताया गया है कि तालाब बनाने के लिए डीएफओ ने राजस्थान से अपने लोगों को बुला लिया था, जो काम मजदूरों को करना चाहिए था वह काम मशीनों से कराया गया, और इसके लिए ठेकेदार के अकाउंट में पैसा डाला गया.

  • सूचना के अधिकार के तहत मामले का खुलासा

यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहत ली गई है, जिसमें भुगतान का बाउचर भी सामने आया है, बाउचर के अनुसार घुनघुटी में राजस्थान के कल्याणपुर जिला बामेर निवासी भंवरलाल बिसहोर से तालाब का निर्माण कराया गया था, इतना ही नहीं डीएफओ ने उमरिया रेंज में भी नियम विरुद्ध तरीके से तालाबों का निर्माण कराया है, यह कार्य रेंजर नौरोजाबाद के नेतृत्व में हुआ है.

  • कराया गया अवैध खनन

पिछले दिनों कुंवर विजय शाह से और दो दिन पहले सीएम से की गई शिकायत में साफ तौर पर आरोप लगाया गया है, कि नौरोजाबाद रेंजर अवैध खनन करवाते हैं और खनन के बाद हुए गड्ढे को तालाब का नाम देकर मामले को निपटा देते हैं. नौरोजाबाद रेंजर द्वारा सस्तरा बीट के पीएफ 510 में जमकर अवैध खनन कराया गया है, यहां से हजारों हाईवा मुरुम निकाली गई है। जिसका परिणाम है कि यहां एक विशाल गड्ढा बन गया है और इस विशाल गड्ढे को नौरोजाबद रेंजर तालाब का नाम दे दिया.

  • मनमाने तरीके से तार की खरीदी

इतना ही नहीं इस मामले में जब डिप्टी रेंजर संतोष तिवारी ने पीओआर काट दिया, तो डीएफओ ने उसे निलंबित कर दिया, फेंसिंग के लिए तार की खरीदी मनमाने ढंग से की गई है, जो खरीदी रेंज स्तर पर होनी चाहिए, उसे डीएफओ ने एकमुश्त खरीद कर डिपो में रखवा दिया, और मनमाने ढंग से रेंजरों को तार दबाव बनाकर दी गई, रेंजर दबाव में आकर तार लेते रहे, लेकिन उन्हें न तो पर्याप्त तार मिली, और न ही वह कहीं उपयोगी रही.

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