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अब गुलजार होगा बांधवगढ़! कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान से लाए गए 19 बारहसिंघा, VIDEO में देखें ग्रेंड WELCOME - कान्हा नेशनल पार्क से बांधवगढ पहुंचे बारहसिंघा

मंडला के कान्हा नेशनल पार्क से 11 नर और 8 मादा सहित 19 बारहसिंगा बांधवगढ़ भेजे गए हैं. रविवार प्रातः करीब 9:30 बजे विशेष वाहन से बारहसिंघा को बांधवगढ़ के लिए रवाना किया गया, जो लगभग 5 घंटे के सफर के बाद बांधवगढ़ पहुंचे, जहां पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी इन बारहसिंघों को बाडे़ में रिलीज किया.

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कान्हा नेशनल पार्क से बांधवगढ पहुंचे बारहसिंघा
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Published : Mar 27, 2023, 8:57 AM IST

कान्हा नेशनल पार्क से बांधवगढ पहुंचे बारहसिंघा

उमरिया। कान्हा टाइगर रिजर्व से आए 19 बारहसिंघों ने रविवार को जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ मे कदम रखा, इस मौके पर पार्क के अधिकारियों व कर्मियों ने करतल ध्वनि से नये मेहमानों का स्वागत किया. सूत्रों के मुताबिक बारहसिंघों को फिलहाल मगधी जोन मे बनाए गये एक विशाल बाडे मे रखा गया है, जहां वे करीब तीन साल तक रहेंगे. वातावरण से वाकिफ होने के बाद उन्हे खुले जंगल में छोड़ दिया जाएगा. बता दें कि बायसन परियोजना की सफलता के बाद अब बांधवगढ़ मे बारहसिंघा प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसके तहत यहां 100 बारहसिंघों को बसाने की योजना है. ये सभी कान्हा से लाये जायेंगे.

ऐसे हुआ बारहसिंघों का स्वागत: नेशनल पार्क बांधवगढ टाइगर रिजर्व से विलुप्त हो चुके बारहसिंघा को एक बार पुनः बांधवगढ में बसाने के चुनौती पूर्ण प्रोजेक्ट पर वन विभाग ने अमल शुरू कर दिया है. कान्हा से बांधवगढ पंहुची 19 बारहसिंघा की पहली खेप से इसकी शुरुआत कर दी गई है, जो अगले तीन साल तक चलेगी और 100 बारहसिंघा कान्हा से लाकर बांधवगढ में बसाये जाएंगे. इसके लिए टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा खास इंतजाम किए हैं, बांधवगढ में बारहसिंघा को रखने के लिए मगधी जोन में खास तरीके का 50 हेक्टेयर क्षेत्र में बड़ा इनक्लोजर (बाड़ा) तैयार किया गया है, जंहा इन बारहसिंघा को रखा जायेगा. इनक्लोजर की डिजाइन इस तरीके से तैयार की गई है कि इसमें बाघ के साथ ही अजगर जैसे सांप भी प्रवेश नहीं कर पाएंगे. 3 साल बाद जब ये बारहसिंघा बांधवगढ की आबोहवा में घुल-मिल जाएंगे, तब इन्हें स्वच्छंद विचरण के लिए खुले जंगल मे छोड़ दिया जायेगा. पूरे प्रोजेक्ट में इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि बारहसिंघा को उनके स्वभाव के अनुरूप वातावरण दिया जाए, जिससे वो न सिर्फ यहां पल और बढ़ सके बल्कि वंशवृद्धि से उनका यह नया रहवास बन जाये. जैसे ही बारहसिंघा से भरा हुए खास वाहन कान्हा से बांधवगढ पहुंचा तो वनकर्मियों ने मघदी गेट पर तालियों की गड़गड़ाहट से उनका जोरदार स्वागत कर पार्क के अंदर प्रवेश कराया.
बता दें कि पहली खेप में आए 19 बारहसिंघा में 11 नर और 8 मादा बारहसिंघा है, जो अब बांधवगढ को अपना नया रहवास बनाएंगे.

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बारहसिंघों से रोशन होगा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया के उपवनसंरक्षक सुधीर मिश्रा ने बताया कि "बारासिंघा को प्रदेश के अन्य नेशनल पार्कों में आबाद करने के उद्देश्य से बारासिंघा को बांधवगढ़ में बसाने की तैयारी वर्ष 2021 से चल रही है, जिसके लिए विगत माह दोनों पार्क द्वारा संयुक्त रुप से मॉक ड्रिल भी की गई थी. अब सभी तैयारियां एवं परमिशन के बाद कान्हा टाइगर रिज़र्व के कान्हा, बिसनपुरा और रोंदा से बारासिंघा को कैप्चर किया गया."

