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Ujjain News: लोकायुक्त में पदस्थ आशीष सिंह चंदेल और उसके साथी को कोर्ट ने 5 साल की सुनाई सजा, साल 2016 का है मामला

साल 2016 में हॉस्टल में विस्फोट रखना के मामले में उज्जैन कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस में पदस्थ आरक्षक आशीष सिंह चंदेल और उसके साथी सुनील को 5 साल की सजा सुनाई है.

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उज्जैन कोर्ट ने हॉस्टल में विस्फोट रखना के मामले में सुनाया फैसला
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Published : Aug 13, 2023, 6:29 PM IST

कोर्ट ने हॉस्टल में विस्फोट रखना के मामले में सुनाया फैसला

उज्जैन। लोकायुक्त पुलिस में पदस्थ आरक्षक आशीष सिंह चंदेल और उसके साथी सुनील को उज्जैन कोर्ट ने 2016 में हॉस्टल में विस्फोट रखने के मामले में 5 साल की सजा सुनाई है. दरअसल, लोकायुक्त में आरक्षक रहे समीर खान ने कोर्ट में बताया था कि वह साल 2009 में लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन में आरक्षक के पद पर पदस्थ था. उसके साथ आरोपी आशीष चंदेल भी आरक्षक के पद पर पदस्थ था. साल 2014 में रीडर बनने के बाद आशीष अन्य कार्यों के अलावा कर्मचारियों की ड्यूटी लगाता था. गलत लगाने पर सभी उसका विरोध करते थे, जिससे आशीष को लगता था कि हम उसके स्थान पर कहीं रीडर नहीं बन जाए.

बाद में एएसआई सुरेश को रीडर बनाकर आशीष का स्थानांतरण लोकायुक्त कार्यालय इंदौर हो गया था, जिससे आशीष को लगा कि उसका स्थानांतरण हमने कराया. इससे वह नाराज रहने लगा था, फिर आशीष की जगह भोपाल से आरक्षक कासिफ को पदस्थ किया तो वह कासिफ से भी नाराज रहने लगा. यही कारण था आशीष ने सभी को फंसाने की साजिश रची. साल 2016 में सिंहस्थ कुंभ मेले की तैयारी में पुलिस और प्रशासन की टीम जुटी हुई थी. कुंभ मेले में लाखों करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु और साधु संत आने वाले थे. वहीं, आतंकी गतिविधियों को लेकर भी एजेंसियां और पुलिस अपने-अपने स्तर पर कम कर रही थी.

हॉस्टल से विस्फोटक में मिला सनसनीः वहीं, नानाखेड़ा थाना क्षेत्र में एक हॉस्टल से विस्फोटक मिलने से सनसनी फैल गई थी. पूरी घटना का किरदार निभाने वाला लोकायुक्त में पदस्थ आरक्षक ने रची थी. अपने दोस्तों को फंसाने की साजिश की. उच्च न्यायालय ने आशीष और सुनील को 5 साल की सजा सुनाई है और अभी आशीष चंदन और सुनील दोनों ही जेल में बंद हैं.

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ये है मामलाः साल 2016 में पुलिस को सूचना मिली कि नानाखेड़ा के पास महाकाल वाणिज्य केंद्र स्थित अतिशय होस्टल के कमरा नंबर 212 में विस्फोटक सामग्री होने की जानकारी मिली थी. इसके बाद पुलिस ने पूरे मामले की जांच की और मामले को गंभीरता से लेते हुए कमरे की तलाशी ली गई, तो वहां से एक मोबाइल फोन सिम कार्ड और विस्फोटक सामग्री बरामद हुई. इसके बाद तब इस पूरी कार्रवाई में इंवॉल्व हो गई और मामले को गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की जांच की, जिसमें लोकायुक्त का आरक्षक की मुख्य भूमिका निकली. होस्टल के कमरे में मिला मोबाइल सिम व होटल में कमरा लेने के लिए दिए आई कार्ड की मिलने पर मामला साजिश का लगा था. लोकायुक्त के तात्कालीन आरक्षक आशिष चंदेल ने अपने दोस्त सुनील मिश्रा व दो अन्य के साथ मिलकर अपने सहकर्मी कासिफ, समीर खान,सुरेश व संदीप कदम को फंसाने के लिए यह सजिश रची. नतीजतन नानाखेड़ा पुलिस ने केस दर्ज कर चारों को गिरफ्तार किया था. मामले में अब तक की सुनवाई के बाद सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश शशीकांत वर्मा ने फैसला सुनाया. उन्होंने आशीष व सुनील को दोषी सिद्ध होने पर पांच साल की सजा सुनाई है.

