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Ujjain Villagers Protest रेलवे स्टॉप के लिए ग्रामीणों का प्रदर्शन, रेल रोको आंदोलन की चेतावनी, चुनाव के समय नेताओं को गांव में घुसने नहीं देंगे - ujjain Villagers demanding singavada rail stoppage

उज्जैन जिले के ग्राम सिंगावदा में रेलवे स्टॉप की मांग को लेकर रेल पटरी के पास विरोध प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में जाने के लिए कोई सुविधा नहीं है, यह एक सुविधा थी वह भी हमसे छीन ली गई, जिसकी शिकायत हमने कई बार सांसद, डीआरएम से की लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. ज्ञापन दे देकर अब हम थक चुके हैं, लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. अगर हमारी मांग नहीं मानी गई तो उग्र आंदोलन करेंगे.

ujjain Villagers demanding singavada rail stoppage
रेलवे स्टॉप के लिए ग्रामीणों का प्रदर्शन
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Published : Dec 11, 2022, 8:21 PM IST

उज्जैन। जिले की घट्टिया विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सिंगावदा रेलवे स्टॉप को लेकर आसपास के ही 3 ग्राम पंचायतों के 5000 ग्रामीण सांसद, रेलवे डीआरएम और क्षेत्रीय विधायक के विरोध में उतरे. ग्रामीणों ने विरोध के पहले दिन रेलवे पटरी के पास खड़े होकर नारेबाजी की, ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा कि हमारी मांगे सांसद, विधायक या रेलवे डीआरएम ने पूरी नहीं की तो आने वाले समय में रेल रोको प्रदर्शन किया जाएगा. इस मार्ग से किसी भी रेल को आगे नहीं जाने दिया जाएगा, हम ज्ञापन दे दे कर थक चुके हैं कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

ग्रामीणों से कोरोना ने छीन लिया रेलवे स्टॉप: कोरोना काल के पहले ग्राम सिंगावदा रेल्वे स्टॉप पर उज्जैन-रतलाम आने जाने वाली हर लोकल गाड़ी रुकती थी जिससे 3 ग्राम पंचायत के 5 से 6 गांव के ग्रामीण आसानी से सफर कर लेते थे. उन्हें उज्जैन-रतलाम तरफ आना जाना हो या स्कूल और कॉलेज के बच्चों को उज्जैन या रतलाम के किसी स्कूल, कॉलेज आना जाना हो 10 से 15 मिनट में वह यह दूरी तय कर लेते थे. दिव्यांग, महिला, मजदूर सबके लिए सुविधा थी. यह सिलसिला 35 साल के चलता आ रहा था, लेकिन कोरोना काल मे रेलवे ने सिंगावदा से स्टॉप बन्द कर दिया, जिससे ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

Seoni में बाघ के हमले में किसान की मौत के बाद ग्रामीणों का हंगामा, वन विभाग के वाहनों में की तोड़फोड़

मांग नहीं मानी तो करेंगे उग्र आंदोलन: ग्रामीणों का आरोप है कि हमारे ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में जाने के लिए कोई सुविधा नहीं है, यह एक सुविधा थी वह भी हमसे छीन ली गई, जिसकी शिकायत हमने कई बार सांसद, डीआरएम से की लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. ज्ञापन दे देकर अब हम थक चुके हैं अब हमारी अंतिम चेतावनी है अगर अब हमारी मांग नहीं मानी गई तो उग्र आंदोलन (Warning of stop rail movement) करेंगे.

चुनाव बहिष्कार की चेतावनी: पूर्व सरपंच सत्यनारायण ने जानकारी देते हुए बताया कि ''सिंगावदा का यह रेलवे स्टॉप सिर्फ रेलवे स्टाफ के लिए है. 35 वर्षों से ग्रामीण यहां से आना जाना करते थे लेकिन यह सुविधा बंद कर दी गई. हम बस यही मांग कर रहे हैं जिस तरह अन्य ट्रेनें शहरी क्षेत्रों में दोबारा शुरू की गई हैं उसी तरह हमारे ग्रामीण क्षेत्र के इस स्टॉप पर सुविधा को शुरू कर दिया जाए. वर्ष 2010 में तत्कालीन जीएम ने स्थाई स्टॉप व प्लेटफार्म निर्माण का आदेश दिया था और नपती भी हुई थी. उसके बाद कोई भी प्रोसेस आगे नहीं बड़ी. रेल स्टॉप समस्या को लेकर हम ने कई बार हमने रेलवे के अधिकारी, सांसद अनिल फिरोजिया सहित घट्टिया विधायक रामलाल मालवीय को अवगत करवाया, लेकिन कोई भी इस और ध्यान नहीं दे रहा है. 15 दिसम्बर को डीआरएम का निरीक्षण है, ग्रामीणों ने डीआरएम से मिलने की इच्छा जाहिर की है''. ग्रामीणों ने बताया कि ''यदि जल्द समस्या का निराकरण नहीं किया गया तो लोकसभा व विधानसभा चुनाव में नेताओं को गांव में नहीं घुसने देंगे व चुनाव का बहिष्कार करेंगे''.