कार्यक्रम में ये रहे शामिल: बांधवगढ़ मे बारहसिंघा परियोजना का शुभारंभ राज्य के वनमंत्री कुंवर विजय शाह के करकमलों से होना था, परंतु व्यस्तता के कारण वे इस कार्यक्रम मे शामिल नहीं हो सके. वन विभाग के अधिकारियों ने ही बारहसिंघों को बाड़े मे छोड़ा, इस दौरान पीसीसीएफ जेएस चौहान, एसएफआरआई संचालक अमिताभ अग्निहोत्री, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक राजीव मिश्रा, उपसंचालक लवित भारती, एसएफआरआई के रविन्द्रमणि त्रिपाठी, डॉ. मजूमदार, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के सहायक संचालक सुधीर मिश्रा सहित अन्य अधिकारी और मौजूद थे.

कान्हा नेशनल पार्क से बांधवगढ पहुंचे बारहसिंघा

उमरिया। कान्हा टाइगर रिजर्व से आए 19 बारहसिंघों ने रविवार को जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ मे कदम रखा, इस मौके पर पार्क के अधिकारियों व कर्मियों ने करतल ध्वनि से नये मेहमानों का स्वागत किया. सूत्रों के मुताबिक बारहसिंघों को फिलहाल मगधी जोन मे बनाए गये एक विशाल बाडे मे रखा गया है, जहां वे करीब तीन साल तक रहेंगे. वातावरण से वाकिफ होने के बाद उन्हे खुले जंगल में छोड़ दिया जाएगा. बता दें कि बायसन परियोजना की सफलता के बाद अब बांधवगढ़ मे बारहसिंघा प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसके तहत यहां 100 बारहसिंघों को बसाने की योजना है. ये सभी कान्हा से लाये जायेंगे.

ऐसे हुआ बारहसिंघों का स्वागत: नेशनल पार्क बांधवगढ टाइगर रिजर्व से विलुप्त हो चुके बारहसिंघा को एक बार पुनः बांधवगढ में बसाने के चुनौती पूर्ण प्रोजेक्ट पर वन विभाग ने अमल शुरू कर दिया है. कान्हा से बांधवगढ पंहुची 19 बारहसिंघा की पहली खेप से इसकी शुरुआत कर दी गई है, जो अगले तीन साल तक चलेगी और 100 बारहसिंघा कान्हा से लाकर बांधवगढ में बसाये जाएंगे. इसके लिए टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा खास इंतजाम किए हैं, बांधवगढ में बारहसिंघा को रखने के लिए मगधी जोन में खास तरीके का 50 हेक्टेयर क्षेत्र में बड़ा इनक्लोजर (बाड़ा) तैयार किया गया है, जंहा इन बारहसिंघा को रखा जायेगा. इनक्लोजर की डिजाइन इस तरीके से तैयार की गई है कि इसमें बाघ के साथ ही अजगर जैसे सांप भी प्रवेश नहीं कर पाएंगे. 3 साल बाद जब ये बारहसिंघा बांधवगढ की आबोहवा में घुल-मिल जाएंगे, तब इन्हें स्वच्छंद विचरण के लिए खुले जंगल मे छोड़ दिया जायेगा. पूरे प्रोजेक्ट में इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि बारहसिंघा को उनके स्वभाव के अनुरूप वातावरण दिया जाए, जिससे वो न सिर्फ यहां पल और बढ़ सके बल्कि वंशवृद्धि से उनका यह नया रहवास बन जाये. जैसे ही बारहसिंघा से भरा हुए खास वाहन कान्हा से बांधवगढ पहुंचा तो वनकर्मियों ने मघदी गेट पर तालियों की गड़गड़ाहट से उनका जोरदार स्वागत कर पार्क के अंदर प्रवेश कराया.
बता दें कि पहली खेप में आए 19 बारहसिंघा में 11 नर और 8 मादा बारहसिंघा है, जो अब बांधवगढ को अपना नया रहवास बनाएंगे.

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कार्यक्रम में ये रहे शामिल: बांधवगढ़ मे बारहसिंघा परियोजना का शुभारंभ राज्य के वनमंत्री कुंवर विजय शाह के करकमलों से होना था, परंतु व्यस्तता के कारण वे इस कार्यक्रम मे शामिल नहीं हो सके. वन विभाग के अधिकारियों ने ही बारहसिंघों को बाड़े मे छोड़ा, इस दौरान पीसीसीएफ जेएस चौहान, एसएफआरआई संचालक अमिताभ अग्निहोत्री, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक राजीव मिश्रा, उपसंचालक लवित भारती, एसएफआरआई के रविन्द्रमणि त्रिपाठी, डॉ. मजूमदार, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के सहायक संचालक सुधीर मिश्रा सहित अन्य अधिकारी और मौजूद थे.

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