कोर्ट ने हॉस्टल में विस्फोट रखना के मामले में सुनाया फैसला

उज्जैन। लोकायुक्त पुलिस में पदस्थ आरक्षक आशीष सिंह चंदेल और उसके साथी सुनील को उज्जैन कोर्ट ने 2016 में हॉस्टल में विस्फोट रखने के मामले में 5 साल की सजा सुनाई है. दरअसल, लोकायुक्त में आरक्षक रहे समीर खान ने कोर्ट में बताया था कि वह साल 2009 में लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन में आरक्षक के पद पर पदस्थ था. उसके साथ आरोपी आशीष चंदेल भी आरक्षक के पद पर पदस्थ था. साल 2014 में रीडर बनने के बाद आशीष अन्य कार्यों के अलावा कर्मचारियों की ड्यूटी लगाता था. गलत लगाने पर सभी उसका विरोध करते थे, जिससे आशीष को लगता था कि हम उसके स्थान पर कहीं रीडर नहीं बन जाए.

बाद में एएसआई सुरेश को रीडर बनाकर आशीष का स्थानांतरण लोकायुक्त कार्यालय इंदौर हो गया था, जिससे आशीष को लगा कि उसका स्थानांतरण हमने कराया. इससे वह नाराज रहने लगा था, फिर आशीष की जगह भोपाल से आरक्षक कासिफ को पदस्थ किया तो वह कासिफ से भी नाराज रहने लगा. यही कारण था आशीष ने सभी को फंसाने की साजिश रची. साल 2016 में सिंहस्थ कुंभ मेले की तैयारी में पुलिस और प्रशासन की टीम जुटी हुई थी. कुंभ मेले में लाखों करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु और साधु संत आने वाले थे. वहीं, आतंकी गतिविधियों को लेकर भी एजेंसियां और पुलिस अपने-अपने स्तर पर कम कर रही थी.

हॉस्टल से विस्फोटक में मिला सनसनीः वहीं, नानाखेड़ा थाना क्षेत्र में एक हॉस्टल से विस्फोटक मिलने से सनसनी फैल गई थी. पूरी घटना का किरदार निभाने वाला लोकायुक्त में पदस्थ आरक्षक ने रची थी. अपने दोस्तों को फंसाने की साजिश की. उच्च न्यायालय ने आशीष और सुनील को 5 साल की सजा सुनाई है और अभी आशीष चंदन और सुनील दोनों ही जेल में बंद हैं.

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ये है मामलाः साल 2016 में पुलिस को सूचना मिली कि नानाखेड़ा के पास महाकाल वाणिज्य केंद्र स्थित अतिशय होस्टल के कमरा नंबर 212 में विस्फोटक सामग्री होने की जानकारी मिली थी. इसके बाद पुलिस ने पूरे मामले की जांच की और मामले को गंभीरता से लेते हुए कमरे की तलाशी ली गई, तो वहां से एक मोबाइल फोन सिम कार्ड और विस्फोटक सामग्री बरामद हुई. इसके बाद तब इस पूरी कार्रवाई में इंवॉल्व हो गई और मामले को गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की जांच की, जिसमें लोकायुक्त का आरक्षक की मुख्य भूमिका निकली. होस्टल के कमरे में मिला मोबाइल सिम व होटल में कमरा लेने के लिए दिए आई कार्ड की मिलने पर मामला साजिश का लगा था. लोकायुक्त के तात्कालीन आरक्षक आशिष चंदेल ने अपने दोस्त सुनील मिश्रा व दो अन्य के साथ मिलकर अपने सहकर्मी कासिफ, समीर खान,सुरेश व संदीप कदम को फंसाने के लिए यह सजिश रची. नतीजतन नानाखेड़ा पुलिस ने केस दर्ज कर चारों को गिरफ्तार किया था. मामले में अब तक की सुनवाई के बाद सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश शशीकांत वर्मा ने फैसला सुनाया. उन्होंने आशीष व सुनील को दोषी सिद्ध होने पर पांच साल की सजा सुनाई है.

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