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Panchkoshi Yatra 2023: 15 अप्रैल से पंचकोशी यात्रा शुरू, भीषण गर्मी में पांच दिनों तक चलेगी 118 किलोमीटर लंबी यात्रा - Panchkoshi Yatra 2023

भगवान महाकाल की नगरी में पंचकोशी यात्रा की 15 अप्रैल से 20 अप्रैल से शुरुआत होगी. 118 किलोमीटर लंबी पंचकोशी यात्रा में 5 तीर्थस्थलों से गुजरेगी. यात्रा शुरू करने से पहले श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंचकर भगवान नागचंद्रेश्वर को आशीर्वाद लेते हैं और यात्रा शुरू करते हैं.

Panchkroshi Yatra 2023
15 अप्रैल से पंचक्रोशी यात्रा शुरू
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Published : Apr 14, 2023, 10:48 PM IST

पुजारी अनिमेष शर्मा

उज्जैन। जिले में प्रतिवर्ष होने वाली पंचकोशी यात्रा की शुरुआत 15 अप्रैल से 20 अप्रैल तक चलती है, लेकिन महाकाल नगरी में 1 दिन पहले ही पंचकोशी यात्रा की शुरुआत हो गई है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ये पंचकोशी यात्रा वैशाख माह की कृष्ण दशमी से प्रारम्भ होकर अमावस्या पर समापन होता है. इस भीषण गर्मी में श्रद्धालु 118 किमी पैदल चल कर 5 तीर्थस्थलों की यात्रा करेंगे. बता दें कई सालों से चली आ रही परंपरा का पालन आज भी किया जा रहा है. प्रशासन की ओर से यात्रा मार्ग एवं पड़ाव, उप पड़ाव स्थलों का निरीक्षण कर सम्बन्धित विभागों के जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. साथ में पंचकोशी यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल सुविधा निशुल्क दी गई है. साथ ही किसी भी श्रद्धालुओं को परेशानी ना हो. इसके लिए पुलिस की ओर से केंद्र विस्थापित किया गया है.

पंचकोशी यात्रा में 5 पड़ावः बता दें चिलचिलाती गर्मी में अपने सिर पर खाने-पीने की सामग्री की गठरी लेकर श्रद्धालु 118 किलोमीटर की यात्रा पर निकले हैं, यहां श्रद्धालु सबसे पहले उज्जैन पहुंचते हैं और पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंचकर भगवान नागचंद्रेश्वर से आशीर्वाद लेते हैं. इस यात्रा की शुरुआत करते हैं. ये यात्रा 5 दिनों तक अलग-अलग पड़ाव पर रूकती है. पंचकोशी यात्रा में पिग्लेश्वर, करोहन, नलवा, अम्बोदिया, केडी पैलेस, जेथल और उंडासा पड़ाव व उपड़ाव होंगे, जहां श्रद्धालु आराम कर सकेंगे.

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5 मंदिरों में यात्राः पांच दिवस की पंचकोशी यात्रा मंदिर पिंगलेश्वर, कायावरोहणेश्वर, विल्वेश्वर, दुर्धरेश्वर, नीलकंठेश्वर में होती है. यहां पर भगवान के पूजन-अर्चन कर श्रद्धालु भगवान से आशीर्वाद लेते हैं. नागचंद्रेश्वर मंदिर के पुजारी अनिमेष शर्मा ने बताया कि 15 अप्रैल से पंचकोशी यात्रा शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि ये यात्रा 5 पड़ाव में होगी. उन्होंने कहा कि मान्यताएं है कि इस यात्रा में शिव-पार्वती भी शामिल होते हैं.

पुजारी अनिमेष शर्मा

उज्जैन। जिले में प्रतिवर्ष होने वाली पंचकोशी यात्रा की शुरुआत 15 अप्रैल से 20 अप्रैल तक चलती है, लेकिन महाकाल नगरी में 1 दिन पहले ही पंचकोशी यात्रा की शुरुआत हो गई है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ये पंचकोशी यात्रा वैशाख माह की कृष्ण दशमी से प्रारम्भ होकर अमावस्या पर समापन होता है. इस भीषण गर्मी में श्रद्धालु 118 किमी पैदल चल कर 5 तीर्थस्थलों की यात्रा करेंगे. बता दें कई सालों से चली आ रही परंपरा का पालन आज भी किया जा रहा है. प्रशासन की ओर से यात्रा मार्ग एवं पड़ाव, उप पड़ाव स्थलों का निरीक्षण कर सम्बन्धित विभागों के जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. साथ में पंचकोशी यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल सुविधा निशुल्क दी गई है. साथ ही किसी भी श्रद्धालुओं को परेशानी ना हो. इसके लिए पुलिस की ओर से केंद्र विस्थापित किया गया है.

पंचकोशी यात्रा में 5 पड़ावः बता दें चिलचिलाती गर्मी में अपने सिर पर खाने-पीने की सामग्री की गठरी लेकर श्रद्धालु 118 किलोमीटर की यात्रा पर निकले हैं, यहां श्रद्धालु सबसे पहले उज्जैन पहुंचते हैं और पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंचकर भगवान नागचंद्रेश्वर से आशीर्वाद लेते हैं. इस यात्रा की शुरुआत करते हैं. ये यात्रा 5 दिनों तक अलग-अलग पड़ाव पर रूकती है. पंचकोशी यात्रा में पिग्लेश्वर, करोहन, नलवा, अम्बोदिया, केडी पैलेस, जेथल और उंडासा पड़ाव व उपड़ाव होंगे, जहां श्रद्धालु आराम कर सकेंगे.

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5 मंदिरों में यात्राः पांच दिवस की पंचकोशी यात्रा मंदिर पिंगलेश्वर, कायावरोहणेश्वर, विल्वेश्वर, दुर्धरेश्वर, नीलकंठेश्वर में होती है. यहां पर भगवान के पूजन-अर्चन कर श्रद्धालु भगवान से आशीर्वाद लेते हैं. नागचंद्रेश्वर मंदिर के पुजारी अनिमेष शर्मा ने बताया कि 15 अप्रैल से पंचकोशी यात्रा शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि ये यात्रा 5 पड़ाव में होगी. उन्होंने कहा कि मान्यताएं है कि इस यात्रा में शिव-पार्वती भी शामिल होते हैं.

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