उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पूरी दुनिया में बाघों के स्वछंद आवास और सहजता से दीदार के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां कई ऐसे बाघ भी हैं जो गांव में उत्पात मचाते हैं, लड़ाई में घायल होकर असहाय हो गए हैं या फिर मां बाघिन की मौत के बाद अनाथ हो गए हैं. उन्हें प्रबंधन कैद कर उनकी देखभाल करता है और पुनः जंगल में छोड़े जाने लायक बनाता है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मगधी परिक्षेत्र के बहेराहा इनक्लोजर में अभी 9 बाघ कैद हैं, जिनमें से 7 बाघों को दूसरे जंगलों में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए आजाद किया जाएगा.
बाघों की शिफ्टिंग के लिए NTCA के निर्देश पर एक विशेषज्ञों की टीम गठित की गई है, जिन्होंने बाघों के उम्र, स्वभाव और स्वास्थ्य का अध्ययन किया और 9 बाघों में से 7 को शिफ्ट किए जाने की अनुशंषा कर दी है.
पार्क प्रबंधन की मानें तो तीन बाघों को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के जंगलों में स्वतंत्र रूप से विचरण के लिए शिफ्ट किया जाएगा और मानव स्वभाव के आदी हो चुके दो नर बाघों को सुरक्षा के लिहाज से वन विहार भोपाल भेजा जाएगा. मध्य प्रदेश के बाघ विहीन जंगलों में बाघों को बसाने में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का विशेष योगदान रहा है. बांधवगढ़ से अब तक संजय गांधी टाइगर रिजर्व, पन्ना, सतपुड़ा, वन विहार भोपाल, नौरादेही अभ्यारण एवं उड़ीसा के सतकोशिया अभ्यारण में बाघ भेजे गए हैं.
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों के प्रजनन एवं सरंक्षण के लिए दुनिया का सबसे बेहतर हैबिटेट मौजूद हैं और यही वजह है कि दुनिया भर के पर्यटकों को ये टाइगर रिजर्व 100 फीसदी बाघ दर्शन की गारंटी देता है और यहां के बाघ वंशजों से मध्य प्रदेश सहित देश के अन्य टाइगर रिजर्व बाघों से गुलजार हो रहे हैं.