उज्जैन। जिले की घट्टिया विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सिंगावदा रेलवे स्टॉप को लेकर आसपास के ही 3 ग्राम पंचायतों के 5000 ग्रामीण सांसद, रेलवे डीआरएम और क्षेत्रीय विधायक के विरोध में उतरे. ग्रामीणों ने विरोध के पहले दिन रेलवे पटरी के पास खड़े होकर नारेबाजी की, ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा कि हमारी मांगे सांसद, विधायक या रेलवे डीआरएम ने पूरी नहीं की तो आने वाले समय में रेल रोको प्रदर्शन किया जाएगा. इस मार्ग से किसी भी रेल को आगे नहीं जाने दिया जाएगा, हम ज्ञापन दे दे कर थक चुके हैं कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

ग्रामीणों से कोरोना ने छीन लिया रेलवे स्टॉप: कोरोना काल के पहले ग्राम सिंगावदा रेल्वे स्टॉप पर उज्जैन-रतलाम आने जाने वाली हर लोकल गाड़ी रुकती थी जिससे 3 ग्राम पंचायत के 5 से 6 गांव के ग्रामीण आसानी से सफर कर लेते थे. उन्हें उज्जैन-रतलाम तरफ आना जाना हो या स्कूल और कॉलेज के बच्चों को उज्जैन या रतलाम के किसी स्कूल, कॉलेज आना जाना हो 10 से 15 मिनट में वह यह दूरी तय कर लेते थे. दिव्यांग, महिला, मजदूर सबके लिए सुविधा थी. यह सिलसिला 35 साल के चलता आ रहा था, लेकिन कोरोना काल मे रेलवे ने सिंगावदा से स्टॉप बन्द कर दिया, जिससे ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

Seoni में बाघ के हमले में किसान की मौत के बाद ग्रामीणों का हंगामा, वन विभाग के वाहनों में की तोड़फोड़

मांग नहीं मानी तो करेंगे उग्र आंदोलन: ग्रामीणों का आरोप है कि हमारे ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में जाने के लिए कोई सुविधा नहीं है, यह एक सुविधा थी वह भी हमसे छीन ली गई, जिसकी शिकायत हमने कई बार सांसद, डीआरएम से की लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. ज्ञापन दे देकर अब हम थक चुके हैं अब हमारी अंतिम चेतावनी है अगर अब हमारी मांग नहीं मानी गई तो उग्र आंदोलन (Warning of stop rail movement) करेंगे.

चुनाव बहिष्कार की चेतावनी: पूर्व सरपंच सत्यनारायण ने जानकारी देते हुए बताया कि ''सिंगावदा का यह रेलवे स्टॉप सिर्फ रेलवे स्टाफ के लिए है. 35 वर्षों से ग्रामीण यहां से आना जाना करते थे लेकिन यह सुविधा बंद कर दी गई. हम बस यही मांग कर रहे हैं जिस तरह अन्य ट्रेनें शहरी क्षेत्रों में दोबारा शुरू की गई हैं उसी तरह हमारे ग्रामीण क्षेत्र के इस स्टॉप पर सुविधा को शुरू कर दिया जाए. वर्ष 2010 में तत्कालीन जीएम ने स्थाई स्टॉप व प्लेटफार्म निर्माण का आदेश दिया था और नपती भी हुई थी. उसके बाद कोई भी प्रोसेस आगे नहीं बड़ी. रेल स्टॉप समस्या को लेकर हम ने कई बार हमने रेलवे के अधिकारी, सांसद अनिल फिरोजिया सहित घट्टिया विधायक रामलाल मालवीय को अवगत करवाया, लेकिन कोई भी इस और ध्यान नहीं दे रहा है. 15 दिसम्बर को डीआरएम का निरीक्षण है, ग्रामीणों ने डीआरएम से मिलने की इच्छा जाहिर की है''. ग्रामीणों ने बताया कि ''यदि जल्द समस्या का निराकरण नहीं किया गया तो लोकसभा व विधानसभा चुनाव में नेताओं को गांव में नहीं घुसने देंगे व चुनाव का बहिष्कार करेंगे''.

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